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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान में मोबाइल उपभोक्ताओं की घटती संख्या ने टेलीकॉम कंपनियों को चिंता में डाल दिया है। पिछले कुछ वर्षों में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। यह स्थिति न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश में देखने को मिल रही है। राजस्थान में टेलीडेंसिटी (Tele-density) में लगातार गिरावट देखी जा रही है, जिससे राज्य में टेलीकॉम कंपनियों के लिए न केवल प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, बल्कि उनकी योजना और रणनीतियों को भी नए तरीके से बनाना पड़ा है।
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टेलीडेंसिटी क्या है?
टेलीडेंसिटी का मतलब है कि किसी भी राज्य की जनसंख्या के हिसाब से वहां कितने लोग मोबाइल कनेक्शन का उपयोग कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, राजस्थान की टेलीडेंसिटी 80.03 प्रतिशत है, इसका मतलब यह है कि राज्य की 80 प्रतिशत जनसंख्या के पास मोबाइल कनेक्शन है। इसी प्रकार, पूरे देश की टेलीडेंसिटी 86.15 प्रतिशत के आसपास है। पिछले पांच सालों में, राजस्थान की टेलीडेंसिटी में 3 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो कि एक चिंताजनक संकेत है।
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गिरते टेलीडेंसिटी के कारण
इस गिरावट के कई कारण हैं। सबसे प्रमुख कारण मोबाइल टैरिफ (Mobile Tariffs) में वृद्धि है। पहले उपभोक्ताओं के पास अलग-अलग कंपनियों के कनेक्शन होते थे ताकि वे अलग-अलग ऑफरों का फायदा उठा सकें, लेकिन अब महंगे पैक और कड़े नियमों के कारण लोग एक ही सिम पर निर्भर हो गए हैं। इस कारण से दो सिम रखने वाले उपभोक्ताओं की संख्या में कमी आई है।
इसके अलावा, नेटवर्क समस्याएं और कॉल ड्रॉप्स (Call Drops) भी एक अन्य कारण हैं। मोबाइल ऑपरेटरों का इन्फ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure) पर्याप्त रूप से अपग्रेड नहीं हो पाया है, जबकि डेटा उपयोग और उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि हुई है। परिणामस्वरूप, कुछ इलाकों में संसाधनों की कमी हो रही है और उपभोक्ताओं को धीमी इंटरनेट स्पीड का सामना करना पड़ रहा है।
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टेलीकॉम कंपनियों को अपनी नेटवर्क क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्हें और अधिक मस्तिष्क समाधान (Intelligent Solutions) लागू करने होंगे, ताकि उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा मिल सके। यह टेलीकॉम कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है, क्योंकि यदि इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो उपभोक्ता और भी अधिक परेशान हो सकते हैं और वे दूसरे ऑपरेटरों की ओर रुख कर सकते हैं।
टेलीडेंसिटी में गिरावट की तुलना
यह गिरावट सिर्फ राजस्थान तक ही सीमित नहीं है। देशभर में विभिन्न राज्यों में टेलीडेंसिटी में गिरावट देखी जा रही है। यहां हम देख सकते हैं कि 2021 और 2025 के बीच कुछ प्रमुख राज्यों में टेलीडेंसिटी में कितनी गिरावट आई है:
प्रमुख राज्यों में टेलीडेंसिटी का आंकड़ा
उत्तर प्रदेश: 2021 में 69.17 प्रतिशत और 2025 में 66.92 प्रतिशत।
पंजाब: 2021 में 126.05 प्रतिशत और 2025 में 111.71 प्रतिशत।
गुजरात: 2021 में 100.17 प्रतिशत और 2025 में 93.25 प्रतिशत।
पश्चिम बंगाल: 2021 में 85.46 प्रतिशत और 2025 में 81.83 प्रतिशत।
हरियाणा: 2021 में 96.28 प्रतिशत और 2025 में 88.45 प्रतिशत।
महाराष्ट्र: 2021 में 108.45 प्रतिशत और 2025 में 103.02 प्रतिशत।
हिमाचल प्रदेश: 2021 में 148.72 प्रतिशत और 2025 में 120.60 प्रतिशत।
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राजस्थान में टेलीडेंसिटी का आंकड़ा
राजस्थान में 2021 में टेलीडेंसिटी 83.08 प्रतिशत थी, जो 2025 में घटकर 80.03 प्रतिशत हो गई है। यह गिरावट 3 प्रतिशत की है, और राज्य की टेलीडेंसिटी देश के औसत से 6.12 प्रतिशत कम है। यह गिरावट उस समय में हुई है जब देश में औसतन टेलीडेंसिटी 86.15 प्रतिशत थी।
अन्य राज्यों की तुलना
राजस्थान में टेलीडेंसिटी की गिरावट को देखते हुए, अन्य राज्यों की तुलना भी की जा सकती है:
हिमाचल प्रदेश: यहां 28.12 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
पंजाब: यहां 14.34 प्रतिशत की गिरावट आई है।
केरल: यहां 9.83 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।
नेटवर्क समस्या और कॉल ड्रॉप
राजस्थान में मोबाइल नेटवर्क (Mobile Network) की समस्याएं बढ़ी हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में कॉल ड्रॉप्स की समस्या अधिक देखी जा रही है। इसके कारण उपभोक्ताओं को नेटवर्क से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, डेटा स्पीड (Data Speed) भी एक बड़ी समस्या बन चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति में सुधार तभी संभव है जब टेलीकॉम कंपनियां अपने नेटवर्क और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार करें।
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