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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान शिक्षा विभाग द्वारा हाल ही में जारी की गई प्रधानाचार्य तबादला सूची ने राज्य में बड़े विवाद को जन्म दिया है। यह सूची ना केवल उन मापदंडों को नजरअंदाज करती हुई प्रतीत होती है, जिनके आधार पर शिक्षक और प्रिंसिपल्स के तबादले होने चाहिए थे, बल्कि इसने कई ऐसे निर्णय भी लिए हैं, जिन्होंने जनता और शिक्षकों दोनों को हैरान कर दिया। राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर द्वारा लिए गए निर्णयों पर सवाल उठाए जा रहे हैं, और शिक्षक संगठनों ने इस कदम का विरोध शुरू कर दिया है।
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यहां देखें तबादला सूची...
प्रिंसीपल तबादला सूची में चौंकाने वाले फैसले
राजस्थान शिक्षा विभाग ने हाल ही में जो तबादला सूची जारी की, उसमें कई अजीब फैसले लिए गए हैं। उदाहरण के लिए, जो प्रिंसिपल शिक्षा मंत्री द्वारा लापरवाह घोषित किए गए थे, उन्हें फिर भी उनके स्थान पर बनाए रखा गया। वहीं, जिन प्रिंसिपल्स ने स्कूल को राज्य में नंबर वन की स्थिति में पहुंचाया था, उनका तबादला 500 किलोमीटर दूर कर दिया गया। इससे शिक्षा विभाग के निर्णयों की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं।
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जहां मिली गड़बड़ी, उसे रखा यथावत
10 सितंबर 2025 को, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने महात्मा गांधी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, दहमी कलां, सांगानेर का दौरा किया। इस दौरे के दौरान मंत्री ने पाया कि स्कूल में शिक्षक अनुपस्थित थे और कैश बुक में 23 जुलाई के बाद कोई इंद्राज नहीं था। स्कूल में धूल-मिट्टी और गंदगी भी देखी गई। इस निरीक्षण के बाद मंत्री ने प्रिंसिपल, हेमेंद्र सिंह के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए, लेकिन तबादला सूची में उन्हें यथास्थान रखा गया।
उत्कृष्ट स्कूल का प्रिंसिपल हुआ तबादला
दूसरी ओर, महात्मा गांधी नवीन विद्याधर सरकारी स्कूल को राज्य में नंबर वन का दर्जा मिला था। इस स्कूल के प्रिंसिपल, बच्चू सिंह धाकड़ को राज्य स्तरीय सम्मान भी मिल चुका था। स्कूल में बच्चों के लिए आधुनिक सुविधाएं विकसित की गई थीं। इसके बावजूद, जब हाल ही में तबादला सूची जारी की गई, तो उनका तबादला प्रतापगढ़ कर दिया गया। यह निर्णय शिक्षकों और शिक्षा विभाग के नियमों के खिलाफ प्रतीत होता है।
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गड़बड़ी वाली प्रिंसीपल को जयपुर ही लगाया
4 सितंबर 2025 को, शिक्षा मंत्री ने द्वारकापुरी, शास्त्री नगर जयपुर के उच्च माध्यमिक विद्यालय का निरीक्षण किया। यहां, उन्होंने पाया कि प्रिंसिपल सीमा विज अनुपस्थित थीं और शिक्षक मोबाइल में व्यस्त थे। कक्षाओं में झाडू तक नहीं लगी थी। बावजूद इसके, प्रिंसिपल का तबादला केवल जयपुर के मानसरोवर में कर दिया गया, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह सिर्फ एक दिखावा था या फिर शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को प्रिंसिपल की लापरवाही के बारे में पूरी जानकारी नहीं थी।
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि इन स्थानांतरणों को लंबित मांगों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। उनका कहना था कि स्थानांतरण प्रक्रिया में रिक्त पदों पर प्राथमिकता दी गई और उन लोगों को हटाने का प्रयास किया गया जिन्होंने विभागीय नियमों का उल्लंघन किया था। यदि किसी का स्थानांतरण किया गया है, तो उनका समायोजन उसी जिले में करने का प्रयास किया गया है।
तबादले के खिलाफ शिक्षक संगठनों का विरोध
इन सभी घटनाओं के बीच, शिक्षक संगठनों ने शिक्षा विभाग के फैसलों का विरोध करना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि यह तबादला सूची पूरी तरह से अनुचित और पक्षपाती है। राजस्थान पंचायती राज व माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता, नारायण सिंह सिसोदिया ने प्रिंसिपल तबादला सूची का विरोध करते हुए कहा कि शिक्षा मंत्री का विद्यालय निरीक्षण केवल एक दिखावा था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि तबादला सूची को पार्टी के विधायकों की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया है। इससे यह साफ होता है कि इस प्रक्रिया में शिक्षा विभाग के नियमों और मापदंडों को नजरअंदाज किया गया।
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