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Photograph: (TheSootr)
Bharatpur Former Royal Family Dispute : राजस्थान के भरतपुर में पूर्व राजपरिवार के निवास मोतीमहल को लेकर मचा बवाल दिनों-दिन नया रूप लेता नजर आ रहा है। 21 सितंबर 2025 को मोतीमहल पर पुराना रिसायतकालीन झंडा लगाने को लेकर जाट समाज का आंदोलन तो पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेन्द्र सिंह की अपील पर थम गया। पूरा दिन शांति से गुजर गया। लेकिन, रात को भरतपुर के मनुदेव सिनसिनी ने मोतीमहल के पीछे के सदर गेट को तोड़ कर पुराना रियासतकालीन झंडा लगाने की कोशिश की। हालांकि, वहां मौजूद सुरक्षा बलों ने सिनसिनी का यह प्रयास विफल कर दिया। इसके बाद उनकी गाड़ी को जब्त कर लिया है। इस संबंध में पूर्व राजपरिवार के सदस्य अनिरुद्ध सिंह ने परिवाद दिया है। पुलिस मनुदेव सिनसिनी की गिरफ्तारी के प्रयास में है।
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मोती महल पर झंडा विवाद: भरतपुर में नया मोड़
राजस्थान के भरतपुर शहर में स्थित मोती महल, जो कभी राजपरिवार का निवास स्थान था, अब एक नए विवाद का केंद्र बन गया है। 21 सितंबर को जाट समाज द्वारा ऐतिहासिक रियासतकालीन झंडा लगाने का ऐलान किया गया। पहले तो यह निर्णय लिया गया था कि झंडा लगाया जाएगा, लेकिन बाद में राजपरिवार के सदस्य और पूर्व मंत्री, श्री विश्वेंद्र सिंह द्वारा हस्तक्षेप किए जाने के कारण यह फैसला बदल दिया गया।
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सुरक्षा व्यवस्था का कड़ा इंतजाम
झंडा विवाद के बावजूद, कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन ने मोती महल के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी थी। इस समय तक प्रशासन को कोई गंभीर घटना की सूचना नहीं थी, लेकिन दिन ढलने के साथ ही घटनाक्रम ने नया मोड़ लिया। रात होते ही मनुदेव सिनसिनी नामक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर एक लाइव वीडियो प्रसारित किया जिसमें वह मोती महल के पीछे के गेट को तोड़ते हुए और अंदर प्रवेश करते हुए दिखाई दिए। मनुदेव के हाथ में रियासतकालीन झंडा था, लेकिन उसने उसे महल पर नहीं लहराया।
भरतपुर पुलिस अधीक्षक, दिगंत आनंद ने बताया कि 21 सितंबर को झंडा विवाद को लेकर एक विशेष समुदाय द्वारा चेतावनी दी गई थी, और पुलिस ने महल की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए रात्रि 8.30 बजे तक तैनाती की थी। रात्रि 8.30 बजे के बाद, एक व्यक्ति नशे की हालत में महल के गेट पर गाड़ी चढ़ाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन महल की सिक्योरिटी ने उसे रोक लिया। पुलिस ने गाड़ी को जब्त किया और मामला दर्ज कर लिया। आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।
मनुदेव का अजीब हरकत
मनुदेव सिनसिनी की हरकत से पुलिस प्रशासन में खलबली मच गई। वीडियो के वायरल होते ही पुलिस ने त्वरित प्रतिक्रिया दी और मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया। एसडीएम राजीव शर्मा और एडिशनल एसपी सतीश कुमार यादव भी घटनास्थल पर पहुंचे। एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैब) टीम ने सबूत जुटाए और जांच शुरू की।
गेट तोडकर मोतीमहल मे फहरा दिया रियासत का झंडा!😳😲
— एक नजर (@1K_Nazar) September 21, 2025
राजस्थान के भरतपुर में एक अप्रत्याशित घटनाक्रम के बीच पूर्व राजपरिवार के मोतीमहल में जाट नेता मनुदेव सिनसिनी रियासतकालीन झंडे को फहरा दिया गया और पुलिस व प्रशासन देखते रह गया। pic.twitter.com/0fCq2u77wi
पुलिस की कार्रवाई
जांच में यह पता चला कि तीन लोग थे जिन्होंने गेट पर गाड़ी से टक्कर मारी और महल के अंदर लगभग 50 मीटर तक प्रवेश किया। पुलिस ने घटना स्थल पर पहुँच कर यह सुनिश्चित किया कि विवाद को और तूल न दिया जाए। पुलिस को शुरू में फायरिंग की सूचना मिली थी, लेकिन बाद में पता चला कि मामला कुछ और ही था। गार्डों के मौके पर आने के बाद आरोपी मौके से फरार हो गए।
मोतीमहल का गेट तोड़कर जाट रियासत भरतपुर का झंडा गाड़ कर आये भारतीय सेना के जवान रह चुके
— JAT World 𝕏 (@JATs_Land) September 22, 2025
जाट कौम के शेर "मनुदेव सिनसिनी"⚔️ को सिनसिनी बाबा श्री खूटैला शिव मंदिर प्रांगण में भरतपुर की सरदारी ने “भरतपुर गौरव” की उपाधि से सम्मानित किया 💐@ManudevSinsini#JAT 🔱 #जाट#Bharatpurpic.twitter.com/y2euw1my4h
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मोतीमहल ध्वज विवाद क्या है?राजस्थान का भरतपुर इन दिनों उबाल पर है। वजह कोई सियासी या सामाजिक नहीं, बल्कि भरतपुर की पूर्व रियासत की परंपराओं से जुड़ी है। विवाद तब उठा, जब पूर्व राजघराने के सदस्य अनिरुद्ध सिंह ने मोती महल पर रियासतकालीन ध्वज उतार कर नया झंड़ा लगा दिया। हालांकि, अनिरुद्ध का दावा है कि ध्वज भरतपुर स्टेट का ही है, लेकिन लोगों का आरोप है कि ध्वज बदल दिया गया है। इस विवाद ने अब उग्र रूप धारण कर लिया है। इसने खासकर सिनसिनवार जाट समुदाय को उद्वेलित कर दिया है। इस मामले पर इतनी तीखी प्र​तिक्रिया हुई कि 29 अगस्त को भरतपुर के ऐतिहासिक गांव सिनसिनी में सर्वसमाज की महापंचायत हुई। इसमें पुरातन धरोहर संरक्षण समिति के अध्यक्ष दिनेश सिनसिनी के नेतृत्व में आरोप लगाया कि अनिरुद्ध सिंह ने मोती महल से भरतपुर स्टेट का ध्वज उतार कर समस्त सरदारी (बिरादरी) का अपमान किया है। भरतपुर रियासत के सम्मान को बनाए रखने के लिए भरतपुर की समस्त सरदारी 21 सितंबर को महल पर वापस झंडा फहराएगी। | |
पूर्व में भी झंडा बदलने की कोशिश
इससे पूर्व कुछ दिन पहले भी अज्ञात लोगों ने मोतीमहल की छत पर चढ़ कर नया झंडा बदल रियासतकालीन पुराना झंडा लगाने की कोशिश की थी। इस पर अनिरुद्ध सिंह ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी थी।
कल रात कुछ गुंडों ने मोती महल पैलेस के परिसर में घुसपैठ की और जानबूझकर तोड़फोड़ की। इन दुराचारी प्रयासों का लक्ष्य महल की छत पर लगे ध्वजस्तम्भ को नुकसान पहुँचाना था — जो हमारी विरासत और सम्मान का प्रतीक है। ध्वजस्तम्भ को सहारा देने वाली धातु की तारें जानबूझकर काट दी गईं, जैसा… pic.twitter.com/2pHZ3pxhnb
— Anirudh D. Bharatpur (@thebharatpur) September 17, 2025
संपत्ति विवाद से लिखी पटकथा
मोतीमहल भरतपुर झंडा विवाद सिर्फ ध्वज उतरने तक नहीं है। इसकी पटकथा करीब चार साल पहले भरतपुर के पूर्व राजपरिवार में संपत्ति को लेकर छिड़ी जंग से लिखना शुरू हो गई थी। संपत्ति विवाद में पूर्व मंत्री और भरतपुर के पूर्व शासक सवाई बृजेन्द्र सिंह के पुत्र विश्वेन्द्र सिंह परिवार में अलग-थलग पड़ गए, जबकि उनकी पत्नी और पूर्व सांसद दिव्या सिंह और पुत्र अनिरुद्ध सिंह एक साथ हो गए। हालात तब अधिक बिगड़ गए, जब पत्नी और पुत्र ने विश्वेन्द्र सिंह को घर से निकाल दिया और मोती महल पर कब्जा जमा लिया। मोती महल भरतपुर के पूर्व राजपरिवार का मुख्य निवास है।
गत रात्रि मोती महल पैलेस परिसर के सदर गेट पर एक घटना हुई। यह द्वार मुख्य महल से 500 मीटर से अधिक दूरी पर स्थित है। इस विषय में पुलिस प्रशासन पूर्ण सहयोग प्रदान कर रहा है तथा जांच कर रहा है।
— Anirudh D. Bharatpur (@thebharatpur) September 22, 2025
इस संदर्भ में महारानी दिव्या कुमारी ने माननीय राज्य गृह मंत्री, राजस्थान सरकार से भी सीधे…
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ध्वज बदलना मतलब हार स्वीकारना
मोती महल से भरतपुर स्टेट का ध्वज बदलने के मामले ने आग में घी का काम किया। इस घटना ने भरतपुर के सिनसिनवार जाट समुदाय को काफी बेचैन कर दिया। अनिरुद्ध के खिलाफ उनका गुस्सा सामने आने लगा। राष्ट्रीय लोकदल के जिला अध्यक्ष एडवोकेट संतोष फौजदार कहते हैं कि इतिहास में भरतपुर अजेय रहा है। मुगल हों या अंग्रेज, किसी के सामने भरतपुर न कभी झुका और न कभी हारा। उनके अनुसार ध्वज तब उतारा जाता है, जब कोई दूसरी स्टेट हमारी स्टेट पर जीत हासिल कर लेवे। ध्वज उतारने का कृत्य भरतपुर को अपमानित करने जैसा है। वहीं, पूर्व सांसद और वयोवृद्ध समाजवादी नेता पं. रामकिशन ने भी संतोष फौजदार का समर्थन किया।
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