राजस्थान कांग्रेस को जल्द मिलेंगे नए जिलाध्यक्ष, संगठन सृजन अभियान शुरू

राजस्थान कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव की प्रक्रिया में तेजी आई है, जिसमें 50 जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को प्राथमिकता दी जा रही है। एआइसीसी ने बड़े नेताओं को राजस्थान भेजा है। TheSootr

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Nitin Kumar Bhal
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राजस्थान कांग्रेस में बड़े संगठनात्मक बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इन बदलावों के तहत, एआइसीसी (All India Congress Committee) ने राज्य के 50 जिलों में नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को तेज़ी से पूरा करने का निर्णय लिया है। यह प्रक्रिया राज्य में कांग्रेस पार्टी को और मजबूती देने और आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए अहम कदम है।

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संगठन सृजन अभियान: एक प्रमुख पहल

‘संगठन सृजन अभियान’ कांग्रेस पार्टी का एक महत्वपूर्ण अभियान है, जिसके तहत पार्टी संगठन को मजबूत करने और कार्यकर्ताओं को नए जिलाध्यक्षों के रूप में सक्षम नेतृत्व प्रदान करने की योजना बनाई जा रही है। इस अभियान के तहत एआइसीसी ने अपने वरिष्ठ नेताओं को जिलों में भेजा है, ताकि वे स्थानीय नेताओं से संवाद करके उपयुक्त जिलाध्यक्षों के तीन-तीन नामों का पैनल तैयार कर सकें।

डोटासरा ने दी जानकारी

राजस्थान कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने इस संबंध में सोशल मीडिया पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि AICC द्वारा संगठन सृजन अभियान के लिए राजस्थान में नियुक्त किए गए समस्त ऑब्ज़र्वर को हार्दिक बधाई एवं प्रदेश में अभिनंदन है।

वरिष्ठ नेताओं की नियुक्ति

इस प्रक्रिया के तहत एआइसीसी ने 30 वरिष्ठ नेताओं को ऑब्जर्वर (Observer) के रूप में विभिन्न जिलों में भेजा है। ये वरिष्ठ नेता स्थानीय नेताओं से मिलकर उन जिलों के लिए नामों का चयन करेंगे। इस कार्य को लेकर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का कहना है कि यह प्रक्रिया स्थानीय स्तर पर पार्टी की स्थिति को मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगी।

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नए जिलों में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति

राजस्थान में हाल ही में 8 नए जिले बनाए गए हैं, और इन नए जिलों में पहली बार जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की जाएगी। इसके अलावा, 33 पुराने जिलों में भी नए सिरे से जिलाध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे। यह प्रक्रिया कांग्रेस पार्टी की योजना का हिस्सा है, जिसमें राज्य में पार्टी के संगठन को फिर से तैयार करने और सुधारने पर जोर दिया जा रहा है। पार्टी के संगठनात्मक अन्य नौ जिलों में भी अध्यक्षों की नियुक्ति होगी।

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पैनल का चयन और अंतिम निर्णय

स्थानीय नेताओं द्वारा तैयार किए गए पैनल को दिल्ली भेजा जाएगा, जहां एआइसीसी स्तर पर विचार-विमर्श के बाद राहुल गांधी द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाएगा। यह निर्णय कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन नियुक्तियों के बाद पार्टी की कार्यप्रणाली में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस क्या है?

  • स्थापना और उद्देश्य: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में हुई थी, और इसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटेन से भारत की स्वतंत्रता प्राप्त करना था। यह भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी रही है और देश की कई सरकारों का हिस्सा रही है।

  • स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका: कांग्रेस ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाई और 2014 से पहले केंद्र में सत्ता में रही थी।

  • उपनिवेशवाद विरोधी विचार: भारतीय उपमहाद्वीप में उपनिवेशवाद विरोधी विचार 18वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी के बढ़ते प्रभाव से जुड़ा है। 19वीं शताब्दी के मध्य तक ये विचार और मजबूत हुए।

  • नेताओं की भूमिका: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में दादाभाई नौरोजी, सुरेंद्रनाथ बनर्जी और ब्रिटिश अधिकारी एलन ऑक्टेवियन ह्यूम जैसे प्रमुख नेताओं का योगदान था।

  • पहली बैठक: कांग्रेस की पहली बैठक 1885 में बॉम्बे (अब मुंबई) में हुई थी, जिसमें 72 सदस्य शामिल थे और डब्ल्यूसी बनर्जी अध्यक्ष थे।

  • गरमपंथी और नरमपंथी विवाद: 1907 में सूरत सत्र में गरमपंथियों और नरमपंथियों के बीच विवाद हुआ, जिसमें कांग्रेस दो गुटों में बंट गई थी। बाद में 1915 में दोनों गुटों ने सुलह की।

  • महात्मा गांधी का नेतृत्व: महात्मा गांधी ने 1920 और 1930 के दशक में अहिंसक असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। यह आंदोलन रॉलेट एक्ट और जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में था।

  • स्वराज पार्टी का गठन: 1923 और 1937 में स्वराज पार्टी ने आम चुनाव लड़ा और 1937 में यह पार्टी ने 7 प्रांतों में सफलता प्राप्त की।

  • नेहरू रिपोर्ट और डोमिनियन स्टेटस: 1928 में नेहरू रिपोर्ट के द्वारा डोमिनियन स्टेटस की मांग की गई। 1929 में लाहौर अधिवेशन में इसे पूर्ण स्वराज में बदल दिया गया।

  • भारत छोड़ो आंदोलन: 1942 में गांधीजी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन का आयोजन किया गया, जिसमें कांग्रेस ने अंग्रेजों से भारत छोड़ने की मांग की। ब्रिटिश अधिकारियों ने कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार किया।

  • स्वतंत्रता प्राप्ति: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन ने भारत को स्वतंत्रता देने का फैसला लिया। 1947 में स्वतंत्रता विधेयक पारित किया गया और भारत को दो देशों में विभाजित किया गया।

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कांग्रेस पार्टी का संगठनात्मक विस्तार

कांग्रेस पार्टी अब अपने संगठन का विस्तार करने और उसे मजबूती देने की दिशा में काम कर रही है। भाजपा के संगठन विस्तार और उसकी स्थानीय स्तर पर सक्रियता को देखते हुए कांग्रेस पार्टी अब अपनी जड़ों को फिर से मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है। इस बदलाव के तहत पार्टी अपने पुराने और नए कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास करेगी, ताकि पार्टी को भविष्य में चुनावों में बेहतर सफलता मिल सके।

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FAQ

1. राजस्थान कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव क्यों हो रहा है?
राजस्थान कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव का मुख्य उद्देश्य पार्टी के संगठन को मजबूत करना और आगामी चुनावों के लिए तैयार करना है। एआइसीसी ने 50 जिलों में नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति का निर्णय लिया है, ताकि पार्टी को हर स्तर पर मजबूत किया जा सके।
2. ‘संगठन सृजन अभियान’ क्या है?
‘संगठन सृजन अभियान’ कांग्रेस पार्टी का एक अभियान है, जिसके तहत पार्टी संगठन को फिर से स्थापित किया जा रहा है। इस अभियान के तहत एआइसीसी ने वरिष्ठ नेताओं को जिलों में भेजा है, जो वहां स्थानीय नेताओं से मिलकर जिलाध्यक्षों के नामों का चयन करेंगे।
3. नए जिलों में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति कब होगी?
राजस्थान में हाल ही में 8 नए जिलों का गठन हुआ है, और इन जिलों में पहली बार जिलाध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे। इस प्रक्रिया को शीघ्र पूरा किया जाएगा।
4. राहुल गांधी के द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया क्या है?
स्थानीय स्तर पर जिलाध्यक्षों के लिए नामों का पैनल तैयार किया जाएगा और उसे दिल्ली भेजा जाएगा। इसके बाद, एआइसीसी द्वारा विचार-विमर्श कर राहुल गांधी के नेतृत्व में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
5. कांग्रेस पार्टी का संगठन विस्तार क्यों जरूरी है?
कांग्रेस पार्टी का संगठन विस्तार इस समय महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा की सक्रियता को देखते हुए पार्टी को अपनी जड़ों को फिर से मजबूत करना है। यह पार्टी को चुनावों में सफलता दिलाने के लिए जरूरी कदम है।

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