राजस्थान में यूएई का निवेश, तीन लाख करोड़ से ग्रीन एनर्जी में बनेंगे सरताज

राजस्थान में यूएई का ग्रीन एनर्जी में बड़ा निवेश, 60,000 मेगावाट परियोजना से राज्य की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा क्षमता को मिलेगा बड़ा लाभ। केन्द्र सरकार ने किया एमओयू।

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Nitin Kumar Bhal
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UAE Investing in Rajasthan

Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान (Rajasthan) समेत देशभर के लिए एक बड़ी खबर है। अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम राजस्थान और यूएई मिलकर उठाएंगे। दरअसल, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) प्रदेश में तीन लाख करोड़ के निवेश से 60 हजार मेगावाट क्षमता के प्रोजेक्ट लगाएगा। केन्द्र सरकार ने इसे लेकर यूएई से एक एमओयू (MoU) किया है। इस एमओयू को राजस्थान लाया जा रहा है। इस निवेश से ग्रीन एनर्जी (Green Energy) के क्षेत्र में एक नई क्रांति आने की संभावना है। यह निवेश न केवल ऊर्जा क्षेत्र, बल्कि प्रदेश की समग्र अर्थव्यवस्था को भी नए आयामों में पहुंचाने में सक्षम होगा।

60,000 मेगावाट का है प्रोजेक्ट

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) राजस्थान में 60,000 मेगावाट क्षमता वाले सौर और पवन ऊर्जा (Solar and Wind Energy) के प्रोजेक्ट लगाएगा। यह निवेश केन्द्र सरकार द्वारा यूएई के साथ किए गए एमओयू (Memorandum of Understanding) के तहत राजस्थान की दिशा में दिया जा रहा है। राजस्थान में इस विशाल परियोजना के चलते सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन में राज्य का स्थान वैश्विक स्तर पर ऊंचा हो सकता है।

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अक्षय ऊर्जा में राजस्थान की वैश्विक पहचान

राजस्थान, जो पहले से ही सौर ऊर्जा के लिए प्रसिद्ध है, अब इस निवेश के बाद दुनिया का प्रमुख ग्रीन एनर्जी हब बन सकता है। राज्य की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता में 5.72 यूनिट प्रति वर्ग मीटर प्रति वर्ष के साथ सबसे अधिक रेडिएशन (Solar Radiation) है। इसके मुकाबले अन्य राज्य जैसे गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक पीछे हैं।

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इंफ्रास्ट्रक्चर और रोजगार के साथ तकनीकी लाभ भी

यह परियोजना न केवल ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देगी, बल्कि राज्य की इंफ्रास्ट्रक्चर, निर्माण, मशीनरी और स्थानीय सप्लाई चेन को भी मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही, निर्माण, संचालन और रखरखाव जैसे क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। तकनीकी संस्थानों को भी इस प्रोजेक्ट से फायदे होंगे। राजस्थान को ग्रीन एनर्जी डेस्टिनेशन के रूप में अंतरराष्ट्रीय पहचान भी मिलेगी।

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अक्षय ऊर्जा क्या है

अक्षय ऊर्जा, जिसे नवीकरणीय ऊर्जा भी कहा जाता है, प्राकृतिक स्रोतों जैसे सूर्य, हवा, पानी और भूतापीय ऊर्जा से उत्पन्न होती है। ये स्रोत हमेशा नवीनीकरण होते रहते हैं, जिससे हमें एक स्थायी और पर्यावरण के लिए अनुकूल ऊर्जा मिलती है।

अक्षय ऊर्जा के प्रमुख प्रकार

  1. सौर ऊर्जा: सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करना।

  2. पवन ऊर्जा: हवा की गति से टर्बाइन चलाकर बिजली बनाना।

  3. जलविद्युत ऊर्जा: बहते पानी की ऊर्जा से टर्बाइन चलाकर बिजली उत्पन्न करना।

  4. भूतापीय ऊर्जा: पृथ्वी की आंतरिक गर्मी का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करना।

  5. जैव ऊर्जा: पौधों और जानवरों के कचरे जैसे जैविक पदार्थों का उपयोग करके ऊर्जा उत्पन्न करना।

अक्षय ऊर्जा के लाभ

  1. पर्यावरण के अनुकूल: अक्षय ऊर्जा से बिजली बनाने की प्रक्रिया में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बहुत कम होता है या बिल्कुल नहीं होता, जिससे यह जलवायु परिवर्तन को रोकने में मदद करता है।

  2. स्थायी: क्योंकि अक्षय ऊर्जा स्रोतों का पुनर्नवीनीकरण होता है, ये कभी समाप्त नहीं होते, जिससे यह एक स्थायी समाधान प्रदान करता है।

  3. ऊर्जा सुरक्षा: इन स्रोतों का उपयोग करने से देश अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम कर सकते हैं।

  4. आर्थिक विकास: अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश से नए रोजगार के अवसर उत्पन्न हो सकते हैं और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है।

भारत में अक्षय ऊर्जा का भविष्य

भारत सरकार अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। देश में अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता तेजी से बढ़ रही है, और भारत ने 2030 तक 50% गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से बिजली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है।

 

 

भूमि और ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर की हैं चुनौतियां

हालांकि, इस परियोजना को लेकर कुछ चुनौतियां भी हैं। एक बड़ी चुनौती भूमि का अभाव हो सकता है, क्योंकि इतने बड़े प्रोजेक्ट के लिए एक स्थान पर पर्याप्त भूमि मिलना मुश्किल हो सकता है। इसे विभिन्न जिलों में फेजवाइज स्थापित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, बिजली उत्पादन के बाद उसकी आपूर्ति भी एक बड़ी चुनौती होगी। इसके लिए नए ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता पड़ेगी, और मौजूदा क्षमता को भी बढ़ाना होगा।

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FAQ

1. राजस्थान में यूएई का ग्रीन एनर्जी निवेश कब हुआ?
यूएई द्वारा राजस्थान में ग्रीन एनर्जी के लिए तीन लाख करोड़ रुपये का निवेश भारत और यूएई के बीच साइन हुए एमओयू के तहत हो रहा है, जो राज्य की अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता को बढ़ाएगा।
2. राजस्थान को ग्रीन एनर्जी हब बनाने में यूएई का योगदान क्या है?
यूएई द्वारा निवेश से राजस्थान की सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन क्षमता को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, राज्य को ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में एक अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल सकती है।
3. राजस्थान में इस प्रोजेक्ट से रोजगार के अवसर कैसे बढ़ेंगे?
राजस्थान में इस बड़े ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट से निर्माण, संचालन और रखरखाव जैसे क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। साथ ही, तकनीकी संस्थान भी इसका लाभ उठाएंगे।

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