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Photograph: (The Sootr)
जिनेश जैन
देशभर में कोचिंग हब के रूप में पहचान बनाने वाले राजस्थान (Rajasthan) के कोटा में पढ़ाई के बढ़ते तनाव से कोचिंग छात्र लगातार अपनी जान गंवा रहे हैं। कोचिंग छात्रों पर पढ़ाई का यह तनाव लगातार बढ़ रहा है, लेकिन कोचिंग संस्थान अपने छात्रों को तनावरहित माहौल देने में फेल सबित हुए हैं। पूरे देश के लिए चिंताजनक इस तस्वीर को कोटा मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग की एक रिपोर्ट में दर्शाया है। यह रिपोर्ट कोटा में कमाई के अड्डे बन चुके कोचिंग संस्थानों पर बड़े सवाल उठाती है। बता दें, कोटा में हर साल देशभर के करीब डेढ़ लाख विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं।
सुसाइड करने वाले छात्रों में 92 फीसदी नीट तैयारी वाले
रिपोर्ट में खुलासा किया कि कोटा में सुसाइड करने वालों में 92.5% छात्र कोटा में नीट की तैयारी कर रहे थे। ज्यादातर की उम्र 17 साल के आसपास थी। इनमें से अधिकतर छात्रों ने अपना जीवन कमरों में फंदा लगा कर खत्म किया। ऐसे में रिपोर्ट में सभी हॉस्टलों के कमरों में एंटी हैंगिंग रॉड लगाने की सिफारिश की है, जो कोचिंग छात्रों से पेईंग गेस्ट के रूप में मोटी राशि वसूलते हैं।
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एक साल में 27 छात्रों ने की सुसाइड
यह रिपोर्ट अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के सुसाइड आंकड़ों पर आधारित है। इस दौरान कोटा में कुल 253 लोगों ने सुसाइड की थी। इनमें से 27 छात्र कोचिंग करने वाले थे। सुसाइड करने वाले छात्रों में 25 छात्र नीट यूजी की तैयारी कर रहे थे, जबकि 2 छात्र आईआईटी—जेईई की कोचिंग कर रहे थे। अपना जीवन समाप्त करने वालों में 22 कोचिंग छात्र थे, जबकि 5 छात्राएं थी। वर्ष 2024 में 17 कोचिंग छात्रों ने सुसाइड की जबकि, 2025 में मई माह तक 14 कोचिंग छात्र जान दे चुके हैं।
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वीकली टेस्ट बना तनाव की बड़ी वजह
रिपोर्ट में इन सुसाइड के पीछे कोचिंग संस्थानों के बोझिल पढ़ाई सिस्टम और तनावरहित माहौल नहीं देने को भी जिम्मेदार माना है। रिपोर्ट में कहा गया कि कोचिंग संस्थानों में छात्रों के वीकली टेस्ट होते हैं। इनके परिणाम नोटिस बोर्ड पर चस्पा किए जाते हैं। इसमें परफोरमेंस नहीं देने वाले छात्र तनाव में आ जाते हैं। रिपोर्ट में वीकली टेस्ट सिस्टम को तत्काल बंद करने का सुझाव दिया गया।
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बच्चों में परफोर्मेंस देने का तनाव
अध्ययन टीम में शामिल एक डॉक्टर का कहना है कि उन्होंने छात्रों की सुसाइड की तह में जाने के लिए कोचिंग और हॉस्टल संचालकों तथा बच्चों के माता—पिता से बातचीत की। इस दौरान पाया गया कि कोचिंग करने वाले बच्चों में परफोरमेंस देने का अलग तरह का तनाव छा जाता है। डॉक्टर का कहना है कि सुसाइड करने वाले छ़ात्रों को समय पर काउंसलिंग मिल जाती तो शायद ये मौत का रास्ता नहीं चुनते। कोचिंग संचालकों को पढ़ाई का लगातार दबाव बनाने की बजाय तनाव से निकालने पर फोकस करना चाहिए। कोचिंग संस्थानों के साथ ही हॉस्टलों को भी काउंसलर रखने की जरूरत है।
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कोचिंग संस्थान बच्चों से ओवरलोडेड
कोटा के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जैन का कहना है कि कोटा के कोचिंग संस्थान बच्चों से ओवरलोडेड हो चुके हैं। वे कोचिंग करने वाले बच्चों पर व्यक्तिगत स्तर पर ध्यान ही नहीं दे पाते हैं। पहले यहां के कोचिंग संस्थानों में बच्चों को उनकी परफोरमेंस के आधार पर एडमिशन देते थे। अब एंट्रेस टेस्ट सिर्फ दिखावा बन गया है। उनकी प्राथमिकता बच्चों से मोटी फीस वसूलने की होती है। बताया जाता है कि कोटा में कोचिंग संस्थान नीट और जेईई की तैयारी के लिए एक छात्र से करीब डेढ़ लाख रुपए तक सालाना तक वसूलते हैं। हॉस्टल फीस मिलाकर यह खर्चा तीन लाख रुपए से अधिक बैठता है। कोटा में हॉस्टल जगह-जगह खुले हुए हैं, जहां बच्चों को तनाव से निकालने की कोई व्यवस्था नहीं है।
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हॉस्टल भी बराबर जिम्मेदार
रिपोर्ट में हॉस्टलों की व्यवस्थाओं को भी जिम्मेदार माना गया। अधिकतर हॉस्टल में यह गया कि कमरों में एंटी हैंगिंग रॉड की व्यवस्था नहीं थी। रिपोर्ट में इस व्यवस्था के साथ ही हॉस्टलों में सीसीटीवी कैमरे और मजबूत निगरानी सिस्टम लगाने की भी सिफारिश की गई है। सामाजिक कार्यकर्ता मनोज का कहना है कि कोचिंग संस्थानों के साथ ही अधिकतर हॉस्टल कोचिंग छात्रों से पैसा वसूलने के अड्डे बन गए हैं। इनमें ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि छात्रा अपने कमरे से बाहर निकल कर कुछ समय फ्री मूड़ में रह सके।
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जगदीप धनखड़ ने कहा था पोचिंग सेंटर
उपराष्ट्रपति पद छोड़ने से कुछ दिन पहले कोटा दौरे पर आए जगदीप धनखड़ ने कोचिंग संस्थानों की स्थिति को देखकर उन्हें पोचिंग सेंटर की संज्ञा दी थी। उनका कहना था कि जिस तरह से कोचिंग संस्थान बच्चों से मोटी राशि वसूल रहे हैं, उससे यही लगता है कि ये संस्थान बच्चों के पोचिंग सेंटर बन चुके हैं।
रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि कोटा में बाहर से आने वाले छात्रों को लोकल गार्जियन बनाना चाहिए। साथ ही छात्रों को एक-दूसरे के समूह को आपस में ध्यान रखने के लिए पेरित करना चाहिए। इन बातों के लिए कोचिंग संस्थानों और हॉस्टल संचालकों को पहल करने की जरूरत है। सामाजिक कार्यकर्ता राहुल प्रकाश का कहना है कि छात्रों का तनाव मुक्त माहौल देने के लिए लोकल लोग मदद के लिए तैयार हैं।
कोचिंग संस्थानों का दावा, चला रहे अभियान
उधर, कोचिंग संचालकों का दावा है कि वे पढ़ाई के साथ बच्चों के लिए विभिन्न तरह की गतिविधियां करते हैं। ये बच्चों को तनाव से निकालने में सहायक होती हैं। हमने बच्चों को तनावमुक्त माहौल में पढ़ाई करने के लिए जिला प्रशासन के साथ अभियान भी चलाए हैं। हालांकि, कोटा के बड़े कोचिंग संस्थान एलन ने इस संबंध में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
कोटा में जान दे रहे कोचिंग छात्रों की रिपोर्ट में क्या कहा गयाबड़ी वजहः पढ़ाई का तनावतनाव के चलते आत्महत्या: 16 छात्र, 4 छात्राएंअवसाद के कारण आत्महत्या: 5 छात्र, 1 छात्राप्रेम प्रसंग: एक मामला 17 व 19 साल के दो छात्रों ने इमारत से कूद कर जान दी।यूपी-बिहार के विद्यार्थियों ने की सर्वाधिक आत्महत्या22 छात्र + 05 छात्रा = 27 आत्महत्याझारखंड: 17 साल के 1 छात्र की मौत दम घुटने से हुई।आत्महत्या का तरीका: फंदा लगाया: 23, कूदकर जान दी: 2 , जहर खाया: 1 (16 साल की छात्रा) |
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रिपोर्ट में सुझाए गए उपाय
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वीकली टेस्ट की प्रणाली को बंद किया जाए।
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टेस्ट परिणाम को सार्वजनिक न किया जाए।
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हॉस्टलों में एंटी हैंगिंग रॉड की व्यवस्था की जाए।
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सीसीटीवी कैमरे और निगरानी प्रणालियाँ स्थापित की जाएं।
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कोचिंग संस्थानों और हॉस्टलों में काउंसलिंग की सुविधा बढ़ाई जाए।
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