बाबा श्याम के पट 19 घंटे रहेंगे बंद, भक्त कल शाम को ही कर पाएंगे दर्शन

बाबा श्याम के दर्शन 25-26 अगस्त 2025 को विशेष तिलक शृंगार के कारण 19 घंटे बंद रहेंगे। The Sootr में जानें इस शृंगार की विशेषता और भक्तों के लिए इसका महत्व।

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Nitin Kumar Bhal
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लोक आस्था के प्रतीक खाटूश्याम स्थित बाबा श्याम के मंदिर में भक्तों को 25 अगस्त 2025 की रात 10:00 बजे से लेकर 26 अगस्त 2025 की शाम 5:00 बजे तक बाबा श्याम के दर्शन नहीं हो पाएंगे। विशेष तिलक शृंगार की प्रक्रिया के कारण ऐसा होगा। बाबा के मंदिर में हर महीने शाही स्नान के बाद विशेष तिलक शृंगार किया जाता है। हर महीने की अमावस्या को विशेष शाही स्नान होता है। इस बार यह शाही स्नान जन्माष्टमी के अवसर पर किया गया था। इस तिलक शृंगार का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, और यह श्याम भक्तों के लिए एक धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव होता है।

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बाबा श्याम का तिलक शृंगार क्या है?

बाबा श्याम का विशेष तिलक शृंगार हर महीने के अमावस्या के दिन किया जाता है। यह शृंगार विशेष प्रकार के चंदन से किया जाता है, और इसके बाद बाबा के मंदिर का शृंगार किया जाता है। इस शृंगार के दौरान बाबा के स्वरूप को और अधिक आकर्षक और धार्मिक रूप में सजाया जाता है। विशेष चंदन से तिलक करने के बाद पूरे मंदिर की पवित्र जल से धुलाई की जाती है, ताकि मंदिर परिसर को और अधिक शुद्ध किया जा सके।

बाबा श्याम के शाही स्नान के दौरान उनकी पूजा और शृंगार का विशेष महत्व है। यह स्नान एक आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है, और भक्त इसे एक विशेष अवसर के रूप में देखते हैं। शाही स्नान के बाद बाबा श्याम का नया रूप दर्शन के लिए प्रस्तुत होता है, जिसे भक्त अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ देखते हैं। इस दौरान बाबा के दर्शन के विशेष रूप में भक्तों को आनंद और शांति का अनुभव होता है।

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खाटू श्याम कौन हैं?

  • खाटू श्याम जी की कहानी महाभारत काल से जुड़ी है।
  • वे भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक थे।
  • बर्बरीक ने भगवान कृष्ण को अपना सिर दान कर दिया था, जिसके बाद उन्हें 'श्याम' नाम मिला और उन्हें कलियुग में भगवान कृष्ण का अवतार माना गया।
  • बर्बरीक बचपन से ही वीर और महान योद्धा थे।
  • उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करके उनसे तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे। जिसके कारण उन्हें "तीन बाण धारी" भी कहा जाता है।
  • जब महाभारत का युद्ध होने वाला था, तब बर्बरीक ने भी युद्ध में भाग लेने का निर्णय लिया।
  • उन्होंने अपनी माता से आशीर्वाद लिया और उन्हें वचन दिया कि वे हारे हुए पक्ष का साथ देंगे।
  • युद्ध में जाते समय बर्बरीक को रास्ते में भगवान कृष्ण मिले, जो ब्राह्मण के रूप में उनका परीक्षण कर रहे थे।
  • भगवान कृष्ण ने बर्बरीक से दान में उनका सिर मांगा।
  • बर्बरीक ने अपना वचन निभाते हुए अपना सिर काटकर भगवान कृष्ण को दान कर दिया।
  • बर्बरीक के इस महान बलिदान से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में उनकी पूजा श्याम नाम से की जाएगी और वे "हारे का सहारा" बनेंगे।
  • मान्यता है कि बर्बरीक का सिर खाटू नगर (सीकर, राजस्थान) में प्रकट हुआ, जहां बाद में खाटू श्याम मंदिर का निर्माण हुआ।

तिलक शृंगार के बाद होंगे श्याम बाबा के दर्शन

यह तिलक शृंगार विशेष रूप से हिंदू सनातन धर्म में महत्वपूर्ण है। शाही स्नान के बाद बाबा श्याम के दर्शन में एक नया और विशिष्ट स्वरूप होता है। इस तिलक शृंगार के बाद, भक्तों को बाबा के कृष्णमई स्वरूप के दर्शन मिलते हैं, जो अत्यंत दिव्य होते हैं। इसके बाद, जब तिलक शृंगार पूर्ण होता है, तो बाबा के दर्शन में एक अलग ही आनंद और महत्व होता है। यह भक्तों के लिए एक दिव्य अनुभव होता है, क्योंकि इस स्वरूप को विशेष रूप से शाही स्नान के बाद ही देखा जा सकता है।

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शाही स्नान और तिलक शृंगार के बाद का उत्सव

शाही स्नान के बाद बाबा श्याम का तिलक शृंगार किया जाता है, जो अगले शाही स्नान तक बना रहता है। इस दौरान बाबा श्याम के पट बंद रहते हैं। यह विशेष चंदन से किया गया तिलक, बाबा के स्वरूप को और भी आकर्षक बनाता है। इस तिलक शृंगार के साथ-साथ मंदिर के भक्तों को विशेष पूजा-अर्चना का अनुभव होता है, और यह समय पूरे मंदिर परिसर में एक विशेष दिव्यता और शांति का अनुभव कराता है।

मंदिर में इस तिलक शृंगार के दौरान विशेष प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, जिनमें पूजा, अर्चना और आरती का आयोजन किया जाता है। इसके बाद, भक्तों को बाबा के दर्शन के लिए 19 घंटे का इंतजार करना पड़ता है, जो इस धार्मिक प्रक्रिया का हिस्सा है। इस दौरान मंदिर में केवल फूलों और वस्त्रों को बदला जाता है, ताकि बाबा के स्वरूप को सही तरीके से सजाया जा सके।

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शाही स्नान के बाद के शृंगार में क्या होता है? 

शाही स्नान के बाद खाटू वाले श्याम बाबा का तिलक शृंगार किया जाता है। यह विशेष चंदन से किया जाता है, और इसका उद्देश्य बाबा के स्वरूप को और अधिक दिव्य बनाना होता है। इसके बाद पूरे मंदिर परिसर की पवित्र जल से धुलाई की जाती है, ताकि हर एक को शुद्ध किया जा सके। इस प्रक्रिया को पूरे श्रद्धा भाव से किया जाता है, और भक्तों को यह बहुत ही भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ अनुभव होता है।

बाबा श्याम के दर्शन के लिए भक्तों का इंतजार

इस तिलक शृंगार के बाद, भक्तों को बाबा के दर्शन के लिए 19 घंटे तक का इंतजार करना पड़ता है। यह इंतजार एक श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, और भक्त इसे एक विशेष अवसर के रूप में देखते हैं। बाबा के इस दिव्य स्वरूप को देखने के बाद भक्तों को शांति, सुख और आशीर्वाद मिलता है, जो उनके जीवन को सकारात्मक दिशा में प्रभावित करता है।

FAQ

1. हर महीने बाबा श्याम के दर्शन क्यों बंद रहते हैं?
बाबा श्याम के दर्शन शाही स्नान और तिलक शृंगार के कारण 19 घंटे तक बंद रहते हैं। यह धार्मिक प्रक्रिया के तहत किया जाता है ताकि बाबा के स्वरूप को शुद्ध किया जा सके।
2. शाही स्नान के बाद बाबा श्याम के दर्शन में क्या अंतर होता है?
शाही स्नान के बाद बाबा श्याम का तिलक शृंगार किया जाता है, और भक्तों को बाबा के कृष्णमई और विष्णु स्वरूप के दर्शन होते हैं, जो विशेष और दिव्य होते हैं।
3. तिलक शृंगार के बाद दर्शन के लिए कितने घंटे का इंतजार करना होता है?
तिलक शृंगार के बाद दर्शन के लिए भक्तों को 19 घंटे का इंतजार करना होता है, क्योंकि यह प्रक्रिया पूरी तरह से शुद्ध और धार्मिक होती है।
4. बाबा श्याम का तिलक शृंगार किस प्रकार से किया जाता है?
बाबा श्याम का तिलक शृंगार विशेष चंदन से किया जाता है, जो बाबा के स्वरूप को और दिव्य और आकर्षक बनाता है।
5. बाबा श्याम के दर्शन का धार्मिक महत्व क्या है?
बाबा श्याम के दर्शन का धार्मिक महत्व अत्यधिक है, क्योंकि शाही स्नान और तिलक शृंगार के बाद भक्तों को बाबा के दिव्य और विशिष्ट स्वरूप के दर्शन होते हैं।

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