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राजस्थान के जोधपुर में एक भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई अदालत cbi court ने बड़ा फैसला सुनाया। सीबीआई अदालत ने जोधपुर के तत्कालीन आयकर आयुक्त पीके शर्मा और आयकर अधिकारी शैलेंद्र भंडारी को साल 2015 में 15 लाख रुपए रिश्वत लेने के मामले में दोषी ठहराते हुए उन्हें चार-चार साल की साधारण कारावास की सजा सुनाई। इस मामले में ज्वेलर्स चंद्रप्रकाश कट्टा को दोषमुक्त कर दिया गया है।
क्या है जोधपुर आयकर रिश्वत प्रकरण
साल 2015 में जोधपुर के सोजती गेट स्थित एक ज्वेलरी शोरूम में जोधपुर आयकर आयुक्त के पद पर रहते हुए पीके शर्मा और आयकर अधिकारी शैलेंद्र भंडारी ने 15 लाख रुपए की रिश्वत ली थी। इस मामले में सीबीआई CBI ने बारीकी से जांच की और दोनों अधिकारियों को उनके पद का दुरुपयोग करते हुए दोषी पाया।
आयकर विभाग के दो अधिकारियों को सजा
सीबीआई ने मामले की पूरी जांच करते हुए यह साबित किया कि इन अधिकारियों ने अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर अवैध रूप से रकम प्राप्त की। दोनों अधिकारियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद सीबीआई अदालत ने उन्हें चार साल की साधारण कारावास की सजा सुनाई।
ज्वेलर्स को मिली राहत
मामले में ज्वेलर्स चंद्रप्रकाश कट्टा को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया। अदालत ने साफ किया कि पीके शर्मा और शैलेंद्र भंडारी ने भ्रष्टाचार के जघन्य कृत्य किए, जो सार्वजनिक विश्वास के लिए गंभीर चोट थी। चंद्रप्रकाश कट्टा पर कोई ठोस आरोप साबित नहीं हो सके।
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घूस लेने की सख्त सजा
यह मामला उस समय सुर्खियों में आया था, जब सीबीआई ने 2015 में इन दोनों अधिकारियों को सोजती गेट स्थित ज्वेलर्स शोरूम से गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने साबित किया कि राशि सीधे रिश्वत के रूप में ली गई थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों में किसी भी स्तर पर सख्ती जरूरी है। यह फैसला दिखाता है कि कानून के हाथ लंबा होते हैं।
विभाग की छवि को धक्का
आयकर आयुक्त पीके शर्मा और अधिकारी शैलेंद्र भंडारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप साबित होने के बाद कर विभाग की छवि को गंभीर धक्का पहुंचा। यह घटना भ्रष्टाचार को लेकर विभाग के प्रति लोगों के विश्वास को हिला देती है। अदालत ने मामले के सभी साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए दोषियों को सजा सुनाई।
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