राजस्थान सरकार के लिए चुनौती बना नरेश मीणा का आमरण अनशन, जानें क्या होगा अंजाम

राजस्थान के युवा नेता नरेश मीणा पिपलोद गांव में हुए स्कूल हादसे के मृतक बच्चों के परिजनों को न्यायसंगत मुआवजा दिलाने के लिए आमरण अनशन पर हैं। TheSootr में जानें इस आंदोलन की पूरी कहानी।

author-image
Nitin Kumar Bhal
New Update
naresh-meena-hunger-strike-justice-for-jhalawar-incident

Photograph: (TheSootr)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

राजस्थान के युवा नेता नरेश मीणा का 12 सितंबर 2025 से चल रहा आमरण अनशन अब सरकार के लिए चुनौती बनता जा रहा है। 13 दिन के बाद आमरण अनशन से अब नरेश मीणा की हालत दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। स्थिति यह है कि सरकार की तरफ से उनके इस आमरण अनशन को तुड़वाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की गई है। यह अनशन झालावाड़ जिले के पिपलोद गांव में हुए स्कूल हादसे के मृतक बच्चों के परिवारों को न्यायसंगत मुआवजा दिलाने के लिए किया जा रहा है। इस मुद्दे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। नरेश मीणा का अनशन केवल मुआवजे की मांग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्य सरकार के प्रशासनिक और राजनीतिक ढांचे पर भी सवाल उठाता है। 

यह खबर भी देखें...

पीएम मोदी राजस्थान और मध्यप्रदेश को कल देंगे सौगात, शुरू करेंगे 1.21 लाख करोड़ की परियोजनाएं

naresh-meena-hunger-strike-justice-for-jhalawar-incident
Photograph: (TheSootr)

पिपलोद गांव में हुआ हादसा

झालावाड़ जिले के पिपलोद गांव में जुलाई में एक दर्दनाक हादसा हुआ था, जिसमें 7 बच्चों की जान चली गई थी। यह हादसा उस समय हुआ जब एक स्कूल की छत गिर गई। इस घटना ने न केवल पिपलोद गांव बल्कि पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया। मृतकों के परिजन को न्याय दिलाने की मांग तेज हुई। नरेश मीणा इन परिजन के लिए समुचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

यह खबर भी देखें...

राजस्थान में आयुर्वेदिक दवाओं का संकट, सरकार की अनदेखी से बिगड़ रही सेहत

naresh-meena-hunger-strike-justice-for-jhalawar-incident
पिपलोद स्कूल हादसा। Photograph: (TheSootr)

शहीद स्मारक से शुरू हुआ नरेश मीणा का अनशन

नरेश मीणा ने सबसे पहले जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना दिया था, और इसके बाद जब उनकी तबियत बिगड़ी, उन्हें एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बावजूद, उनका आमरण अनशन जारी है। उनका यह अनशन अब राजनीतिक मुद्दा बन चुका है, और राज्य सरकार के लिए यह एक बड़ा सवाल बन गया है कि वह इस पर कैसे प्रतिक्रिया करेगी।

यह खबर भी देखें...

प्रिसीपल तबादला सूची : जिन्होंने की गड़बड़ी उन्हें इनाम, उत्कृष्ट को भेजा 450 किमी दूर

naresh-meena-hunger-strike-justice-for-jhalawar-incident
Photograph: (TheSootr)


नरेश मीणा की तबीयत अब कैसी है?

नरेश मीणा के स्वास्थ्य की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी साझा की है, जिसमें उन्होंने अपने समर्थकों से आग्रह किया है कि वे उन्हें देखने अस्पताल न आएं, क्योंकि उन्हें संक्रमण का खतरा है। उनकी यह हालत सरकार के लिए एक दबाव बन गई है, क्योंकि यदि उनकी स्थिति और बिगड़ती है, तो यह राज्य सरकार के लिए बड़ी राजनीतिक चुनौती बन सकती है।

नरेश मीणा की छवि में आया बदलाव

नरेश मीणा की पहचान एक उग्र नेता की रही है। इसके चलते राजस्थान के दिग्गज नेता नरेश मीणा से थोड़ी दूरी बना कर रखते हैं। लेकिन इस बार नरेश मीणा ने गांधीवादी आमरण अनशन का सहारा लिया है। ऐसे में बड़े नेताओं की सहानुभूति भी नरेश मीणा के साथ जुड़ी है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, रालोपा सुप्रीमो सांसद हनुमान बेनीवाल और पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा सहित कई विपक्षी नेताओं ने नरेश मीणा के अनशन को नैतिक समर्थन दिया है। इन नेताओं का कहना है कि यह अनशन प्रशासन और राज्य सरकार की लापरवाही के खिलाफ एक बड़ा सवाल है। विपक्ष ने नरेश मीणा के संघर्ष को समर्थन देने का ऐलान किया है, और उनका कहना है कि सरकार को जल्द ही इस मुद्दे का समाधान करना चाहिए।

पसोपेश में राजस्थान सरकार

राज्य सरकार के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बन गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और राज्य प्रशासन के सामने यह सवाल है कि वे इस अनशन का किस तरह जवाब देंगे। नरेश मीणा का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है और उन्हें जल्द से जल्द मुआवजे की घोषणा की उम्मीद है।

यह खबर भी देखें...

चिंताजनक : बालिकाओं की उच्च शिक्षा में पिछड़ रहा राजस्थान, देश में आखिरी तीसरे पायदान पर

अनशन के राजनीतिक प्रभाव

नरेश मीणा आमरण अनशन न केवल मुआवजे की मांग के कारण है, बल्कि यह पूरे राजस्थान की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आया है। विपक्षी दलों ने इसे एक अवसर के रूप में देखा है और राज्य सरकार के खिलाफ इसे अपनी राजनीति का हिस्सा बना लिया है। इस अनशन ने न केवल राज्य की सत्ताधारी पार्टी को घेर लिया है, बल्कि यह पूरे राज्य में राजनीतिक चर्चा का कारण भी बन गया है।

नरेश मीणा की यह लड़ाई उन लोगों की आवाज बन चुकी है जिनके परिजनों को न्याय नहीं मिल पाया। उनकी स्थिति और अनशन ने राजस्थान की राजनीति में न केवल सरकार के खिलाफ असंतोष को बढ़ावा दिया है, बल्कि जनता को भी अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया है।

यह खबर भी देखें...

राजस्थान के 3,848 सरपंच बनेंगे प्रशासक, बढ़ेगा ग्राम पंचायत का कार्यकाल

सरकार चाहे तो चुटकी में समाधान

इस मुद्दे का समाधान तत्काल मुआवजे की घोषणा से किया जा सकता है, जिससे झालावाड़ स्कूल हादसा मृतकों के परिवारों को न्याय मिल सके। इसके अलावा, इस घटना के कारणों की जांच करके भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखाए और न केवल मृतकों के परिवारों को मुआवजा दे, बल्कि पिपलोद गांव और अन्य जगहों पर सुरक्षा उपायों को बढ़ाए।

FAQ

1. नरेश मीणा ने आमरण अनशन क्यों शुरू किया?
नरेश मीणा ने पिपलोद गांव के स्कूल हादसे में मृतकों के परिजनों को न्यायसंगत मुआवजा दिलाने के लिए आमरण अनशन शुरू किया।
2. नरेश मीणा का अनशन कहां चल रहा है?
नरेश मीणा का अनशन जयपुर के एसएमएस अस्पताल में चल रहा है, जहां उनकी तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें भर्ती कराया गया था।
3. नरेश मीणा का समर्थन कौन कर रहा है?
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सांसद हनुमान बेनीवाल, और पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा सहित कई विपक्षी नेताओं ने नरेश मीणा के अनशन को नैतिक समर्थन दिया है।
4. सरकार नरेश मीणा ने आमरण अनशन पर क्या कदम उठाएगी?
सरकार आमरण अनशन को देखते पिपलोद हादसे के मृत बच्चों के परिजन के लिए बड़ी घोषणा कर सकती है। विपक्ष और जनता के दबाव को देखते हुए सरकार जल्द ही इस मुद्दे पर फैसला ले सकती है।
5. नरेश मीणा का स्वास्थ्य कैसे है?
नरेश मीणा का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है, और उन्होंने समर्थकों से अस्पताल न आने की अपील की है क्योंकि उन्हें संक्रमण का खतरा है।
नरेश मीणा की तबीयत अब कैसी है हनुमान बेनीवाल झालावाड़ स्कूल हादसा अशोक गहलोत नरेश मीणा आमरण अनशन नरेश मीणा
Advertisment