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राजस्थान में सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे पंचायत शिक्षक और विद्यालय सहायक 16 साल से पक्की नौकरी का इंतजार कर रहे हैं। 2008 से शुरू हुई अस्थायी नियुक्तियां अब तक पक्की नहीं हो पाई हैं।
इन शिक्षकों का सफर केवल नाम और वेतन में बदलाव तक ही सीमित रहा है, लेकिन स्थायी नियुक्ति अभी तक नहीं मिली। इन कर्मचारियों का कहना है कि वे उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार जल्द ही इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगी, ताकि उनके घरों में खुशियों के दीप जल सके।
वर्षों से पक्की नौकरी का इंतजार
2008 में शुरू हुई अस्थायी नियुक्तियां अब तक पक्की नहीं हो पाई हैं। सालों से इन कर्मचारियों ने अपनी अस्थायी नौकरी को स्थायी बनाने की कोशिश की, लेकिन अब तक सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। राजस्थान के पंचायत शिक्षक और राजस्थान के विद्यालय सहायक अब भी स्थाई होने का इंतजार कर रहे हैं।
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2008 से 2014 तक की स्थिति
वर्ष 2008 से 2014 तक, तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लगभग 2750 से 4000 रुपए प्रतिमाह के मानदेय पर 25,000 से 30,000 युवक-युवतियों को सरकारी स्कूलों में कच्ची नौकरी दी थी। इनका नाम 'विद्यार्थी मित्र' रखा गया था और इनका काम सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना था। हालांकि, 2014 में सरकार बदलते ही इन कर्मचारियों को हटा दिया गया।
2018 में पुनः नियुक्ति
वर्ष 2018 में, कर्मचारियों के लगातार दबाव के बाद, इन्हें फिर से नौकरी दी गई, लेकिन इस बार भी उनकी नौकरी स्थायी नहीं रही। फिर नाम बदला गया और 'ग्राम पंचायत सहायक' नाम रख गया। वेतन 6,000 रुपए किया गया। इन्हें नियमित नहीं किया गया।
2022 में फिर नाम परिवर्तन
वर्ष 2022 में, सरकार ने एक और नाम परिवर्तन किया और जिनके पास बीएड की डिग्री थी, उन्हें 'पंचायत शिक्षक' बना दिया, जबकि जो बारहवीं पास थे, उन्हें 'विद्यालय सहायक' बनाया गया। बीएड वाले कर्मचारियों को 16,900 रुपए मासिक वेतन और बारहवीं पास कर्मचारियों को 10,400 रुपए वेतन दिया गया। हालांकि, संविदा रूल्स 2022 के अनुसार वेतन बढ़ा, लेकिन उनकी नौकरी फिर भी स्थायी नहीं हुई। राजस्थान के पंचायत शिक्षक राजस्थान के विद्यालय सहायक
पक्की नौकरी की मांग
राजस्थान पंचायत शिक्षक विद्यालय सहायक संघ के प्रदेशाध्यक्ष प्रवीण जसरापुर का कहना है कि संविदा रूल्स 2022 में कार्यरत संविदा कार्मिकों के लिए अनुभव में 2 साल की छूट देने की घोषणा की गई थी, लेकिन इस पर अब तक अमल नहीं हुआ। जसरापुर ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार समय रहते नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं करती है, तो विरोध-प्रदर्शन किए जाएंगे।
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