फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट से नौकरी मामले में खुल रही परतें, एसओजी ने पकड़े 100 से अधिक आरोपी

राजस्थान में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट से सरकारी नौकरी हासिल करने वाले 100 से अधिक आरोपी अब तक पकड़े जा चुके हैं और कई निशाने पर हैं। एसओजी ने बड़े नेटवर्क का खुलासा किया है।

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Amit Baijnath Garg
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राजस्थान में हाल ही में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें दिव्यांग सर्टिफिकेट का फर्जी इस्तेमाल कर सरकारी नौकरी पाने वालों की पहचान की गई है। एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) ने जांच के बाद 29 कर्मचारियों का मेडिकल करवाया, जिनमें से 24 कर्मचारी अयोग्य पाए गए। केवल 5 कर्मचारियों के दिव्यांग सर्टिफिकेट सही पाए गए। इस मामले में अब तक 100 से अधिक आरोपियों की पहचान की जा चुकी है, जिन्होंने फर्जी विकलांगता प्रमाण-पत्र के जरिए सरकारी नौकरी हासिल की थी।

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फर्जीवाड़े का बड़ा नेटवर्क

एसओजी के अधिकारी वीके सिंह ने इस मामले में खुलासा करते हुए बताया कि यह एक बड़ा नेटवर्क है, जो कई स्तरों पर धोखाधड़ी कर रहा है। उन्होंने कहा कि इन फर्जी सर्टिफिकेट्स को बनाने में सिस्टम के भीतर बैठे लोगों की भूमिका भी संदेहास्पद है। इसके अलावा, यह भी सवाल उठता है कि मेडिकल बोर्ड ने सही तरीके से सत्यापन क्यों नहीं किया, जिससे यह घोटाला आसानी से फल-फूल सका।

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जोधपुर में प्रमाण-पत्र का फर्जी इस्तेमाल

इस मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमें जोधपुर (Jodhpur) के अशोक राम नामक आरोपी ने मेडिकल बोर्ड के सामने अपनी जगह एक असली बधिर दिव्यांग व्यक्ति को भेज दिया था। जब यह मामला सामने आया, तो उस व्यक्ति को पकड़ा गया, लेकिन अशोक राम अब भी फरार है। गांधी नगर पुलिस ने इस मामले में श्रवण दास नामक आरोपी को गिरफ्तार किया है।

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एसओजी की जांच और आगे की कार्रवाई

अब तक 43 मामलों की जांच की जा चुकी है, जिसमें से 37 प्रमाण-पत्र फर्जी पाए गए हैं। एसओजी ने विभागीय स्तर पर भी कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन कई आरोपी फरार हो चुके हैं और गिरफ्तारी से बचने के लिए वे छुपे हुए हैं। एसओजी अब पिछले पांच साल का रिकॉर्ड खंगाल रही है और जैसे-जैसे शिकायतों का सत्यापन होगा, आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारियां की जाएंगी।

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महत्वपूर्ण तथ्य 

फर्जी सर्टिफिकेट : सरकारी नौकरी के लिए फर्जी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र का इस्तेमाल।
एसओजी : स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप द्वारा फर्जीवाड़े का खुलासा।
अशोक राम : एक आरोपी, जिसने असली दिव्यांग को भेजा था।
मेडिकल बोर्ड : जांच में अनियमितताएं और गलत सत्यापन।
एफआईआर : पुलिस द्वारा आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया।

FAQ

Q1: फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के जरिए सरकारी नौकरी कैसे हासिल की जाती है?
फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के जरिए सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए लोग विभिन्न स्तरों पर धोखाधड़ी करते हैं। इसमें मेडिकल बोर्ड के सत्यापन से लेकर सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत तक शामिल हो सकती है।
Q2: एसओजी ने अब तक कितने आरोपियों को गिरफ्तार किया है?
एसओजी ने अब तक 100 से अधिक आरोपियों की पहचान की है, जिनमें से कई आरोपी फरार हो गए हैं। एसओजी की जांच जारी है और जल्द ही अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया जाएगा।
Q3: इस फर्जीवाड़े का किसे फायदा हो सकता है?
इस फर्जीवाड़े का मुख्य फायदा उन व्यक्तियों को हुआ, जिन्होंने असली दिव्यांगता का प्रमाणपत्र बनवाया था। इसके जरिए वे दिव्यांग कोटे के तहत सरकारी नौकरियों में चयनित हो गए थे।

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