डॉ. राकेश बिश्नोई आत्महत्या मामला : सातवें दिन भी धरना जारी, परिजनों ने शव लेने से किया इनकार

मथुरादास माथुर अस्पताल के पीजी हॉस्टल में रेजिडेंट डॉक्टर राकेश बिश्नोई की आत्महत्या के सात दिन बाद भी परिजनों का धरना जारी है। परिजनों ने अभी तक शव को नहीं लिया है।

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जयपुर। मथुरादास माथुर अस्पताल के पीजी हॉस्टल में रेजिडेंट डॉक्टर राकेश बिश्नोई की आत्महत्या के सात दिन बाद भी परिजनों का धरना जारी है। परिजनों ने अभी तक शव को नहीं लिया है। शुक्रवार को भी सैकड़ों लोग धरने में शामिल हुए। इस पूरे मामले में न्याय की मांग को लेकर परिजन अड़े हुए हैं। बुधवार को जोधपुर से आए चिकित्सकों के प्रतिनिधिमंडल ने परिजनों से बातचीत कर उनका मांग पत्र लिया था, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस निर्णय नहीं आया। परिजनों का कहना है कि जब तक उनके सभी मांगे नहीं मानी जाती, तब तक वे शव नहीं लेंगे।

सांसद का अल्टीमेटम: नहीं मानी मांग तो करेंगे सीएम हाउस का घेराव

धरने पर बैठे नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने साफ कहा कि अगर राज्य सरकार परिजनों की मांगों को नहीं मानती है, तो पूरे प्रदेशभर के सर्व समाज के प्रतिनिधियों के साथ सीएम हाउस का घेराव किया जाएगा। उन्होंने शुक्रवार को जयपुर और आसपास के युवाओं और नागरिकों से जालूपुरा स्थित उनके निवास स्थान पर एकत्र होने की अपील भी की है।

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परिजनों की मुख्य मांगें

1.डॉ. राकेश बिश्नोई को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने वाले विभागाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई।
2.मृतक की पत्नी को सरकारी नौकरी।
3.परिजनों को उचित आर्थिक सहायता।
4.पुलिस की सख्ती: नेताओं को भेजा नोटिस

गुरुवार रात एसएमएस हॉस्पिटल थाना प्रभारी ने धरने पर बैठे नेताओं को चेतावनी नोटिस जारी किया। नोटिस में कहा गया है कि अस्पताल परिसर में धरना स्थल पर भीड़ जुटने से रास्ता जाम हो रहा है और इससे मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है, जिससे अनहोनी की आशंका है। जिन नेताओं को नोटिस दिया गया उनमें नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल, संगरिया विधायक अभिमन्यु पूनिया सहित कई लोग शामिल हैं।

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प्रदेशभर से जुटेंगे प्रतिनिधि

शुक्रवार को पूरे राजस्थान से विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि जयपुर पहुंच रहे हैं। सभी सीएम आवास की ओर कूच करने की योजना में हैं। आंदोलन को अब व्यापक समर्थन मिल रहा है और यह मामला अब केवल एक आत्महत्या का नहीं, बल्कि सिस्टम पर सवाल उठाने वाले बड़े आंदोलन का रूप लेता जा रहा है।

सरकार के लिए अग्निपरीक्षा

सरकार परिजनों की मांगों पर क्या रुख अपनाती है, यह आने वाले कुछ घंटों में स्पष्ट होगा। परिजन और धरने में शामिल लोग किसी भी तरह का समझौता मानने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में यह मामला राजस्थान की राजनीति और चिकित्सा व्यवस्था दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।

 

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