आपकी जेब में रखे नोट से हो सकती है बीमारी, शोध में मिले खतरनाक बैक्टीरिया और फंगस

राजस्थान में हुए एक शोध में पता चला कि भारतीय करेंसी नोट पर 5 प्रकार के फंगस और 4 बैक्टीरिया होते हैं, जो गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। इससे बचाव के तरीके जानना जरूरी है।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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आपके द्वारा रोज इस्तेमाल किया जाने वाला पैसा, जो सिर्फ लेन-देन का जरिया है, क्या आपको पता है कि वह कई खतरनाक बीमारियों का वाहक भी हो सकता है? हाल ही में राजस्थान के किशनगढ़ स्थित सेंट्रल यूनिवर्सिटी में किए गए एक चौंकाने वाले शोध से इस बात का खुलासा हुआ है। 

इस शोध में पता चला कि भारतीय करेंसी नोट खासकर 10, 20, 50 और 100 रुपए के नोट अनगिनत खतरनाक बैक्टीरिया (Bacteria) और फंगस से भरे होते हैं। इन सूक्ष्म जीवों के कारण कई गंभीर बीमारियां फैल सकती हैं, जिनमें आंखों का संक्रमण, फेफड़ों की बीमारी और यहां तक कि टीबी (Tuberculosis) जैसी जानलेवा बीमारियां भी शामिल हैं।

शोध में मिले 5 फंगस और 4 बैक्टीरिया

रियलिटी चेक में पाया गया कि भारतीय करेंसी नोट पर कई खतरनाक फंगस और बैक्टीरिया होते हैं। शोध के अनुसार, नोटों पर पाए गए फंगस और बैक्टीरिया निम्नलिखित हैं। नोट में पेनीसिलियम (Penicillium), क्लेडोस्पोरियम (Cladosporium), फ्यूजेरियम (Fusarium), एस्परजिलस (Aspergillus) और ट्राइकोडर्मा (Trichoderma) फंगस पाया जाता है। वहीं ई. कोलाई (E. Coli), स्टैफिलोकोकस (Staphylococcus), क्लेबसिएला (Klebsiella) और स्यूडोमोनास (Pseudomonas) बैक्टीरिया पाए जाते हैं।

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सूक्ष्म जीवों का प्रभाव और जीवित रहने की अवधि

राजस्थान सेंट्रल यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जयकांत के अनुसार, फंगस के बीज (Spore) 3 से 4 साल तक जीवित रह सकते हैं। वहीं टीबी जैसे बैक्टीरिया 24 से 48 घंटे तक जीवित रहते हैं। इस दौरान यदि किसी अन्य व्यक्ति के संपर्क में आते हैं, तो संक्रमण फैल सकता है।

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कैसे बनते हैं नोट इतने खतरनाक?

आपकी जेब में रखे नोट पर बैक्टीरिया और फंगस का बढ़ता असर उसकी सामग्री और इस्तेमाल पर निर्भर करता है। भारतीय करेंसी नोट आमतौर पर कॉटन पेपर से बने होते हैं, जो नमी को आसानी से सोख लेते हैं और जल्दी चिपकते हैं। यही कारण है कि ये सूक्ष्म जीवों के लिए आदर्श वातावरण बनाते हैं। इसके अलावा, पुरानी आदतें जैसे नोट गिनते वक्त थूक लगाना भी इस समस्या को बढ़ाते हैं।

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गंभीर प्रभाव और बचाव के उपाय

इस समस्या के प्रभाव को देखते हुए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:
डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दें : यूपीआई (UPI) और अन्य ऑनलाइन ट्रांजेक्शनों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें।
हाथ धोना है जरूरी : नोट का लेन-देन करने के बाद हमेशा हाथ धोएं।
पुरानी आदत छोड़ें : नोट गिनते समय थूक लगाने की आदत से बचें।
बच्चों को बचाएं : बच्चों को नोट छूने से रोकें, क्योंकि उनमें संक्रमण का खतरा अधिक होता है।

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यह समस्या सिर्फ भारत तक सीमित नहीं

यह समस्या केवल भारत में नहीं, बल्कि पूरे विश्व में चिंता का विषय बन चुकी है। साल 2017 में प्लॉस वन जर्नल में न्यूयॉर्क करेंसी पर एक अध्ययन किया गया था, जिसमें ऐसे ही सूक्ष्म जीव मिले थे, जो त्वचा रोग और कई अन्य गंभीर संक्रमणों का कारण बन सकते हैं। यह साबित करता है कि यह समस्या वैश्विक स्तर पर एक गंभीर चुनौती है।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • भारतीय करेंसी नोटों पर पाए गए 5 फंगस और 4 बैक्टीरिया
  • फंगस और बैक्टीरिया त्वचा, आंखों और फेफड़ों में संक्रमण फैलाने में सक्षम
  • 3 से 4 साल तक जीवित रह सकते हैं फंगस के बीज

FAQ

Q1: भारतीय करेंसी नोट पर कौन-कौन से बैक्टीरिया और फंगस पाए गए हैं?
भारतीय करेंसी नोटों पर 5 प्रकार के फंगस (Penicillium, Cladosporium, Fusarium, Aspergillus, Trichoderma) और 4 प्रकार के बैक्टीरिया (E. Coli, Staphylococcus, Klebsiella, Pseudomonas) पाए गए हैं, जो गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
Q2: क्या करेंसी नोट पर बैक्टीरिया और फंगस जीवित रहते हैं?
हां, फंगस के बीज 3 से 4 साल तक जीवित रह सकते हैं, जबकि टीबी जैसे बैक्टीरिया 24 से 48 घंटे तक जीवित रहते हैं, जो संक्रमण फैलाने का कारण बन सकते हैं।
Q3: इस समस्या से बचाव के क्या उपाय हैं?
इस समस्या से बचने के लिए डिजिटल पेमेंट का उपयोग बढ़ाना चाहिए, हाथ धोने की आदत डालनी चाहिए, और नोट गिनते समय थूक लगाने की आदत छोड़नी चाहिए। बच्चों को नोट छूने से भी रोकें।

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