राजस्थान में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र का खुलासा, जांच हुई तो पकड़ा गया डमी, आरोपी कार्मिक फरार, जानें पूरा मामला

राजस्थान में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट से नौकरी पाने वाले कर्मचारी पकड़े गए, मुख्यमंत्री कार्यालय तक में हुए पोस्टिंग, एफआईआर दर्ज। The Sootr में जानें पूरा मामला।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान (Rajasthan) में हाल ही में एक बड़ा खुलासा हुआ है, जहां कुछ कर्मचारियों ने फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट का उपयोग करके सरकारी नौकरी हासिल कर ली। यहां तक कि एक फर्जी ने तो मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) तक में पोस्टिंग पा ली। इस मामले में सवाई मानसिंह अस्पताल (SMS Hospital) में बधिर (hearing-impaired) प्रमाण पत्र धारी एक कर्मचारी को मेडिकल बोर्ड (Medical Board) के सामने पेश होने के लिए बुलाया गया था, लेकिन आरोपी ने वहां एक डमी (dummy) को भेज दिया। जांच में यह डमी पकड़ा गया, और फिर असली कर्मचारी फरार हो गया। अब इस मामले में कार्मिक विभाग (Personnel Department) ने आरोपी कर्मचारी और डमी दोनों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करवाई है। बता दें, राजस्थान में फर्जी दिव्यांगता प्रमाणपत्र की जांच चल रही है।

राजस्थान में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट से सरकारी नौकरी पाने का मामला

राजस्थान के विभिन्न सरकारी विभागों में दिव्यांग कर्मचारियों के लिए आरक्षण (reservation) का प्रावधान है। दिव्यांगता (disability) को प्रमाणित करने के लिए कर्मचारियों को एक प्रमाण पत्र (certificate) प्राप्त करना होता है, जिसके आधार पर वे सरकारी पदों पर नियुक्त होते हैं। लेकिन कुछ कर्मचारी इस प्रक्रिया का गलत फायदा उठाकर फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र  बनवाकर सरकारी नौकरी प्राप्त करते हैं। इस मामले में एक कर्मचारी, जो सीएमओ में पोस्टेड था, फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट से नौकरी हासिल की थी।

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एफआईआर (FIR) दर्ज होने के बाद कार्मिक विभाग ने बताया कि आरोपी कर्मचारी और डमी दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। यह मामला और भी गंभीर हो गया क्योंकि आरोपी कर्मचारी मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) तक में पदस्थ था, जहां से वह अब गैर हाजिर हो गया। अब जांच की प्रक्रिया तेज कर दी गई है और अन्य कर्मचारियों की पहचान करने के लिए कार्रवाई शुरू की गई है।

जांच में डमी पकड़ा गया, आरोपी फरार

कार्मिक विभाग ने जब आरोपी कर्मचारी अशोक पुत्र चैनाराम को मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होने के लिए कहा, तो उसने मेडिकल बोर्ड के सामने एक डमी को भेज दिया। यह डमी दिव्यांगता प्रमाण पत्र को दिखाकर बोर्ड के सामने पेश हुआ, लेकिन जब जांच में डमी से सवाल-जवाब किए गए, तो उसकी सच्चाई सामने आ गई। डमी की पहचान उजागर होते ही, असली आरोपी कर्मचारी फरार हो गया। राजस्थान में फर्जी दिव्यांगता प्रमाणपत्र से नौकरी हासिल करने वालों की जांच चल रही है।

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फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र का आरोपी कार्मिक। Photograph: (The Sootr)

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फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आरोपी कार्मिक का डमी। Photograph: (The Sootr)

तीन कर्मचारियों की जांच, दो फर्जी पाए गए

राजस्थान फर्जी दिव्यांगता प्रमाणपत्र मामला में एसओजी (Special Operations Group) के आदेश पर, दिव्यांग सर्टिफिकेट वाले तीन कर्मचारियों की जांच की गई थी। इनमें से दो कर्मचारी फर्जी पाए गए, जबकि एक कर्मचारी की रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। एक कर्मचारी का विकलांगता प्रतिशत (disability percentage) 13 था, जो कि दिव्यांग आरक्षण के लिए निर्धारित 40 प्रतिशत से काफी कम था। इस मामले में जो कर्मचारी फर्जी पाए गए हैं, उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की जाएगी और उन्हें सरकारी नौकरी से बाहर कर दिया जाएगा। SOG का कहना है कि फर्जी सर्टिफिकेट से सरकारी नौकरी पाने वाले कर्मचारी बच नहीं पाएंगे।

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क्या फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट गंभीर अपराध है?

दिव्यांग सर्टिफिकेट (disability certificate) का गलत इस्तेमाल एक गंभीर अपराध है। इससे न केवल सरकारी नौकरी के लिए आरक्षित स्थानों का गलत इस्तेमाल होता है, बल्कि असली दिव्यांग व्यक्तियों के लिए मिलने वाली सुविधाओं और अवसरों को भी प्रभावित करता है। ऐसे मामलों में सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी बनती है कि वे इस तरह के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं।

फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट मामले में कार्मिक विभाग क्या करेगा?

कार्मिक विभाग ने इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई की है और ऐसे मामलों की जांच करने के लिए विशेष टीमें गठित की हैं। विभाग का कहना है कि वह भविष्य में इस तरह के मामलों को रोकने के लिए और भी कठोर कदम उठाएगा। विभाग का मुख्य उद्देश्य सरकारी पदों पर सही कर्मचारियों की नियुक्ति करना है और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी प्राप्त करने वालों को सजा दिलवाना है।

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राजस्थान प्रशासन में पारदर्शिता और ईमानदारी जरूरी

यह घटना राजस्थान सरकार के प्रशासन में पारदर्शिता (transparency) और ईमानदारी (honesty) की आवश्यकता को दर्शाती है। सरकारी नियुक्तियों में किसी भी प्रकार की धांधली या फर्जीवाड़े को रोकने के लिए सभी कर्मचारियों को नियमों और कानूनों का पालन करना आवश्यक है। सरकार को ऐसे मामलों की गंभीरता को समझते हुए और भी सख्त कदम उठाने चाहिए, ताकि सरकारी संस्थाओं में पारदर्शिता बनी रहे।

FAQ

1. फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के मामलों में क्या सजा हो सकती है?
फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट का उपयोग करना गंभीर अपराध है और इसके लिए सजा के प्रावधान हैं। दोषी पाए जाने पर आरोपी को नौकरी से बर्खास्त किया जा सकता है और इसके अलावा कानूनी सजा भी हो सकती है, जिसमें जेल की सजा भी शामिल हो सकती है।
2. दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया क्या है?
दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को पहले डॉक्टर से मेडिकल जांच करवानी होती है। फिर, इस रिपोर्ट को संबंधित विभाग के पास जमा करना होता है, जो व्यक्ति की विकलांगता का प्रतिशत (percentage of disability) निर्धारित करता है और प्रमाण पत्र जारी करता है।
3. क्या फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट पर नौकरी प्राप्त करना एक बड़ा अपराध है?
जी हां, फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट पर नौकरी प्राप्त करना एक बड़ा अपराध है। यह न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि असली दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आरक्षित अवसरों का भी हनन है।
4. क्या राजस्थान में दिव्यांग कार्मिकों के दस्तावेज की जांच हो रही है?
हां, राजस्थान में दिव्यांग कार्मिकों के दस्तावेज व मेडिकल जांच हो रही है। सवाई मानसिंह अस्पताल में हुई घटना की जांच की जा रही है और आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है। जांच के दौरान पकड़े गए डमी और असली कर्मचारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
5. राजस्थान में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के मामले में सरकार क्या कदम उठा रही है?
राजस्थान सरकार ने इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है। फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट पर नौकरी प्राप्त करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ जांच की जा रही है और कड़ी सजा दिलवाने के लिए कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा रही है।

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