राजस्थान का अजब मामला : भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, फिर भी आरएएस से प्रमोट होकर बन बैठे आईएएस

भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बावजूद नवनीत कुमार को राजस्थान में आईएएस पदोन्नति मिल गई है। इस मामले में प्रशासनिक अधिकारियों के बीच विवाद जारी है और एसीबी जांच की मंजूरी के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

author-image
Amit Baijnath Garg
New Update
IAS Navneet Kumar

Photograph: (the sootr)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

मुकेश शर्मा @ जयपुर 

राजस्थान के प्रशासनिक हलकों में अजब मामला सामने आया है। भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे राज्य प्रशासनिक सेवा (आरएएस) के अधिकारी नवनीत कुमार को आईएएस बनाकर पुरस्कृत कर दिया गया। खास बात यह रही कि भष्टाचार के मामले की जांच के लिए एसीबी को राज्य सरकार से मंजूरी मिल चुकी थी।

इतना ही नहीं, इस मामले की मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और कार्मिक सचिव सहित यूपीएससी और केंद्रीय कार्मिक विभाग को भी जानकारी थी, लेकिन नवनीत कुमार को आईएएस के रूप में पदोन्नत करने से हरी झंडी मिल गई। प्रदेश में एक जुलाई, 2025 के आदेश से जिन 16 आरएएस (RAS) अधिकारियों को आईएएस (IAS) बनाया गया है, उनमें नवनीत कुमार का नाम भी था। वे इस समय बाड़मेर में राजस्व अपील अथॉरिटी के रूप में कार्य कर रहे हैं।

माही बांसवाड़ा परमाणु ऊर्जा परियोजना:  राजस्थान के लिए क्या है इसका महत्व, जानिए

अनदेखा हो गया सेवा रिकॉर्ड

आरएएस से आईएएस में पदोन्नति के समय अधिकारियों की वरिष्ठता, कार्य प्रदर्शन और सेवा रिकॉर्ड का आकलन किया जाता है। सेवा रिकॉर्ड में संबंधित अधिकारी की सेवा में साफ-सुथरा रिकॉर्ड होना चाहिए और उनके आचरण में कोई गंभीर कमी नहीं होनी चाहिए। पर नवनीत कुमार के मामले में उनके खिलाफ चल रही भ्रष्टाचार की एसीबी जांच को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया। प्रशासनिक मामलों के जानकारों का कहना है कि भ्रष्टाचार के मामले में एसीबी जांच की अनुमति के बाद यह मामला प्रशासनिक हलके को चौंकाता है, क्योंकि बहुत सारे ऐसे मामलों में संबंधित अधिकारी की पदोन्नति को रोका गया है।

1

2

3

चहेती फर्म को दिया ऑर्डर 

नवनीत कुमार पर उपभोक्ता विभाग में निदेशक और नियंत्रक रहते हुए सोने व कीमती धातुओं की शुद्धता की जांच के लिए एक करोड़ रुपए की दो कैरेट मीटर मशीन की खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। एडवोकेट टीएन शर्मा ने एसीबी में दर्ज कराई शिकायत में कहा कि नवनीत कुमार के कार्यकाल में उपभोक्ता विभाग में दो कैरेट मीटर मशीन खरीदी गईं।

मशीन खरीद के लिए बनी कमेटी के मुखिया भी नवनीत कुमार ही थे। उन्होंने व दो अन्य अफसरों ने मिलकर मशीन खरीद के लिए आई तीन निविदाओं में से एक को ​तकनीकी आधार पर रद्द कर दिया, जबकि एक अन्य को ज्यादा रेट होने के आधार पर बाहर कर दिया। इस तरह उन्होंने अपनी चहेती फर्म को सप्लाई ऑर्डर दे दिया था। चौंकाने वाली बात यह थी कि एकमात्र टेंडर रहने पर उन्होंने कैरेट मीटर की कीमतों के सही होने की कोई टिप्पणी तक नहीं लिखी। 

राजस्थान में स्टेट-नेशनल हाईवे पर लगेंगे आईटीएमएस कैमरे, वाहन चालकों के हर मूवमेंट पर रहेगी पैनी नजर

legal opinion 1

legal opinion

पांच मिनट पहले खोल दिए टेंडर

राजस्थान में 9 अक्टूबर, 2023 को विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई थी। कैरेट मीटर के टेंडर खोलने का समय सुबह 11.30 तय था, लेकिन टेंडर 5 मिनट पहले खोल ​लिए गए और सभी स्तर से मंजूरी लेकर 12.33 बजे फर्म को सप्लाई ऑर्डर भी दे दिया था।

गंभीर बात यह थी कि निर्वाचन विभाग ने 8 अक्टूबर को ही सर्कुलर जारी करके सप्लाई ऑर्डर जारी करने से पहले विभाग से अनुमति लेने को कह दिया था, लेकिन नवनीत कुमार व अन्य अफसरों ने इसकी कोई जरूरत नहीं समझी। इतना ही नहीं, चहेती फर्म को मशीन का ऑर्डर देने में इतनी जल्दबाजी दिखाई कि एक मृत कर्मचारी राहुल चौधरी और विभाग से बाहर के रविंद्र कुमार जैन की लॉग-इन आईडी का अवैध इस्तेमाल कर तकनीकी निविदा खोल ली।

राजस्थान के सांसद भूपेन्द्र यादव को मिली बंगाल में यह खास जिम्मेदारी, निभाएंगे अहम भूमिका

Letter
Photograph: (the sootr)

न स्पेसिफिकेशन तय हुए, ना हुआ डेमो 

आरटीटीपी नियमों के तहत किसी भी मशीन की खरीद से पहले उसके स्पेसिफिकेशन तय होते हैं और इनके आधार पर ही टेंडर आमंत्रित किए जाते हैं। मशीन की डिलीवरी के बाद उसे चलाकर देखा जाता है। इसकी बाकायदा एक रिपोर्ट भी तैयार होती है, लेकिन नवनीत कुमार की अगुआई वाली परचेज कमेटी ने यही क्या, किसी भी नियम या कानून को नहीं माना था। 

नियमों के अनुसार, टेंडर खुलने के बाद नवनीत कुमार को परचेज कमेटी का मुखिया होने के नाते विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव से तकनीकी और वित्तीय टेंडर का मूल्यांकन करवाकर सक्षम प्राधिकारी और विभागीय मंत्री से अनुमोदन करवाना जरूरी थी, लेकिन उन्होंने बिना किसी मंजूरी के टेंडर खोलकर ऑर्डर दे दिया था।

राजस्थान में हर चौथी महिला के लिए शादी एक बुरा सपना! होना पड़ता घरेलू हिंसा का शिकार

विभाग ने दिए नोटिस, एसीबी ने मांगी अनुमति

कैरेट मीटर खरीद मामले में सरकार ने विभाग के वित्त नियंत्रक की कमेटी से जांच करवाई थी। इसमें शिकायत सही पाई गई। इस पर उपभोक्ता मामले विभाग के प्रमुख सचिव सुबीर कुमार ने 6 दिसंबर, 2024 को नवनीत कुमार, तत्कालीन निदेशक व नियंत्रक विधिक व माप विज्ञान, प्रतीक सोनी, विधिक माप विज्ञान अधिकारी तथा गिरधारीलाल काजला, अधिशासी अभियंता जेवीवीएनएल व तत्कालीन उप-निदेशक उपभोक्ता मामले विभाग को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण देने को कहा था। 

उधर, एसीबी ने कैरेट मीटर खरीद मामले में 7 जनवरी, 2025 को शिकायत नंबर 122 दर्ज की थी, लेकिन लोकसेवक के मामले में जांच से पहले भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-17-ए के तहत सरकार की मंजूरी जरूरी होती है। नवनीत कुमार के मामले में सरकार ने एसीबी को 22 मार्च, 2025 को जांच की अनुमति भी दे दी है, लेकिन जांच में अब तक कोई प्रगति नहीं हो पाई।

राजस्थान में शिक्षक ने फर्जी डिग्री लगाई, रिटायरमेंट से 7 दिन पहले 32 साल की नौकरी रद्द

नवनीत बोले-प्रमोशन रोकने की नी​यत से शिकायत

'द सूत्र' ने नवनीत कुमार से इस मामले में उनका पक्ष जाना। उन्होंने कहा कि कैरेट मीटर मशीन की खरीद में कोई गड़बड़ी नहीं है। विभागीय रंजिश में मेरा प्रमोशन रोकने की नीयत से यह शिकायत की गई थी। नवनीत कुमार के अनुसार, मशीन खरीद की मंजूरी बाकायदा तत्कालीन सीएम और वित्त विभाग से ली थी। इसके खरीद प्रस्ताव को अनीता मीणा के कार्यकाल में तत्कालीन एसीएस अभय कुमार और तत्कालीन मं​त्री ने मंजूरी दी थी। मेरे कार्यकाल में टेंडर प्रक्रिया, खरीद और भुगतान का काम हुआ था। 

नवनीत कुमार ने कहा कि किसी राजपत्रित अधिकारी के खिलाफ एसीबी को जांच की अनुमति देने का अधिकार सिर्फ कार्मिक विभाग के मंत्री को होता है, न कि विभाग के मंत्री को। कार्मिक विभाग के मंत्री सीएम हैं, इसलिए मंत्री की मंजूरी देने का कोई अर्थ नहीं है। इस संबंध में मैंने एसीबी डीजीपी को एक प्रतिवेदन भी दिया है, लेकिन अब तक वहां से कोई जवाब नहीं आया है।

FAQ

1. नवनीत कुमार को भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद आईएएस क्यों बनाया गया?
नवनीत कुमार को भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद आईएएस बनाने का मामला प्रशासनिक हलकों में विवाद का कारण बना है। एसीबी की जांच की मंजूरी मिलने के बावजूद उनकी पदोन्नति की गई।
2. नवनीत कुमार पर क्या भ्रष्टाचार के आरोप हैं?
नवनीत कुमार पर आरोप है कि उन्होंने उपभोक्ता विभाग में केराटोमीटर मशीन की खरीद में भ्रष्टाचार किया। उन्होंने अपनी चहेती फर्म को टेंडर देने के लिए निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ी की।
3. नवनीत कुमार ने आरोपों का क्या बचाव किया?
नवनीत कुमार ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि मशीन की खरीद में कोई गड़बड़ी नहीं की गई और यह शिकायत विभागीय रंजिश का हिस्सा थी। उनका कहना है कि खरीद की प्रक्रिया को संबंधित अधिकारियों से मंजूरी मिली थी।

आईएएस राज्य प्रशासनिक सेवा विवाद पदोन्नति भ्रष्टाचार प्रमोशन राजस्थान
Advertisment