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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान में घरेलू हिंसा (Domestic Violence) एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो न केवल शारीरिक बल्कि भावनात्मक और यौन उत्पीड़न के रूप में भी सामने आ रही है। जहां एक ओर नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और उन्हें शक्ति और साहस की देवी माना जाता है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश में हर चौथी विवाहित महिला अपने पति से हिंसा का शिकार हो रही है। यह आंकड़े हमारे समाज की कड़ी सच्चाई को उजागर करते हैं, जिसमें पितृसत्तात्मक संरचनाओं और सामाजिक दबावों के कारण महिलाओं को अपनी आवाज उठाने में मुश्किल होती है।
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घरेलू हिंसा का बढ़ता दायरा
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (2019-21) की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में 18 से 49 वर्ष की विवाहिताओं में से 26.3% महिलाओं ने अपने पति से शारीरिक, भावनात्मक या यौन हिंसा झेली है। यह राष्ट्रीय औसत 31.9% से बेहतर हो सकता है, लेकिन यह आंकड़ा फिर भी घरेलू हिंसा की गंभीरता को उजागर करता है। इन आंकड़ों के जरिए यह स्पष्ट होता है कि घरेलू हिंसा (Domestic Violence) केवल शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी महिलाओं को प्रभावित कर रही है।
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घरेलू हिंसा के प्रमुख कारण
विशेषज्ञों के मुताबिक, पितृसत्तात्मक समाज (Patriarchal Society), शिक्षा का निम्न स्तर, आर्थिक असमानता, पुरुषों में नशे की प्रवृत्ति और न्याय प्रणाली तक सीमित पहुंच (Limited Access to Justice) जैसी समस्याएं घरेलू हिंसा के प्रमुख कारण हैं। इन कारणों की वजह से महिलाएं अक्सर हिंसा का शिकार होती हैं और उनके पास अपनी सुरक्षा के लिए पर्याप्त साधन नहीं होते।
सामाजिक दबाव भी महिलाओं की चुप्पी का कारण बनता है। अक्सर परिवार और समाज के दबाव के चलते महिलाएं इस हिंसा को सहन करती हैं और खुलकर अपनी समस्या का समाधान नहीं ढूंढ पातीं। इससे उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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जयपुर में घरेलू हिंसा की चिंताजनक स्थिति
जयपुर, जो पहले ही नेशनल एनुअल रिपोर्ट एंड इंडेक्स ऑन वुमन सेफ्टी (National Annual Report and Index on Women Safety) में शर्मसार हो चुका है, ने एक बार फिर घरेलू हिंसा के मामलों में चिंताजनक स्थिति पेश की है। पिछले कुछ वर्षों में घरेलू हिंसा की शिकायतों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र (Women Safety and Advisory Centers) और वन स्टॉप सेंटर (One Stop Center) में 2020-21 से 2024-25 तक एक लाख से अधिक पीड़ित महिलाएं मदद के लिए पहुंची हैं, जिनमें सबसे ज्यादा महिलाएं जयपुर से हैं।
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जयपुर में घरेलू हिंसा के प्रकार
घरेलू हिंसा में न केवल शारीरिक प्रताड़ना (Physical Abuse) बल्कि भावनात्मक और मानसिक प्रताड़ना (Emotional and Mental Abuse), मारपीट, घर से बाहर निकालने की धमकी, और यौन उत्पीड़न जैसी शिकायतें शामिल हैं। जयपुर जिले में पिछले पांच वर्षों में करीब 18,000 से अधिक महिलाएं मदद (Help) के लिए महिला सुरक्षा केंद्र पहुंची हैं।
राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ अपराध : 2020-2025 के आंकड़े
वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक 72,152 महिलाएं महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्रों पर पहुंची। इन आंकड़ों को देखें तो हर साल महिला हिंसा की शिकार महिलाओं की संख्या में इजाफा हुआ है:
2020-21 में 5,898 महिलाएं
2021-22 में 7,845 महिलाएं
2022-23 में 9,089 महिलाएं
2023-24 में 20,070 महिलाएं
2024-25 में 29,250 महिलाएं
जिलेवार आंकड़े
जयपुर में पिछले पांच सालों में 14,102 महिलाएं मदद के लिए आईं।
अजमेर (4,372), कोटा (4,246), अलवर (3,090), और भीलवाड़ा (3,008) जैसे जिलों में भी महिलाओं ने घरेलू हिंसा के खिलाफ सहायता प्राप्त की।
घरेलू हिंसा क्या है?
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घरेलू हिंसा से बचाव और समाधान क्या है?
सरकार और विभिन्न संगठन महिला सुरक्षा के लिए कई कदम उठा रहे हैं। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद घरेलू हिंसा की समस्या पूरी तरह से समाप्त नहीं हो पाई है। इसके लिए और अधिक जागरूकता, शिक्षा, और न्याय प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। राजस्थान में महिला अत्याचार के मामले रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को चाहिए कि वे महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों को न केवल सख्ती से निपटें, बल्कि महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) के लिए ठोस कदम भी उठाएं। महिलाओं को न केवल उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें अपनी आवाज उठाने के लिए आवश्यक सुरक्षा और सहायता भी दी जानी चाहिए।
भारत में घरेलू हिंसा से बचाव के लिए क्या करें?
घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005: सरकार ने महिलाओं और बच्चों को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए यह कानून पारित किया है।
पीड़ित की पहचान: अगर आप एक महिला हैं और आपके रिश्तेदारों में कोई आपके साथ दुर्व्यवहार करता है, तो आप इस अधिनियम के तहत पीड़ित मानी जाएंगी।
मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 2017: भारत ने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना शुरू किया है, लेकिन इसे और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है।
मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ: नीति निर्माताओं को घरेलू हिंसा से उबरने वाले परिवारों को पेशेवर मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए एक ठोस तंत्र तैयार करने की ज़रूरत है।
वन-स्टॉप सेंटर योजना: सरकार ने महिलाओं की मदद के लिए एकीकृत चिकित्सीय, कानूनी और मानसिक सेवाओं के लिए 'वन-स्टॉप सेंटर' शुरू किया है।
जागरूकता अभियान:
'लड़के रुलाते नहीं': वोग इंडिया ने महिलाओं के साथ हिंसा के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए यह अभियान चलाया।
'बेल बजाओ': वैश्विक मानवाधिकार संगठन 'ब्रेकथ्रू' ने घरेलू हिंसा के खिलाफ यह अभियान चलाया।