चिंताजनक : बालिकाओं की उच्च शिक्षा में पिछड़ रहा राजस्थान, देश में आखिरी तीसरे पायदान पर

राजस्थान में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के बावजूद लड़कियों की उच्च माध्यमिक शिक्षा में कमी है। जीपीआई आंकड़े बताते हैं कि राज्य राष्ट्रीय औसत से पीछे है।

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Nitin Kumar Bhal
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‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे राष्ट्रीय अभियान और राज्य सरकार की बालिका शिक्षा योजनाओं के बावजूद राजस्थान में लड़कियों की उच्च माध्यमिक शिक्षा की तस्वीर अभी भी संतोषजनक नहीं है। हालांकि इन अभियानों का उद्देश्य लड़कियों की शिक्षा में सुधार लाना है, लेकिन वास्तविकता यह है कि राजस्थान में लड़कियों की शिक्षा में अभी भी कई चुनौतियाँ हैं। राजस्थान सरकार, शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

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जीपीआई (जेंडर पारिटी इंडेक्स) और राजस्थान की स्थिति

केंद्र सरकार द्वारा जारी लिंग समानता सूचकांक (Gender Parity Index, GPI) के ताजा आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान उच्च शिक्षा के मामले में देश के सबसे कमजोर राज्यों में शामिल है। जीपीआई 2021-22 में 0.90, 2022-23 में 0.92 और 2023-24 में 0.96 रहा। इसका मतलब है कि राजस्थान में उच्च माध्यमिक स्तर पर 100 लड़कों के मुकाबले केवल 96 लड़कियां ही नामांकित हैं। जबकि देश का औसत 2023-24 में 1.07 था, जो राजस्थान के आंकड़े से काफी बेहतर है।

राजस्थान का जीपीआई देश के अन्य राज्यों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है। इस सूची में केवल उत्तराखंड (0.95) और लक्षद्वीप (0.92) राजस्थान से पीछे हैं। यह दर्शाता है कि राज्य में लड़कियों की शिक्षा में सुधार के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

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शुरुआती कक्षाओं में बेहतर लेकिन उच्च कक्षाओं में गिरावट

आंकड़ों से यह साफ है कि राजस्थान में लड़कियों की शिक्षा का स्तर शुरुआती कक्षाओं में बेहतर है। 5वीं कक्षा तक जीपीआई 1.03 है, जिसका मतलब है कि 100 लड़कों पर 100 से अधिक लड़कियां स्कूलों में हैं। लेकिन जैसे-जैसे कक्षा का स्तर बढ़ता है, लड़कियों का नामांकन घटने लगता है। इसका कारण कई सामाजिक और आर्थिक मुद्दे हैं, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

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लड़कियां पढ़ाई क्यों छोड़ देती हैं?

1. बाल विवाह और घरेलू जिम्मेदारियां

बाल विवाह और घरेलू जिम्मेदारियां लड़कियों की शिक्षा में सबसे बड़ी बाधा हैं। राजस्थान के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में किशोरावस्था में ही लड़कियों को घर के कामों की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है या फिर उनका विवाह कर दिया जाता है। इस स्थिति में लड़कियों को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ती है।

2. सुरक्षा और परिवहन की समस्या

ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में सुरक्षित परिवहन की सुविधा नहीं होती, जिससे अभिभावक अपनी बेटियों को स्कूल भेजने से हिचकिचाते हैं। कई बार यह भी देखा गया है कि स्कूलों में लड़कियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं होती। इस कारण लड़कियों को उच्च माध्यमिक शिक्षा की ओर प्रेरित करना और उनकी शिक्षा को सुनिश्चित करना कठिन हो जाता है।

3. सुविधाओं की कमी

कई स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है, जैसे शौचालय और उपयुक्त इन्फ्रास्ट्रक्चर। यह उन लड़कियों के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है, जो मासिक धर्म जैसी समस्याओं का सामना करती हैं। शौचालय की कमी और अन्य सुविधाओं का अभाव लड़कियों को स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर कर सकता है।

4. आर्थिक कारण

राजस्थान के कई गरीब परिवारों के लिए लड़कियों की शिक्षा एक ‘बोझ’ जैसी लगने लगती है। ऐसे परिवारों में लड़कों को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि लड़कियों की शिक्षा को नजरअंदाज किया जाता है। ये परिवार अपनी बेटियों को स्कूल भेजने के बजाय उनके लिए जल्दी से शादी का सोचते हैं, जिससे लड़कियों की शिक्षा अधूरी रह जाती है।

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राजस्थान में बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने के लिए क्या किया जा सकता है?

राजस्थान में लड़कियों की उच्च माध्यमिक शिक्षा में सुधार के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। सबसे पहले, उन लड़कियों की पहचान करना जरूरी है जो हायर सेकेंडरी तक नहीं पहुंच पा रही हैं। बाल विवाह, घरेलू जिम्मेदारी और रूढ़िवादी सोच उनकी पढ़ाई को रोक देती है। इन समस्याओं का समाधान शिक्षा में निवेश और जागरूकता के माध्यम से किया जा सकता है।

1. शिक्षा में निवेश

राज्य सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में अधिक निवेश करना होगा। यह केवल बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के बारे में नहीं है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि हर लड़की को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है। स्कूलों में शौचालय, पुस्तकालय और विज्ञान प्रयोगशालाओं जैसी सुविधाएं आवश्यक हैं।

2. जागरूकता अभियान

शिक्षा के प्रति जागरूकता लाने के लिए समुदाय, पंचायतें और स्वयंसेवी संगठन सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करना और उनके परिवहन की समस्या को हल करना बेहद जरूरी है।

3. स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था

लड़कियों के लिए सुरक्षित स्कूल माहौल सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था और परिवहन सुविधा को मजबूत किया जाए। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि लड़कियों को स्कूल जाने के दौरान कोई खतरा न हो।

4. दूरदराज इलाकों में नए स्कूल

राजस्थान के दूरदराज इलाकों में नए हायर सेकेंडरी स्कूल खोले जाने चाहिए। इसके साथ ही मौजूदा स्कूलों में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने की आवश्यकता है। जब तक शिक्षा के आधारभूत ढांचे को मजबूत नहीं किया जाएगा, तब तक शिक्षा में सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

राजस्थान में बालिका शिक्षा में सुधार के उपाय

राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए राज्य सरकार को कई महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे:

  • आर्थिक सहायता: राज्य सरकार को गरीब परिवारों के लिए वित्तीय सहायता योजनाओं की घोषणा करनी चाहिए, ताकि लड़कियों को मुफ्त शिक्षा मिल सके।

  • सुरक्षा और परिवहन: ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में लड़कियों के लिए सुरक्षित परिवहन व्यवस्था और स्कूलों में सुरक्षा का मजबूत प्रबंध होना चाहिए।

  • जागरूकता अभियान: लड़कियों की शिक्षा के महत्व पर जागरूकता फैलाने के लिए नियमित रूप से अभियान चलाए जाने चाहिए।

FAQ

1. राजस्थान में लड़कियों की उच्च माध्यमिक शिक्षा में कमी क्यों है?
राजस्थान में लड़कियों की उच्च माध्यमिक शिक्षा में कमी के कारण बाल विवाह, घरेलू जिम्मेदारियां, सुरक्षा और परिवहन की समस्या, सुविधाओं की कमी, और आर्थिक कारण हैं।
2. राजस्थान का जीपीआई क्या है?
राजस्थान का जीपीआई 2021-22 में 0.90, 2022-23 में 0.92 और 2023-24 में 0.96 था, जो राष्ट्रीय औसत से कम है।
3. राजस्थान में लड़कियां क्यों पढ़ाई छोड़ देती हैं?
लड़कियां बाल विवाह, घर की जिम्मेदारियां, सुरक्षा की समस्या, सुविधाओं की कमी और आर्थिक कारणों के कारण पढ़ाई छोड़ देती हैं।
4. राजस्थान में ल​ड़कियों की पढ़ाई छोड़ने की समस्या का समाधान कैसे किया जा सकता है?
शिक्षा में निवेश, जागरूकता अभियान, स्कूलों में बेहतर सुरक्षा और परिवहन व्यवस्था, और दूरदराज इलाकों में नए स्कूल खोलने से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।
5. राज्य सरकार को बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
राज्य सरकार को शिक्षा में निवेश बढ़ाने, लड़कियों के लिए सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था, स्कूलों में सुरक्षा प्रबंध, और आर्थिक सहायता योजनाओं को लागू करना चाहिए।

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