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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान (Rajasthan) में भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) की सरकार बनने के बाद मुख्य सचिव (CS) सुधांश पंत (Sudhansh Pant) ने सरकारी दफ्तरों का आकस्मिक निरीक्षण कर अधिकारियों और कर्मचारियों के कामकाज की समीक्षा शुरू की थी। यह कदम सरकारी विभागों में अनुशासन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया था। इस कदम से सरकारी दफ्तरों में समयबद्धता और उपस्थिति में सुधार आया था लेकिन, अब 17 महीने बाद यह प्रक्रिया कमजोर हो गई है।
राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत के सरकारी फरमान के बाद दफ्तरों में कर्मचारियों के आने-जाने पर नजर रखी जाने लगी थी लेकिन, समय के साथ यह निगरानी कमजोर पड़ने लगी। अब सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों के आने-जाने में बड़ी लापरवाही ब्यावर जिले में सामने आई है। प्रशासनिक सुधार विभाग ने बुधवार को ब्यावर (Beawar) में सरकारी दफ्तरों का औचक निरीक्षण किया। इसमें कई अधिकारी और कर्मचारी ऑफिस टाइम के दौरान अनुपस्थित मिले।
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क्या था आकस्मिक निरीक्षण का उद्देश्य?
मुख्य सचिव का मकसद सरकारी दफ्तरों में कामकाजी अनुशासन को सुनिश्चित करना, अधिकारियों और कर्मचारियों की उपस्थिति की निगरानी करना और लापरवाही पर अंकुश लगाना था। इसके साथ ही जनता को बेहतर और समयबद्ध सेवाएं प्रदान करना भी मुख्य उद्देश्य था।
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क्यों बढ़ रही सरकारी दफ्तरों में लापरवाही?
सूत्रों के अनुसार, इन दिनों राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत की कम सक्रियता के कारण सरकारी दफ्तरों में कामकाज की गुणवत्ता में गिरावट आई है। बताया जा रहा है कि राजनीतिक कारणों के चलते मुख्य सचिव सुधांश पंत की सक्रियता में कमी आई है। इससे अधिकारियों और कर्मचारियों के कामकाज पर निगरानी थोड़ी कम हुई है।
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ब्यावर में सामने आई लापरवाही
हाल ही में ब्यावर जिले में प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा किए गए आकस्मिक निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि 69 राजपत्रित अधिकारियों में से 46 अधिकारी कार्यालय से अनुपस्थित थे। इसी तरह 385 अराजपत्रित कर्मचारियों में से 167 कर्मचारी भी ऑफिस में मौजूद नहीं थे। प्रशासनिक सुधार विभाग ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि इस प्रकार की अनियमितताएं स्वीकार नहीं की जाएगी।
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क्या फिर से शुरू होगा आकस्मिक निरीक्षण?
राजस्थान में सरकारी दफ्तरों में कामकाज और अनुशासन को लेकर सरकार और प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से फिर से सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। ताकि कर्मचारियों की उपस्थिति और समयबद्धता को सुनिश्चित किया जा सके और प्रदेश में बेहतर सेवाएं दी जा सकें।