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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान के टोंक जनाना अस्पताल (MCH) में हाल ही में एक विवाद ने तूल पकड़ा, जब एक महिला डॉक्टर और इंटर्नशिप कर रही छात्रा के बीच हिजाब पहनने को लेकर बहस हो गई। यह घटना शनिवार की है, और रविवार को इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसे छात्रा ने खुद शूट किया था। इस वीडियो ने ना सिर्फ अस्पताल के भीतर की स्थितियों को उजागर किया, बल्कि इसने समाज में एक नई बहस को भी जन्म दिया है।
टोंक जिले स्थित जनाना अस्पताल में हिजाब विवाद का कारण क्या है?
महिला डॉक्टर ने इंटर्न छात्रा से ड्यूटी के दौरान हिजाब न पहनने को कहा। डॉक्टर ने यह तर्क दिया कि अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों का चेहरा मरीजों को साफ दिखना चाहिए। डॉक्टर का कहना था कि अगर इंटर्न को चेहरे में कोई समस्या है तो उसे काम नहीं करना चाहिए। छात्रा ने इसका विरोध करते हुए इसे अपनी धार्मिक आस्था से जुड़ा मुद्दा बताया और हिजाब पहनकर ही ड्यूटी करने की बात कही। यह मामला अस्पताल के अंदर की नीतियों और धार्मिक आस्थाओं के बीच टकराव का उदाहरण बन गया है।
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टोंक जिले के महिला अस्पताल में हिजाब को लेकर क्या विवाद हुआ?
वीडियो में डॉक्टर बिंदु गुप्ता, जो कि अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ (Gynecologist) हैं, इंटर्न छात्रा को हिजाब न पहनने की हिदायत देती नजर आ रही हैं। डॉक्टर ने कहा, “मरीज को यह जानना जरूरी है कि इंजेक्शन किसने लगाया, और यदि आपका चेहरा न दिखे, तो मरीज को यह कैसे पता चलेगा?” इस पर छात्रा ने जवाब दिया कि वह ड्यूटी पर आने के समय अपना चेहरा दिखा सकती हैं, और उनका पहचान पत्र (ID Card) भी मौजूद है। इसके बावजूद, डॉक्टर गुप्ता का कहना था कि हिजाब अस्पताल में पहना जाना स्वीकार्य नहीं है, और चेहरा हर समय स्पष्ट दिखना चाहिए।
टोंक महिला अस्पताल में हिजाब विवाद पर अस्पताल प्रशासन ने क्या कहा?
MCH प्रभारी डॉक्टर विनोद परवेरिया ने बताया कि छात्रा पिछले एक महीने से जनाना अस्पताल में यूनानी इंटर्नशिप (Internship) कर रही थी और उसकी ड्यूटी लेबर रूम में थी। तीन दिन पहले भी इस मुद्दे पर डॉक्टर बिंदु गुप्ता के साथ एक बहस हुई थी। शनिवार को भी इसी मुद्दे पर विवाद हुआ, जिसका वीडियो सामने आया। डॉक्टर परवेरिया ने कहा कि उन्होंने इस मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को दे दी है और विभागीय जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
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हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या है ?मुंबई कॉलेज बुर्का मामले का फैसलासुप्रीम कोर्ट ने मुंबई कॉलेज के बुर्का मामले में फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कक्षा में बुर्का पहनने की अनुमति नहीं दी जाएगी और परिसर में किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि पर रोक रहेगी। अंतरिम आदेश का दुरुपयोग न करने की चेतावनीकोर्ट ने कहा कि ‘बुर्का, हिजाब’ के संबंध में जो अंतरिम आदेश जारी किया गया है, उसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। यदि दुरुपयोग होता है, तो कॉलेज को अदालत से मदद लेने का अधिकार होगा। कॉलेज के आदेश पर आंशिक रोकसुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के कॉलेज के उस आदेश पर आंशिक रोक लगाई, जिसमें परिसर में ‘हिजाब, बुर्का, टोपी और नकाब’ पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया था। याचिका पर सुनवाई और जवाब मांगाकॉलेज में ‘हिजाब’ और ‘बुर्का’ पहनने पर प्रतिबंध संबंधी हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुंबई की ‘एजुकेशनल सोसाइटी’ से जवाब मांगा गया। छात्राओं के चयन का अधिकारसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संस्थान छात्राओं पर अपनी पसंद थोप नहीं सकते। छात्राओं को यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वे क्या पहनें। कॉलेज प्रशासन को इस बारे में दबाव नहीं डालना चाहिए। धार्मिक पहचान पर सवालजस्टिस खन्ना और जस्टिस कुमार की पीठ ने एजुकेशनल सोसायटी से पूछा कि क्या छात्रों के नाम से उनकी धार्मिक पहचान उजागर नहीं होती। यह सवाल खासकर उन संस्थानों से पूछा गया जो धार्मिक पहचान को प्रतिबंधित करने की कोशिश कर रहे थे। तिलक और बिंदी पर प्रतिबंध क्यों नहीं?कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि अगर कॉलेज का उद्देश्य छात्राओं की धार्मिक आस्था को प्रदर्शित करने पर रोक लगाना था, तो उसने ‘तिलक’ और ‘बिंदी’ पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया। सामाजिक विविधता का सम्मानकोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें यह याद दिलाया जाता है कि हमारे देश में विभिन्न धर्म हैं और समाज को इस विविधता का सम्मान करना चाहिए। कक्षा में बुर्का पहनने की अनुमति नहींकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कक्षा में बुर्का पहनने की अनुमति नहीं दी जा सकती और न ही परिसर में धार्मिक गतिविधियों की इजाजत दी जा सकती है। दुरुपयोग की स्थिति में कार्रवाईकोर्ट ने कहा कि अगर उसका अंतरिम आदेश दुरुपयोग किया गया, तो ‘एजुकेशनल सोसाइटी’ और कॉलेज को अदालत का रुख करने की स्वतंत्रता दी गई है। याचिकाकर्ताओं का पक्षजैनब अब्दुल कयूम सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने कहा कि हिजाब पर प्रतिबंध के कारण छात्राएं कक्षाओं में शामिल नहीं हो पा रही हैं, और यह उनके शिक्षा अधिकार का उल्लंघन है। | |
टोंक जिले के हिजाब विवाद में पुलिस की कार्रवाई
इस मामले की जांच के दौरान, टोंक शहर के कोतवाली थाना सीआई भंवरलाल वैष्णव ने भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि वीडियो की जांच की जा रही है और पुलिस की साइबर सेल इस मामले पर पूरी नजर रखे हुए है। अगर किसी ने विवादित या भड़काऊ टिप्पणी की, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
टोंक अस्पताल हिजाब विवाद ने दिया नई बहस को जन्म
यह मामला धार्मिक आस्था (Religious Faith) और पेशेवर आचार संहिता (Professional Code of Conduct) के बीच टकराव को उजागर करता है। समाज में हिजाब पहनने का मुद्दा हमेशा से ही एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। कई लोग इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Personal Freedom) का हिस्सा मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे सार्वजनिक स्थानों पर पहनने की आलोचना करते हैं। इस मामले ने समाज में एक नई बहस को जन्म दिया है, जिसमें धर्म और पेशेवर जीवन के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
राजस्थान में हिजाब विवाद में आगे क्या होगा?
इस मामले में प्रशासन ने उचित जांच प्रक्रिया शुरू करने का आश्वासन दिया है। पुलिस की साइबर सेल द्वारा वीडियो की जांच की जा रही है, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में आगे कौन-सी कानूनी कार्रवाई की जाती है। साथ ही, डॉक्टर बिंदु गुप्ता और इंटर्न छात्रा दोनों को पेशेवर जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए रखने की दिशा में सलाह दी जा सकती है।
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