राजस्थान में शिक्षक ने फर्जी डिग्री लगाई, रिटायरमेंट से 7 दिन पहले 32 साल की नौकरी रद्द

राजस्थान में बीएड की फर्जी डिग्री से नौकरी पाने वाले शिक्षक श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल की पोल 32 साल बाद खुली, उनकी नियुक्ति रद्द कर दी गई है। TheSootr में जानें पूरा मामला।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (TheSootr)

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राजस्थान में एक शिक्षक के 32 साल बाद बीएड की फर्जी डिग्री को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। यह मामला उस समय सामने आया जब एक शिक्षक के खिलाफ राजस्थान पुलिस की एसओजी (Special Operations Group) में शिकायत की गई। शिकायत के बाद इसकी जांच शुरू की गई और पता चला कि श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल, जो कि टोंक के एक राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में वरिष्ठ अध्यापक के पद पर कार्यरत थे, ने अपनी नियुक्ति के समय बीएड की फर्जी डिग्री पेश की थी। इस मामले के सामने आने के बाद टोंक जिला परिषद ने 1993 में जारी उनके नियुक्ति आदेश को रद्द कर दिया। खास बात यह है कि शिक्षक 30 सितंबर 2025 को रिटायर होने वाला था।

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श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल का 32 साल पुराना मामला

श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल की नियुक्ति जून 1993 में टोंक जिला परिषद द्वारा की गई थी। उन्हें तृतीय श्रेणी अध्यापक के तौर पर पदस्थापित किया गया था और उन्होंने जुलाई 1993 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय मंडालिया में जॉइन किया था। यह मामला तब सामने आया जब एक माह पहले एसओजी में इस शिक्षक के खिलाफ शिकायत की गई थी, जिसमें कहा गया था कि उसने बीएड की फर्जी डिग्री प्रस्तुत की थी।

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फर्जी डिग्री की जांच

इस शिकायत के बाद एसओजी ने लखनऊ विश्वविद्यालय से जानकारी मांगी, जहां से यह डिग्री जारी होने का दावा किया गया था। जब विश्वविद्यालय से इस मामले में जानकारी ली गई, तो पता चला कि श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल की डिग्री और अंकतालिका उस विश्वविद्यालय से जारी नहीं की गई थी। 10 सितंबर को विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने जवाब दिया कि श्रीकृष्ण की डिग्री और अंकतालिका की कोई वैधता नहीं है।

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32 साल बाद रद्द हुआ नियुक्ति आदेश

इसके बाद टोंक जिला परिषद ने 18 सितंबर को श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल को व्यक्तिगत रूप से अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया। लेकिन शिक्षक ने बीमार होने का बहाना बनाकर खुद को पेश करने के बजाय अपने बेटे को भेजा। उसके बेटे ने बीएड की डिग्री और अंकतालिका के साथ एक सत्यापन रिपोर्ट भी पेश की, जिसमें दावा किया गया था कि विश्वविद्यालय द्वारा नियुक्ति के बाद डिग्री की सत्यापन रिपोर्ट जारी की गई थी।

एसओजी ने फिर से विश्वविद्यालय से जानकारी मांगी, जिसके बाद यह बात सामने आई कि विश्वविद्यालय द्वारा कोई सत्यापन रिपोर्ट जारी नहीं की गई थी। विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार की रिपोर्ट के आधार पर, टोंक जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी परशुराम धानका ने आदेश जारी किया और 32 साल पुराना नियुक्ति आदेश रद्द कर दिया।

शिक्षक की रिटायरमेंट और रद्द हुआ आदेश

यह पूरा मामला बेहद चौंकाने वाला था क्योंकि यह आरोपी शिक्षक महज सात दिन बाद रिटायरमेंट लेने वाला था। इसके बावजूद, टोंक जिला परिषद ने इस मामले में सख्ती दिखाई और उसके 32 साल पुराने नियुक्ति आदेश को रद्द कर दिया। यह निर्णय राज्य के शिक्षा विभाग और सार्वजनिक सेवा में पारदर्शिता और ईमानदारी की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। बता दें, राजस्थान में फर्जी डिग्री से नौकरी हासिल करने वालों पर सख्ती बरती जा रही है।

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FAQ

1. क्या श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल की नियुक्ति गलत थी?
जी हां, श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल ने अपनी नियुक्ति के समय बीएड की फर्जी डिग्री प्रस्तुत की थी, जिसे बाद में जांच के बाद गलत पाया गया और उनका नियुक्ति आदेश रद्द कर दिया गया।
2. कितने साल बाद श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल की डिग्री की पोल खुली?
श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल की फर्जी डिग्री की पोल 32 साल बाद एसओजी की जांच के दौरान खुली, जिसके बाद उनकी नियुक्ति रद्द की गई।
3. क्या श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल के खिलाफ शिकायत एसओजी में की गई थी?
जी हां, करीब एक माह पहले एसओजी में श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल के खिलाफ फर्जी डिग्री के आधार पर शिकायत की गई थी। इसके बाद यह मामला सामने आया।
4. श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल की डिग्री की जांच कहां से की गई?
श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल की बीएड डिग्री की जांच लखनऊ विश्वविद्यालय से की गई, जहां से डिग्री जारी होने का दावा किया गया था, लेकिन विश्वविद्यालय ने इसे खारिज कर दिया।
5. क्या श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल के रिटायरमेंट पर असर पड़ा?
श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल की रिटायरमेंट से सात दिन पहले ही उनका 32 साल पुराना नियुक्ति आदेश रद्द कर दिया गया, जिससे उनके रिटायरमेंट पर भी असर पड़ा।

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