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Photograph: (TheSootr)
मुकेश शर्मा @ जयपुर
राजस्थान में अलवर के अतिथि आश्रम की बेशकीमती 4.5 बीघा जमीन को लेकर पूर्व राजपरिवार के सदस्य व पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद सिंह और पूर्व विधायक बनवारीलाल सिंघल के बीच चल रहे अलवर अतिथि आश्रम विवाद में नया मोड़ आ गया है। जितेंद्र सिंह को इस बेशकीमती जमीन पर राजस्थान हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। अदालत ने दोनों पक्षों को अगली सुनवाई तक विवादित संपत्ति पर यथास्थिति बनाए रखने को कहा है।
पूर्व विधायक बनवारी लाल सिंघल और उनके छोटे भाई राजेश सिंघल ने अलवर के पूर्व राजा तेजसिंह (जितेन्द्र सिंह के दादा) की अलवर स्थित अतिथि आश्रम की कृषि भूमि खसरा नम्बर 942, 943 व 944 को खरीदने का एग्रीमेंट 18 अप्रेल, 2005 को किया था। यह एग्रीमेंट दिवंगत तेजसिंह के मुख्त्यारआम (पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर) एडवोकेट अमरराज लाल ने किया था। ट्रायल कोर्ट इस मामले में जितेंद्र सिंह का दावा खारिज कर चुका है। हाईकोर्ट के जस्टिस गणेशराम मीणा ने पूर्व मंत्री जितेंद्र सिंह को राहत देते हुए कहा है कि ट्रायल कोर्ट के आदेश में दिए गए निष्कर्ष का अन्य मुकदमों पर कोई प्रभाव नहीं होगा। अदालत ने जितेंद्र सिंह की याचिका पर यह अंतरिम आदेश दिए।
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दादा को बताया मानसिक रूप से अस्थिर
पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह ने ट्रायल कोर्ट में एक दावा पेश किया था। इसमें उन्होंने बताया कि तेजसिंह उनके दादा हैं और वह उनके बड़े बेटे प्रतापसिंह की संतान हैं। तेजसिंह की मानसिक स्थिति सही नहीं है, इसलिए इस संबंध में कानूनी घोषणा की जाए। जितेंद्र सिंह ने अपने दादा की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने के आधार पर एडवोकेट अमरराजलाल के पक्ष में जारी दो पॉवर ऑफ अटार्नी सहित इनके आधार पर बनवारीलाल सिंघव और राजेश सिंघल के पक्ष में अलवर अतिथि आश्रम को बेचने के एग्रीमेंट, तेजसिंह की ओर से राजस्थान सरकार को 30 एकड़ जमीन को छोड़कर बाकी जमीन लेने के लिए लिखे पत्र को रद्ध करने की प्रार्थना की थी।
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एसडीओ कोर्ट में तो पॉवर ऑफ अटार्नी जितेंद्र सिंह ही थे
इस मामले में बनवारीलाल ​सिंघल की ओर से बताया गया था कि पूर्व महाराजा तेजसिंह वर्ष 2005 में सीलिंग एक्ट में जमीन के मामले में एसडीओ कोर्ट से हार गए थे। इस आदेश के खिलाफ ​तेजसिंह के पॉवर ऑफ अटार्नी के तौर पर जितेंद्र सिंह ने ही खुद अपील पेश की थी। लेकिन, इस अपील में उन्होंने पूर्व महाराजा तेज सिंह की मानसिक स्थिति सही नहीं होने का कोई उल्लेख नहीं किया था।
अगर उनकी मानसिक स्थिति सही नहीं होने पर कोर्ट उनके लिए वाद-मित्र नियुक्त करती। लेकिन जितेद्र सिंह ही खुद उनके मुखत्यार आम थे। बनवारीलाल सिंघल ने पूर्व महाराजा तेज सिंह की ओर से विभिन्न मुकदमों में दिए गए वकालतनामे पेश कर बताया कि उनकी मानसिक स्थिति सही थी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हुई मानसिक स्वास्थ्य की जांच
पूर्व महाराजा तेजसिंह ने एक अन्य मुकदमे को दिल्ली ट्रांसफर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर पिटिशन लगाई थी। यहां भी उनके मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं होने की बात उठी तो सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड से तेजसिंह की मानसिक स्थिति की जांच के आदेश दिए थे। मेडिकल बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में पेश रिपोर्ट में बताया कि उनके पहुंचने पर पूर्व महाराजा ने हाथ हिलाकर अभिवादन किया, भोजन और स्वयं तथा परिजनों के नाम भी बताए थे और दस्तखत करके दिखाए थे। लेकिन, वह गणित के प्रश्न हल नहीं कर पाए थे। मेडिकल बोर्ड ने उन्हें स्वस्थ चित्त बताया लेकिन,लकवे के कारण तात्कालिक दुर्बलता होना बताया था। बनवारीलाल सिंघल के इस रिपोर्ट को ट्रायल कोर्ट में पेश किया तो जितेद्र सिंह ने नई मेडिकल जांच की मांग की थी। कोर्ट ने सीनियर डॉक्टर से जांच करवाने के आदेश दिए थे।
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निचली कोर्ट की पुलिस को ले जाने पर आपत्ति
इस आदेश के बाद जितेद्र सिंह डॉक्टर और पुलिस के साथ महाराजा तेजसिंह के दिल्ली स्थित आवास पर पहुंचे थे। डॉक्टरों ने जांच के बाद पूर्व महाराजा तेज सिंह को स्वस्थचित्त का नहीं बताया था। अलवर की एडीजे कोर्ट ने जांच के लिए सीनियर डॉक्टरों की टीम को नही ले जाने और साथ में पुलिस को ले जाने पर आपत्ति जताई थी। अलवर एडीजे कोर्ट ने पूर्व महाराजा तेज सिंह की सुप्रीम कोर्ट में पेश स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्ट को ही सही मानते हुए उन्हें मानसिक रुप से स्वस्थ मानते हुए कहा कि उनकी दोनों पॉवर ऑफ अटार्नी और राज्य सरकार को जमीन देने के लिए लिखे गए पत्र को सही ठहराते हुए 14 मई,2025 को जितेंद्र सिंह का दावा खारिज कर दिया था। इसी आदेश को जितेद्र सिंह ने हाईकेार्ट में चुनौती दी है।
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