राजस्थान में आयुर्वेदिक दवाओं का संकट, सरकार की अनदेखी से बिगड़ रही सेहत

राजस्थान के आयुर्वेद चिकित्सालयों में दवाओं की कमी को लेकर चिंता बढ़ी है। दिसंबर 2024 से दवाओं की आपूर्ति में लगातार देरी हो रही है, जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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Nitin Kumar Bhal
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राजस्थान के आयुर्वेद चिकित्सालयों में दिसंबर 2024 से दवाओं की कमी को लेकर गंभीर समस्या सामने आई है। राज्य के आयुर्वेद विभाग ने दावा किया था कि जनवरी 2025 तक 150 दवाओं की आपूर्ति हो जाएगी, लेकिन कई माह बाद भी विभाग ने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। इस स्थिति ने प्रदेशभर के आयुर्वेदिक अस्पतालों और चिकित्सालयों में परेशानी बढ़ा दी है। ऐसे में लोगों को दवाओं के अभाव में मजबूरन एलोपैथी की ओर दौड़ना पड़ रहा है।

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दवाओं की आपूर्ति में देरी

राजस्थान के अधिकांश जिला अस्पतालों में 9 महीने बाद भी 100 दवाओं की आपूर्ति नहीं हो पाई है। कई अन्य अस्पतालों में भी दवाओं की गंभीर कमी का सामना किया जा रहा है। जोधपुर सहित अन्य संभागों के आयुर्वेद अधिकारियों ने 190 दवाओं की सूची भेजी थी, लेकिन स्थिति अब तक बेहतर नहीं हुई है। जोधपुर में पहले 67 तरह की दवाएं आईं थीं, जिन्हें अस्पतालों और चिकित्सालयों में भेज दिया गया। अब, 14 दवाओं की पैकिंग रसायनशाला में चल रही है और कुछ अन्य दवाओं की आपूर्ति का इंतजार किया जा रहा है।

हालांकि, राजस्थान आयुर्वेद विभाग के निदेशक डॉ. आनंद शर्मा का कहना है कि प्रदेश के अस्पतालों में दवाओं की कमी नहीं है और वे अच्छा सामान मुहैया करवा रहे हैं। उनका दावा है कि तीन अलग-अलग सूची के अनुसार दवाइयों की आपूर्ति की जाती है, और इस बार विशेष रूप से दवाओं की आपूर्ति बेहतर हुई है। 

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अस्पतालों के लिए दवाओं की आवश्यकता

राजस्थान के आयुर्वेद अस्पतालों के लिए दवाओं की आपूर्ति एक गंभीर समस्या बनी हुई है। राज्य में कुल 33 जिला अस्पताल, 88 चिकित्सालय और 3578 औषधालय हैं। इन सभी अस्पतालों और औषधालयों में दवाओं की लगातार आपूर्ति नहीं हो पा रही है, जिससे मरीजों को जरूरी इलाज नहीं मिल पा रहा है।

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अस्पतालों के लिए दवाओं की सूची

राजस्थान के अस्पतालों के लिए दवाओं की संख्या निम्नलिखित है:

  • जिला अस्पताल: 190 दवाएं

  • चिकित्सालय: 124 दवाएं

  • औषधालय: 90 दवाएं

इसमें भी देखा गया है कि जिला अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति पर्याप्त नहीं हो पा रही है, जिससे इलाज की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।

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दवाओं की आपूर्ति में कमी के कारण

राजस्थान के आयुर्वेद अस्पतालों में दवाओं की कमी का मुख्य कारण वितरण प्रणाली की कमी और आपूर्ति में देरी हो सकती है। जब तक सही समय पर दवाएं अस्पतालों और चिकित्सालयों तक नहीं पहुंचतीं, तब तक मरीजों को इलाज में रुकावट आती है। यही कारण है कि इस मुद्दे को लेकर स्थानीय चिकित्सक और मरीज दोनों ही चिंतित हैं।

औषधालयों में कमी

राजस्थान के अधिकांश औषधालयों में भी 90 प्रकार की आयुर्वेदिक दवाओं की कमी है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब मरीजों को इलाज के लिए जरूरी दवाएं तुरंत चाहिए होती हैं। लेकिन, दवाओं की आपूर्ति में देरी होने के कारण यह समस्या और भी बढ़ जाती है।

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दवाओं की आपूर्ति प्रक्रिया

दवाओं की आपूर्ति प्रक्रिया राज्य के आयुर्वेद विभाग द्वारा तीन प्रमुख सूची के आधार पर की जाती है। यह सूची हर अस्पताल और औषधालय की जरूरतों के हिसाब से बनाई जाती है। हालांकि, दवाओं की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इन सूची का सही तरीके से पालन करना जरूरी है।

आयुर्वेद क्या है?

आयुर्वेद के बारे में मुख्य बिंदु (हिंदी में):

  1. आयुर्वेद का अर्थ: आयुर्वेद का मतलब है "जीवन का ज्ञान," जो भारत की प्राचीन और समग्र चिकित्सा पद्धति है। यह शरीर, मन और आत्मा को एकीकृत कर स्वास्थ्य और कल्याण पर ध्यान केंद्रित करता है।

  2. दोषों का संतुलन: आयुर्वेद के अनुसार, हमारे शरीर में तीन मुख्य दोष होते हैं – वात, पित्त और कफ। इन दोषों का संतुलन ही शरीर के स्वास्थ्य को निर्धारित करता है, और इनका असंतुलन बीमारियों का कारण बन सकता है।

  3. समग्र दृष्टिकोण: आयुर्वेद न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य पर, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देता है। यह व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य की देखभाल करता है।

  4. प्राकृतिक संबंध: आयुर्वेद यह मानता है कि हर व्यक्ति और ब्रह्मांड आपस में जुड़े हुए हैं। किसी एक क्षेत्र में असंतुलन दूसरे क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है।

  5. उपचार और तकनीकें:

    • आहार और जड़ी-बूटियाँ: आयुर्वेद में शारीरिक संतुलन बनाए रखने के लिए विशेष आहार, मसाले और जड़ी-बूटियाँ उपयोग की जाती हैं।

    • योग और ध्यान: शरीर और मन के सामंजस्य के लिए योग और ध्यान का अभ्यास किया जाता है।

    • पंचकर्म: यह एक शुद्धिकरण प्रक्रिया है, जिसमें शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

    • जीवनशैली में बदलाव: आयुर्वेद में स्वस्थ जीवन के लिए नियमित दिनचर्या, मालिश और त्वचा देखभाल जैसी प्रथाओं को बढ़ावा दिया जाता है।

  6. इतिहास और उत्पत्ति: आयुर्वेद की उत्पत्ति हजारों साल पहले भारत में हुई। इसका आधार अथर्ववेद में पाया जाता है और यह प्राचीन वैदिक परंपरा का हिस्सा है। यह एक तार्किक और वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति है जो आज भी प्रासंगिक है।

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जोधपुर में दवाओं की स्थिति

जोधपुर में पहले 67 तरह की दवाएं भेजी गई थीं, जो अब अस्पतालों में वितरित की जा चुकी हैं। वर्तमान में, 14 दवाओं की पैकिंग रसायनशाला में चल रही है और 47 दवाओं की आपूर्ति भी की गई है। इन दवाओं की आपूर्ति जल्द ही संभाग के जिलों में की जाएगी। इसके बाद, 40 दवाओं की और आपूर्ति का इंतजार किया जा रहा है। हालांकि, यह सभी दवाएं मिलकर भी अस्पतालों के लिए निर्धारित 190 दवाओं की संख्या तक नहीं पहुंच पाएंगी।

FAQ

1. राजस्थान के आयुर्वेद चिकित्सालयों में दवाओं की कमी क्यों हो रही है?
राजस्थान के आयुर्वेद चिकित्सालयों में दवाओं की कमी आपूर्ति में देरी और वितरण प्रणाली की कमी के कारण हो रही है। कई दवाएं समय पर अस्पतालों तक नहीं पहुंच रही हैं।
2. आयुर्वेद विभाग के निदेशक ने दवाओं की कमी पर क्या कहा है?
आयुर्वेद विभाग के निदेशक डॉ. आनंद शर्मा का कहना है कि प्रदेश के अस्पतालों में दवाओं की कमी नहीं है और वे अच्छी गुणवत्ता की दवाओं की आपूर्ति कर रहे हैं।
3. राजस्थान में कितने आयुर्वेद अस्पताल और औषधालय हैं?
राजस्थान में कुल 33 जिला अस्पताल, 88 चिकित्सालय और 3578 औषधालय हैं।
4. जोधपुर में आयुर्वेद दवाओं की स्थिति क्या है?
जोधपुर में 67 तरह की दवाओं की आपूर्ति की गई है, और 14 दवाओं की पैकिंग रसायनशाला में चल रही है। अन्य दवाओं की आपूर्ति का इंतजार किया जा रहा है।
5. राजस्थान में आयुर्वेद दवाओं की आपूर्ति कब पूरी होगी?
राजस्थान में आयुर्वेद दवाओं की आपूर्ति कब पूरी होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपूर्ति प्रक्रिया में सुधार किया जाता है या नहीं। वर्तमान में, कुछ दवाएं अभी भी नहीं आई हैं।

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