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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान के अलवर जिले में एक अवैध धर्मांतरण का मामला सामने आया है। सैय्यद कॉलोनी के गोलेटा क्षेत्र में स्थित एक मिशनरी केंद्र में करीब 60 बच्चे पाए गए, जिनसे पूछताछ करने पर यह पता चला कि यहां धर्मांतरण की गतिविधियाँ चल रही थीं। इस मामले में पुलिस ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये लोग मिशनरी में हिन्दू देवी-देवताओं के बारे में अनर्गल बातें बच्चों को बता रहे थे।
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अलवर में अवैध धर्मांतरण का भंडाफोड़
यह मामला तब सामने आया, जब गोलेटा में एक निजी स्कूल के पीछे एक मिशनरी के अंदर 12 से 15 वर्ष की उम्र के बच्चों को देखा गया। इन बच्चों से पूछताछ करने पर पता चला कि उन्हें जानबूझकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया जा रहा था। बच्चों ने पुलिस को बताया कि उन्हें इस मिशनरी में लाकर उनके विश्वास और धार्मिक सोच को बदलने के लिए मानसिक दबाव डाला जा रहा था।
इन बच्चों के अनुसार, मिशनरी के संचालकों ने उन्हें बताया कि श्रीराम, श्रीकृष्ण और गुरुनानक देव नकली भगवान हैं, और असली भगवान ईसा मसीह हैं। बच्चों से कहा गया कि केवल ईसा मसीह की पूजा से ही उन्हें स्वर्ग मिलेगा।
इस घटना के बाद, विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि वे इस प्रकार के धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे। विहिप ने इस मामले में प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है और कहा है कि यह मामला समाज के लिए एक गंभीर खतरा है। विहिप के कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि धर्मांतरण के इन मामलों को रोकने के लिए सभी नागरिकों को एकजुट होना होगा।
पुलिस ने ताला तोड़कर किया मिशनरी में प्रवेश
पुलिस को मिशनरी के अंदर ताला बंद होने के कारण प्रवेश में कठिनाई आई। इस दौरान, विश्व हिंदू परिषद (VHP) कार्यकर्ताओं ने पास के मकान की छत से कूदकर मिशनरी में प्रवेश किया। इसके बाद, पुलिस ने पूरी इमारत की जांच की और मिशनरी को अपने कब्जे में लिया। पुलिस को वहां बाइबिल और ईसाई धर्म की अन्य पुस्तकें मिलीं, जो धर्मांतरण की गतिविधियों को प्रमाणित करती हैं।
पुलिस ने इस मामले में दो मुख्य आरोपियों, अमृत और सोनू को गिरफ्तार किया है। दोनों पर बच्चों का माइंड वॉश करके उन्हें धर्मांतरण की प्रक्रिया में शामिल करने का आरोप है।
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बच्चों का शोषण एक गंभीर समस्या
इस मामले ने न केवल अवैध धर्मांतरण के खेल को उजागर किया, बल्कि बच्चों के मानसिक शोषण का भी खुलासा किया। पुलिस के अनुसार, यहां गरीब परिवारों के बच्चों और उनके परिजनों को मानसिक रूप से दबाव डालकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया जा रहा था। बच्चों से यह भी कहा गया था कि अगर वे ईसा मसीह की पूजा करते हैं तो उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी।
बच्चों ने बताया कि मिशनरी में एक नियंत्रित माहौल था, जिसमें बाहरी दुनिया से संपर्क पूरी तरह से काट दिया गया था। इस मिशनरी में दीवारें 15 फीट ऊंची थीं और किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं थी। यहां तक कि दबिश के दौरान मिशनरी के दरवाजे बंद थे, जिन्हें तोड़कर पुलिस अंदर दाखिल हो पाई।
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धर्मांतरण के दो आरोपी हिरासत में
पुलिस ने मिशनरी धर्मांतरण मामले की गंभीरता को समझते हुए त्वरित कार्रवाई की और दोनों आरोपियों अमृत और सोनू को हिरासत में लिया है। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए वे सख्त कदम उठाएंगे। इसके साथ ही, वे यह भी सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में ऐसे मामलों को पूरी तरह से रोका जाए।
वहीं, प्रशासन और सरकार से भी यह उम्मीद जताई जा रही है कि वे इस तरह के मामलों की रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाएंगे। खासतौर पर बच्चों का मानसिक शोषण और धर्मांतरण के ऐसे मामलों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
भारत में धर्मांतरण विरोधी कानून क्या है?राजस्थान: आजीवन कारावास, 50 लाख जुर्मानाराजस्थान में अवैध धर्मांतरण के मामले देख राजस्थान सरकार ने ऐलान किया है कि वह देश के सबसे कड़े धर्मांतरण-विरोधी कानूनों में से एक लाने वाली है। प्रस्तावित ड्राफ्ट के अनुसार अगर कोई व्यक्ति बलपूर्वक, धोखे से या प्रलोभन देकर धर्म बदलवाता है तो उसे आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। इसके अलावा 50 लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकेगा। कानून का उल्लंघन एक गंभीर अपराध माना जाएगा और यह गैरजमानती जुर्म होगा। नाबालिगों, महिलाओं और अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों का धर्मांतरण कराने पर और भी कड़ी सजा का प्रावधान होगा। यह प्रस्ताव राष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ रहा है क्योंकि यह अब तक का सबसे कठोर प्रावधान होगा। उत्तर प्रदेश: 5 साल की जेल, 15 हजार रुपए जुर्मानासाल 2021 में उत्तर प्रदेश ने अपना कानून लागू किया। बलपूर्वक या धोखे से धर्म परिवर्तन कराने पर 1 से 5 वर्ष की जेल और 15 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा। यदि नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति/जनजाति का व्यक्ति धर्मांतरण का शिकार होता है तो सजा 3 से 10 वर्ष और जुर्माना 25 हजार रुपए लगेगा। सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने पर न्यूनतम 3 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष तक की सजा, साथ में कम से कम 50 हजार रुपए का जुर्माने का प्रावधान है। धर्म परिवर्तन से पहले व्यक्ति को जिला मजिस्ट्रेट को सूचना देनी होती है। मध्य प्रदेश: 5 साल की जेल, 25 हजार जुर्मानामध्य प्रदेश ने भी इस सिलसिले में नया कानून पारित किया है। इसके तहत जबरन धर्म परिवर्तन पर 1 से 5 वर्ष की कैद और 25 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा। महिला, नाबालिग और अनुसूचित जाति/जनजाति के मामले में 2 से 10 वर्ष की सजा और 50 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा। सामूहिक धर्मांतरण पर 5 से 10 वर्ष की कैद और 1 लाख रुपए का जुर्माना लगना तय है। धर्म परिवर्तन के लिए विवाह कराना भी अवैध घोषित है। गुजरात: 10 साल कैद, 50 हजार जुर्मानागुजरात सरकार ने अपने कानून में जबरन धर्मांतरण पर 3 से 10 वर्ष तक की कैद और 25 हजार से 50,000 रुपए तक जुर्माना लगाने का प्रावधान किया है। महिलाओं, नाबालिगों और अनुसूचित जाति/जनजाति के मामले में यह सजा और जुर्माना और कड़ा होगा। सामूहिक धर्मांतरण के मामले में 2 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। विवाह के माध्यम से जबरन धर्म परिवर्तन को अपराध घोषित किया गया है। उत्तराखंड: 5 साल की कैद, 25 हजार रुपए जुर्मानाइस हिमालयी राज्य ने बलपूर्वक धर्मांतरण पर 1 से 5 वर्ष की कैद और 25 हजार रुपए जुर्माना लगाने की व्यवस्था की है। महिला, नाबालिग या कमजोर वर्ग से जुड़े व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराने पर 2 से 7 वर्ष की कैद और 50 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा। विवाह के माध्यम से धार्मिक पहचान छिपाकर धोखा देने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। हिमाचल प्रदेश: 5 वर्ष की सजा, 25 हजार रुपए जुर्मानाहिमाचल प्रदेश में बलपूर्वक धर्मांतरण पर 1 से 5 वर्ष की सजा और 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। महिला, नाबालिग या अनुसूचित जाति/जनजाति मामलों में 2 से 7 वर्ष की कैद और 1 लाख रुपए का जुर्माना लगेगा। यहां धर्मांतरण से पूर्व जिला मजिस्ट्रेट को सूचना देना अनिवार्य है। झारखंड: 3 साल की कैद, 50 हजार का जुर्मानाझारखंड में जबरन धर्म परिवर्तन पर 3 वर्ष की कैद और 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाने की व्यवस्था है। महिला, नाबालिग और अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए प्रावधान और कठोर है। इसमें 4 वर्ष की कैद और 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। ओडिशा: 1 साल की जेल, 5 हजार का जुर्मानाओडिशा भारत का पहला राज्य है जिसने धर्म स्वतंत्रता अधिनियम लागू किया था। इसके तहत बलपूर्वक धर्म परिवर्तन पर 1 वर्ष जेल और पांच हजार रुपए जुर्माना लगाया जा सकता है। महिला, नाबालिग या अनुसूचित जाति/जनजाति का धर्म परिवर्तन कराने पर 2 वर्ष कैद और 10 हजार रुपए जुर्माना लग सकता है। अरुणाचल प्रदेश में 2 साल की कैद और हरियाणा में 5 साल का कारावासअरुणाचल प्रदेश में जबरन धर्म परिवर्तन पर 2 वर्ष की कैद और 10 हजार रुपए जुर्माना लग सकता है। हरियाणा धर्मांतरण निषेध अधिनियम, 2022 के तहत धोखे या ज़बरन धर्मांतरण पर 1 से 5 वर्ष की कैद और 1 लाख रुपए जुर्माना है। महिला, नाबालिग और अनुसूचित जाति/जनजाति के धर्मांतरण पर 2 से 10 वर्ष की कैद और 3 लाख रुपए तक जुर्माना का प्रावधान है। कर्नाटक: 10 साल की सजाकर्नाटक ने भी 2022 में कड़ा कानून पारित किया है, जिसमें 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा कई अन्य राज्य भी समय-समय पर कानून बनाने या संशोधित करने की दिशा में कदम उठा रहे हैं। | |
अवैध धर्मांतरण की रोकथाम के उपाय
राज्य सरकार और प्रशासन को राजस्थान में धर्मांतरण के मामलों की रोकथाम के लिए कुछ प्रभावी कदम उठाने होंगे। सबसे पहले, धर्मांतरण से संबंधित कानूनों को और सख्त किया जाना चाहिए। इसके अलावा, बच्चों और उनके परिवारों को जागरूक करना भी आवश्यक है, ताकि वे ऐसे शोषण और दबाव से बच सकें।
इसके साथ ही, समाज के विभिन्न वर्गों को भी यह समझाना होगा कि किसी भी धार्मिक गतिविधि के तहत किसी को मानसिक दबाव में डालकर धर्मांतरण कराना न केवल गलत है, बल्कि यह बच्चों और समाज के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है।
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