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Photograph: (TheSootr)
राकेश कुमार शर्मा @ जयपुर
राजस्थान में जनसेवा के विभाग ही भ्रष्टाचार के अड्डे बने हुए हैं। लोगों की सेवा के बजाय अधिकारी-कर्मचारी सरकारी खजाने को चूना लगा रहे हैं। विभिन्न सरकारी विभागों में 750 शिकायतें गबन और सरकारी खजाने के दुरुपयोग की सामने आई है।
इनमें 131 करोड़ रुपए की चपत सरकारी खजाने को लगाई गई है। कुछ मामलों में सरकार ने वसूली कर ली, लेकिन अभी भी सैकड़ों मामलों में दोषी अधिकारी व कर्मचारियों से रिकवरी नहीं हो पाई है। बड़ी संख्या में मामले कोर्ट में चल रहे हैं, जिसके चलते सरकार भी गबन राशि नहीं ले पा रही है।
CAG की रिपोर्ट, नहीं हो पा रही वसूली
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राजस्थान की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक बार-बार रिमाइंडर देने के बाद भी संबंधित विभाग दोषी कर्मचारियों व अधिकारियों से वसूली नहीं कर पा रहे हैं। सिर्फ विभागीय जांच के आधार पर कई मामलों को लंबित रखे हुए हैं। नियंत्रक महालेखा परीक्षक राजस्थान रिपोर्ट के अनुसार सरकारी धन के गबन व दुरुपयोग के 314 मामले लंबित हैं, वहीं सरकारी कोष में चोरी व हानि पहुंचाने को लेकर 434 प्रकरण अभी भी विचाराधीन हैं। करीब 131.08 करोड़ रुपए की सरकारी राशि वसूली जानी है।
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शिक्षा व ग्रामीण विकास विभाग सबसे आगे
सरकारी धन के दुरुपयोग, गबन और चोरी के मामले में शिक्षा विभाग सबसे आगे है। 135 शिकायतें सरकारी धन के गबन की है, जिनमें 55.30 करोड़ रुपए की राशि वसूली जानी है। यह राशि वसूलने के लिए विभाग ने दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की। आपराधिक मुकदमें भी दर्ज करवाए, लेकिन गबन राशि की वसूली नहीं हो पा रही है। इसी तरह दूसरे नम्बर पर ग्रामीण विकास व पंचायती राज विभाग में 145 शिकायतें है, जिनमें 27.41 करोड़ रुपए का गबन सामने आ चुका है। तीसरे स्थान पर राजस्व विभाग है, जहां पर 60 मामले गबन के है और 13.39 करोड़ रुपए वसूले जाने हैं। इसी तरह निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार की सर्वाधिक शिकायतें 235 है, लेकिन गबन राशि 9.61 करोड़ रुपए है। चिकित्सा विभाग में 8.28 करोड़, स्वायत्त शासन विभाग में 3.91 करोड़ रुपए एवं अन्य विभिन्न सरकारी विभागों की 105 शिकायतें हैं, जहां 13.16 करोड़ रुपए वसूले जाने हैं।
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टिकट-स्टाम्प चोरी की, मशीनरी-उपकरण बेचे
रिपोर्ट के मुताबिक इन राजस्थान सरकार के सरकारी विभागों में सरकारी खजाने को चपत लगाने के लिए फर्जी बिलों व चेकों का तो दुरुपयोग किया गया है। वहीं फर्जी तरीके से राजस्व टिकट और स्टाम्प के माध्यम से भी लाखों करोड़ों रुपयों की चपत लगाई। पुरातत्व विभाग में अल्बर्ट हॉल संग्रहालय और जंतर-मंतर वेधशाला में फर्जी टिकट छापकर चार बाबू और चपरासी करोड़ों रुपए का चूना लगा चुके हैं। भीलवाड़ा का स्टाम्प घोटाला भी चर्चित रहा है। नकली स्टाम्प बनाकर बेच दिए और सरकारी खजाने में पैसा जमा नहीं करवाया। इसके अलावा रोकड पुस्तिका और चालान में जालसाजी करके और स्टोर में रखे सामान को खुर्दबुर्द करके बेचने के मामले भी पकड़े गए हैं। कई अधिकारी व कर्मचारी तो जाली बिल व चेक से सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये निकाल लिए और स्वयं के उपयोग में ले लिए। बहुत से मामले ऐसे हैं, जिनमें करों से प्राप्त राशि को सरकारी खजाने में जमा नहीं करवाया। वाहनों के उपकरण, मशीनरी बेचकर भी सरकारी खजाने को चपत लगाई गई।
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ढाई सौ से अधिक नए स्कूल भवन बन जाए
सरकारी विभागों में 131 करोड़ रुपए की गबन राशि के मामले लंबित है। अगर यह राशि मिल जाए तो 250 से अधिक सीनियर सैकण्डरी स्कूल के भवन तैयार हो सकते हैं। झालावाड़ में जर्जर स्कूल भवन गिरने से सात बच्चोंं की मौत हो गई थी। भ्रष्टाचार और गबन के चलते ही झालावाड़ जैसे दर्दनाक हादसे हो रहे हैं। शिक्षा विभाग में 55 करोड़ रुपए की गबन राशि है। अगर यह राशि भी जर्जर स्कूल भवन में उपयोग हो जाए तो सैकड़ों स्कूल की मरम्मत हो सकती है। राजस्थान में सरकारी गबन और भ्रष्टाचार मामले में कार्रवाई होनी चाहिए।
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