राजस्थान में परियोजनाओं की कछुआ चाल : फिर कैसे होगा राज्य का विकास, अब तो जागो सरकार

राजस्थान में 30,000 करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने के बावजूद 541 परियोजनाएं अधूरी पड़ी हैं। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में इस लापरवाही को उजागर करते हुए, इन परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने की सिफारिश की है।

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Gyan Chand Patni
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राजस्थान में 30,000 करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने के बावजूद 541 परियोजनाएं अधूरी पड़ी हैं। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में इस लापरवाही को उजागर करते हुए, इन परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने की सिफारिश की है।

राजस्थान में पिछले कई सालों से विभिन्न सरकारी परियोजनाएं अधूरी पड़ी हैं, जिनके लिए भारी धनराशि आवंटित की गई थी। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) के हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 30,000 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होने के बावजूद, 541 परियोजनाएं पूरी नहीं हो सकी हैं।

राज्य की वित्तीय स्थिति पर भी असर

इन अधूरी परियोजनाओं की स्थिति राज्य की वित्तीय स्थिति पर भी असर डाल रही है और यह धनराशि अवरोधित हो गई है, जिससे राज्य पर वित्तीय बोझ बढ़ा है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में यह सुझाव दिया है कि इन परियोजनाओं को शीघ्रता से पूरा किया जाए ताकि सार्वजनिक धन का बेहतर उपयोग हो सके और लागत में बढ़ोतरी से बचा जा सके।

राजस्थान सीएजी रिपोर्ट में यह बात साफ हुई है कि राजस्थान सरकार की बजट घोषणा तक गंभीरता से नहीं ली जाती। कई बजट घोषणाओं पर तो काम ही नहीं शुरू हुआ है। जिन पर काम शुरू होता है, उसमें बहुत सुस्ती दिखाई देती है। राजस्थान की अधूरी परियोजनाएं सरकार की इच्छाशक्ति पर सवालिया निशान लगाती है। 


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सीएजी का खुलासा 

सीएजी ने विभागों से प्रमुख नीतिगत घोषणाओं के क्रियान्वयन के बारे में पूछताछ की, तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। कई परियोजनाओं के लिए प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृतियां ही नहीं मिल पाई, जबकि कुछ के लिए केंद्र सरकार से राशि नहीं आई। सीएजी ने 34 परियोजनाओं का उल्लेख किया है, जो 2014-15 से पहले शुरू की गई थीं, लेकिन अब तक पूरी नहीं हो पाई हैं।

प्रमुख अधूरी परियोजनाएं और उनकी स्थिति 

चित्तौड़गढ़ किला विकास प्राधिकरण  

2017-18 में इस प्राधिकरण के गठन की घोषणा की गई थी, लेकिन अब तक इसका गठन नहीं हुआ। सीएजी को अगस्त 2024 में राज्य सरकार से जवाब मिला कि यह प्राधिकरण अब तक नहीं बन पाया है।

औद्योगिक क्षेत्र स्थापना 

2020-21 और 2022-23 में बजट में औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने की घोषणा की गई थी, लेकिन नवंबर 2024 तक केवल 24 उपखंडों में ही औद्योगिक क्षेत्र स्थापित हो पाए, जबकि 20 उपखंडों में भूमि आवंटन की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो पाई।

राजस्थान में परिवहन सेवा विस्तार

2021-22 में सरकार ने 6,000 ग्राम पंचायतों को बस सेवा से जोड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन सीएजी के अनुसार, इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया और योजना अधूरी रह गई।

राजस्थान में फूड पार्क और एग्रो पार्क 

2022-23 में राज्य में विभिन्न जिलों में मिनी फूड पार्क और एग्रो पार्क बनाने की घोषणा की गई थी, लेकिन इनमें से कुछ परियोजनाएं अब तक जमीन आवंटन के बिना ही रुकी हुई हैं। पाली में भूमि आवंटन निरस्त कर दिया गया, और जैसलमेर तथा मथानिया में भूमि ही उपलब्ध नहीं है।

 

सीएजी की सिफारिशें  

सीएजी ने इन परियोजनाओं की लापरवाही को लेकर कई सिफारिशें की हैं। इन सिफारिशों के अनुसार, सभी अधूरी परियोजनाओं को शीघ्रता से पूरा किया जाना चाहिए। सीएजी का मानना है कि परियोजनाओं की असमर्थता से राज्य सरकार को अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाना पड़ रहा है, और इससे जनता को लाभ नहीं मिल पा रहा है।

बजट प्रावधानों का दुरुपयोग 

सीएजी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कई योजनाओं के लिए लगातार तीन साल से अनावश्यक रूप से बजट प्रावधान किए गए, जबकि उन पर कोई काम नहीं हुआ। यह न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग है, बल्कि इसका कोई सकारात्मक परिणाम भी सामने नहीं आया।

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2023-24 के चुनावी साल में सुस्ती  

वित्तीय वर्ष 2023-24 चुनावी वर्ष होने के बावजूद अधिकारियों ने कई प्रमुख नीतिगत घोषणाओं पर सुस्ती दिखाई। सीएजी ने 413 योजनाओं और घोषणाओं पर काम न होने का खुलासा किया, जिसके कारण 10,323.77 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो पाए। इसमें से 148 योजनाओं का बजट वापस ले लिया गया, और 31 योजनाओं को टोकन बजट देकर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

राज्य सरकार की जिम्मेदारी  

राजस्थान सरकार को इस रिपोर्ट के आधार पर शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए। सरकार ने इन योजनाओं की घोषणाएं तो की हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन प्राथमिकता के साथ होना चाहिए ताकि जनता को समय पर लाभ मिल सके और सरकार का वित्तीय बोझ कम हो।

FAQ

1. राजस्थान में 541 अधूरी परियोजनाओं का कारण क्या है?
 इन परियोजनाओं का कारण प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृतियों में देरी, भूमि आवंटन में समस्याएं और सही तरीके से योजना का क्रियान्वयन न होना है।
2. सीएजी ने इस रिपोर्ट में क्या सिफारिशें की हैं?
 सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में सभी अधूरी परियोजनाओं को शीघ्रता से पूरा करने की सिफारिश की है ताकि वित्तीय भार से बचा जा सके और जनता को समय पर लाभ मिल सके।
 3. सरकार इन परियोजनाओं को कैसे पूरा कर सकती है?
सरकार को परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लानी होगी, सही प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृतियों के साथ भूमि आवंटन में भी तत्परता दिखानी होगी।



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