मन्नत पूरी होने पर चढ़ाए जाते हैं मुर्गे, लकवाग्रस्त रोगियों की आस्था से जुड़ा है बिजौलिया का विंध्यवासिनी धाम

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में बिजौलिया स्थित विंध्यवासिनी माता मंदिर में भक्तों की आस्था की अद्भुत मिसाल देखने को मिलती है, जहां लकवाग्रस्त रोगी मां की भक्ति से स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं। यहां मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु मुर्गे चढ़ाते हैं।

author-image
Gyan Chand Patni
New Update
mandir
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

रोहित पारीक @ भीलवाड़ा 

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के बिजौलिया कस्बे में स्थित विंध्यवासिनी माता मंदिर नवरात्र में आस्था का अद्भुत केंद्र बन जाता है। इस मंदिर की विशेष पहचान है कि यहां मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु माता को जिंदा मुर्गा चढ़ाते हैं। खास बात यह है कि लकवाग्रस्त रोगी महीनों तक यहीं रुककर मां की भक्ति में लीन रहते हैं और आरती व परिक्रमा कर स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं।

इस बार नवरात्र में मंदिर परिसर में 200 से अधिक रोगी और सैकड़ों मुर्गे मौजूद हैं। शाम के समय मंदिर के शिखर पर उड़ते पक्षियों का अद्भुत नजारा श्रद्धालुओं को आस्था से भर देता है, जबकि रात्रि में ये पक्षी पेड़ों पर डेरा जमा लेते हैं।

1972 के बाद बढ़ी आस्था

लकवाग्रस्त रोगियों की आशा का केंद्र एक मंदिर बिजौलिया विंध्यवासिनी माता मंदिर है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्ष 1972 के बाद से मंदिर की ख्याति तेजी से बढ़ी। श्रद्धालु रामनिवास बताते हैं कि - आज यहां एक विशाल हॉल बना हुआ है, जिसकी लागत करीब एक करोड़ रुपए आई और जिसमें एक साथ 2000 लोग बैठ सकते हैं।  मरीज एक से दो माह तक यहां रुकते हैं और कई स्वस्थ होकर लौट जाते हैं।  मन्नत पूरी होने पर मुर्गा चढ़ाने की परंपरा है। भीलवाड़ा जिले का बिजौलिया कस्बा बहुत प्राचीन है।

ये खबरें भी पढ़िए

राजस्थान : गबन-घोटालों में 131 करोड़ फंसे, दागी अफसरों से वसूली में छूट रहा पसीना

राजस्थान की टोंक जेल में हथियारों और गुटखा के साथ बदमाश, वीडियो हुआ वायरल

दान से चलता है काम

नवरात्र में ठहरे 200 से अधिक रोगियों के भोजन की व्यवस्था स्थानीय दानदाताओं और संस्थानों की ओर से की जा रही है। विंध्यवासिनी प्रबंध कार्यकारिणी के कोषाध्यक्ष शक्ति नारायण शर्मा ने बताया कि मंदिर की दान पेटी हर अमावस्या को खोली जाती है और उससे प्राप्त राशि को विकास कार्यों पर खर्च किया जाता है। 

devi 2
भीलवाड़ा के बिजौलिया में विंध्यवासिनी माता मंदिर का दृश्य।

ऐतिहासिक महत्व

बिजौलिया का प्राचीन नाम विंध्यावली था, जो माता के नाम पर पड़ा। सदियों पुराने इस छोटे मंदिर ने धीरे-धीरे विशाल स्वरूप ले लिया। नवरात्र में हजारों ग्रामीण श्रद्धालु  दर्शन के लिए आते हैं और कई भक्त मंदिर के विकास के लिए दान भी करते हैं। मंदिर की एक विशेष पहचान लकवा रोगियों के इलाज से जुड़ी है। यहां लकवा से पीड़ित मरीज मां की भक्ति में लीन रहकर स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं। मंदिर ट्रस्ट इन मरीजों के रहने और भोजन की व्यवस्था करता है।

ये खबरें भी पढ़िए

राजस्थान को मिली पहली अमृत भारत एक्सप्रेस, जयपुर होकर होगा संचालन

राजस्थान मौसम अपडेट : आज 12 तो कल 19 जिलों में बारिश का अलर्ट, नया सिस्टम बरसा रहा बूंदें

आभार स्वरूप भेंट करते हैं मुर्गा

श्रद्धालुओं का मानना है कि लकवा जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीज मां की भक्ति से स्वस्थ होते हैं और फिर आभार स्वरूप एक मुर्गा भेंट करते हैं। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और आज भी उतनी ही आस्था से निभाई जा रही है। मंदिर के पीछे स्थित तालाब से सूर्यास्त के समय मंदिर का दृश्य इतना मोहक होता है कि श्रद्धालु इसे दिव्य अनुभव मानते हैं।

श्रद्धालुओं का मानना है कि कुछ महीनों में भक्ति के प्रभाव से मरीज स्वस्थ हो जाते हैं। स्वस्थ होने के बाद रोगी मां को जिंदा मुर्गा भेंट करते हैं। मान्यता है कि रोगी के जीवन की रक्षा के बदले एक जीव की भेंट आवश्यक है। इसलिए यहां मुर्गा चढ़ाने की परंपरा है। मंदिर परिसर में सैकड़ों मुर्गे रहते हैं।  

FAQ

1. विंध्यवासिनी माता मंदिर कहां स्थित है?
विंध्यवासिनी माता मंदिर राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के बिजौलिया कस्बे में स्थित है।
2. विंध्यवासिनी माता मंदिर में मन्नत पूरी होने पर क्या चढ़ाया जाता है?
यहां मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु जिंदा मुर्गा चढ़ाते हैं।
3. मंदिर में लकवाग्रस्त रोगियों के लिए क्या व्यवस्था की गई है?
मंदिर में लकवाग्रस्त रोगियों के लिए ठहरने, भोजन और पूजा की व्यवस्था की जाती है। रोगी मां की भक्ति में लीन रहते हुए स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं।

लकवाग्रस्त रोगियों की आशा का केंद्र एक मंदिर बिजौलिया विंध्यवासिनी माता मंदिर विंध्यवासिनी माता मंदिर भीलवाड़ा जिले का बिजौलिया कस्बा मन्नत पूरी होने पर मुर्गा चढ़ाने की परंपरा
Advertisment