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किसी भी स्वास्थ्य योजना में जनता के हितों को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन जब ये योजनाएं सही तरीके से लागू नहीं होतीं, तो इसके गंभीर परिणाम सामने आते हैं। मुफ्त दवा योजना के तहत राजस्थान में सरकारी अस्पतालों से दी गई खांसी की सिरप पीने से बच्चों की मौत के मामले सामने आए हैं। सीकर और भरतपुर में एक-एक बच्चे की मौत से राज्य में हड़कंप मचा हुआ है। इस सिरप का निर्माण जयपुर की केयसंस फार्मा लिमिटेड द्वारा किया गया था। यह वही कंपनी है, जिसकी एक अन्य दवा का एक सैंपल पहले फेल हो चुका था। राजस्थान के सरकारी अस्पताल मुफ्त जांच और दवा योजना के चलते मरीजों के संबल बने थे, लेकिन खराब दवा आपूर्ति के चलते इनकी साख प्रभावित हो रही है।
केयसंस फार्मा का सैंपल फेल
सरकारी लैब ने केयसंस फार्मा की खांसी की एक अन्य सिरप के सैंपल को टेस्ट किया था। रिपोर्ट में सिरप में मेंथॉल 0.5 मिलीग्राम अमानक पाया गया था। इसके चलते दवा को घटिया मानते हुए कंपनी को एक साल के लिए डिबार कर दिया गया था। हालांकि, आरएमएससीएल ने दूसरी दवाओं की सप्लाई जारी रखी, जिससे सवाल उठने लगे हैं।
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सीकर में 5 साल के बच्चे की मौतमुफ्त दवा योजना में वितरण की गई सिरप, Dextromethorphan HBr Syrup IP 13.5mg / 5ml (440), पीने से सीकर में एक 5 साल के बच्चे की मौत हो गई। चिकित्सा विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और सिरप के वितरण पर रोक लगा दी है। जांच के लिए सैंपल लैब भेजे गए हैं। इसके अलावा, अन्य बैचों के सैंपल भी जांच के लिए भेजे गए हैं। एक बार रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। दूसरी मौत की घटनाभरतपुर जिले के बयाना के मलाह गांव में दो महीने के एक बच्चे की मौत भी खांसी की सिरप पीने से हुई। इसी सिरप का सेवन करने के बाद परिवार के तीन बच्चों की तबीयत बिगड़ी थी, जिसमें से एक की मौत हो गई। इस घटना के बाद राज्य सरकार ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। दिल्ली में भी गड़बड़ीदवा में गड़बड़ी पहली बार नहीं हुई है। चार साल पहले दिल्ली के एक चिल्ड्रन हॉस्पिटल में डेक्स्ट्रोमेथोर्फन सिरप से 16 बच्चों की तबीयत बिगड़ी थी, जिनमें से तीन की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला सामने आने के बाद, स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस सिरप पर रोक लगा दी थी। | |
जांच की प्रक्रिया
कंपनी ने दवाओं का निर्माण करते समय मानकों का पालन किया था या नहीं, इसका खुलासा जांच के बाद ही होगा। दवाओं को सरकारी अस्पतालों में भेजे जाने से पहले उनकी गुणवत्ता की जांच की जाती है, लेकिन इस बार जांच में क्या कमी रही, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
राजस्थान में दवा से दो बच्चों की मौत का मामला गंभीर है। सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति करने वाली दवा कंपनी डिबार हो चुकी थी। ऐसी दवा कंपनी से आपूर्ति क्यों की जा रही थी?
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