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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान के युवा नेता नरेश मीणा का 12 सितंबर 2025 से चल रहा आमरण अनशन अब सरकार के लिए चुनौती बनता जा रहा है। 13 दिन के बाद आमरण अनशन से अब नरेश मीणा की हालत दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। स्थिति यह है कि सरकार की तरफ से उनके इस आमरण अनशन को तुड़वाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की गई है। यह अनशन झालावाड़ जिले के पिपलोद गांव में हुए स्कूल हादसे के मृतक बच्चों के परिवारों को न्यायसंगत मुआवजा दिलाने के लिए किया जा रहा है। इस मुद्दे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। नरेश मीणा का अनशन केवल मुआवजे की मांग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्य सरकार के प्रशासनिक और राजनीतिक ढांचे पर भी सवाल उठाता है।
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पिपलोद गांव में हुआ हादसा
झालावाड़ जिले के पिपलोद गांव में जुलाई में एक दर्दनाक हादसा हुआ था, जिसमें 7 बच्चों की जान चली गई थी। यह हादसा उस समय हुआ जब एक स्कूल की छत गिर गई। इस घटना ने न केवल पिपलोद गांव बल्कि पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया। मृतकों के परिजन को न्याय दिलाने की मांग तेज हुई। नरेश मीणा इन परिजन के लिए समुचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
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शहीद स्मारक से शुरू हुआ नरेश मीणा का अनशन
नरेश मीणा ने सबसे पहले जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना दिया था, और इसके बाद जब उनकी तबियत बिगड़ी, उन्हें एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बावजूद, उनका आमरण अनशन जारी है। उनका यह अनशन अब राजनीतिक मुद्दा बन चुका है, और राज्य सरकार के लिए यह एक बड़ा सवाल बन गया है कि वह इस पर कैसे प्रतिक्रिया करेगी।
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मेरी मांगे नहीं मानते हुए मुझे पुलिस प्रशासन धरना स्थल से जबरदस्ती अस्पताल लेकर जा रहा मैं अभी से अन्न के साथ साथ जल का भी त्याग करता हूँ! pic.twitter.com/PyxxrgiMLA
— Naresh Meena (@NareshMeena__) September 18, 2025
नरेश मीणा की तबीयत अब कैसी है?
नरेश मीणा के स्वास्थ्य की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी साझा की है, जिसमें उन्होंने अपने समर्थकों से आग्रह किया है कि वे उन्हें देखने अस्पताल न आएं, क्योंकि उन्हें संक्रमण का खतरा है। उनकी यह हालत सरकार के लिए एक दबाव बन गई है, क्योंकि यदि उनकी स्थिति और बिगड़ती है, तो यह राज्य सरकार के लिए बड़ी राजनीतिक चुनौती बन सकती है।
कृपया कोई भी साथी मुझसे मिलने अस्पताल नहीं आये अब इनफ़ेक्शन का खतरा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है, जिससे मेरे स्वास्थ्य को गंभीर परेशानी आ सकती है!
— Naresh Meena (@NareshMeena__) September 24, 2025
नरेश मीणा की छवि में आया बदलाव
नरेश मीणा की पहचान एक उग्र नेता की रही है। इसके चलते राजस्थान के दिग्गज नेता नरेश मीणा से थोड़ी दूरी बना कर रखते हैं। लेकिन इस बार नरेश मीणा ने गांधीवादी आमरण अनशन का सहारा लिया है। ऐसे में बड़े नेताओं की सहानुभूति भी नरेश मीणा के साथ जुड़ी है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, रालोपा सुप्रीमो सांसद हनुमान बेनीवाल और पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा सहित कई विपक्षी नेताओं ने नरेश मीणा के अनशन को नैतिक समर्थन दिया है। इन नेताओं का कहना है कि यह अनशन प्रशासन और राज्य सरकार की लापरवाही के खिलाफ एक बड़ा सवाल है। विपक्ष ने नरेश मीणा के संघर्ष को समर्थन देने का ऐलान किया है, और उनका कहना है कि सरकार को जल्द ही इस मुद्दे का समाधान करना चाहिए।
श्री नरेश मीणा पिछले 11 दिन से अनशन पर हैं। श्री नरेश मीणा की भावना अच्छी है कि वह झालावाड़ में स्कूल गिरने से मारे गए बच्चों के परिजनों को अधिक मुआवजा दिलाना चाहते हैं परन्तु मुझे ज्ञात हुआ है कि इस तरह लम्बे समय तक अनशन जारी रखने से उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा…
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) September 22, 2025
#झालावाड़ में हुई स्कूल त्रासदी के बाद दिवंगत हुए मासूम बच्चों के परिजनों के साथ जो अन्याय राजस्थान की सरकार ने किया उससे बुरा कुछ नहीं हो सकता मासूम बच्चों के परिजनों को बकरियां देकर राजस्थान सरकार ने जो अपमान किया है उसकी जितनी निंदा की जाए कम है । मासूम बच्चों के परिजनों… pic.twitter.com/hVoel4tTI2
— Pratap Khachariyawas (@PSKhachariyawas) September 18, 2025
पसोपेश में राजस्थान सरकार
राज्य सरकार के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बन गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और राज्य प्रशासन के सामने यह सवाल है कि वे इस अनशन का किस तरह जवाब देंगे। नरेश मीणा का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है और उन्हें जल्द से जल्द मुआवजे की घोषणा की उम्मीद है।
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— मदन मोहन राजौर (@MadanMohanMINA) September 21, 2025
अनशन के राजनीतिक प्रभाव
नरेश मीणा आमरण अनशन न केवल मुआवजे की मांग के कारण है, बल्कि यह पूरे राजस्थान की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आया है। विपक्षी दलों ने इसे एक अवसर के रूप में देखा है और राज्य सरकार के खिलाफ इसे अपनी राजनीति का हिस्सा बना लिया है। इस अनशन ने न केवल राज्य की सत्ताधारी पार्टी को घेर लिया है, बल्कि यह पूरे राज्य में राजनीतिक चर्चा का कारण भी बन गया है।
नरेश मीणा की यह लड़ाई उन लोगों की आवाज बन चुकी है जिनके परिजनों को न्याय नहीं मिल पाया। उनकी स्थिति और अनशन ने राजस्थान की राजनीति में न केवल सरकार के खिलाफ असंतोष को बढ़ावा दिया है, बल्कि जनता को भी अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया है।
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Naresh Meena Update - बेटे Naresh Meena से मिलने के बाद रोई Maa बोली बेटा रोटी तो खा ले...#NareshMeena#Prahladgunjal#Hanumanbeniwal#RaunakPareek#Punjabkesarirajasthan#Latestnews#Bignews#Nareshmeenalatestnews@NareshMeena__@PSKhachariyawas@PrahladGunjalpic.twitter.com/mTW5qbtiqx
— Punjab Kesari Rajasthan (@punjabkesariraj) September 21, 2025
सरकार चाहे तो चुटकी में समाधान
इस मुद्दे का समाधान तत्काल मुआवजे की घोषणा से किया जा सकता है, जिससे झालावाड़ स्कूल हादसा मृतकों के परिवारों को न्याय मिल सके। इसके अलावा, इस घटना के कारणों की जांच करके भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखाए और न केवल मृतकों के परिवारों को मुआवजा दे, बल्कि पिपलोद गांव और अन्य जगहों पर सुरक्षा उपायों को बढ़ाए।