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Photograph: (the sootr)
जयपुर। यह कहानी उस युवा पाकिस्तानी दंपती की है, जो आंखों में हसीन जिंदगी के सपने लेकर पाकिस्तान से 50 किलोमीटर का रेतीला सफर तय कर भारत की सीमा में घुस आए, लेकिन, भारत-पाक बॉर्डर पर भूख-प्यास से बेहाल होकर रेगिस्तान में दोनों बेहोश हो गए और उनकी मौत हो गई।
बताते हैं कि यह पाकिस्तानी जोड़ा डेढ़ साल से भारत-पाक वीजा पाने के लिए आवेदन कर रहा था। आवेदन खारिज होने के बाद उन्होंने पैदल ही भारत की सीमा पार करने का फैसला लिया और चल पड़े।
भारत आना चाहते थे दंपती
दरअसल, यह दास्तां पाकिस्तान के 17 साल के रवि कुमार और उनकी पत्नी शांति बाई 15 साल की है। दोनों ने बेहतर जीवन जीने के लिए भारत आने का सपना बुना।
इसके लिए दंपती ने भारत आने का वीजा मांगा। जब वीजा नहीं मिला और वे वीजा की लड़ाई हार गए तो दोनों पैदल ही थार के रेगिस्तानी के धोरों में पैदल सफर करने निकल पड़े।
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तपती रेत में पैदल सफर
बताया जाता है कि दोनों के कुछ रिश्तेदार भारत में थे। इनके पास पहुंचने के लिए उन्होंने जैसलमेर के पास भारतीय सीमा में गैर कानूनी तरीके से प्रवेश भी कर लिया। तब तक वे रेगिस्तान की तपती रेत में भूख-प्यास से परेशान हो उठे।
राजस्थान पुलिस के अनुसार दोनों के शव भारत पाकिस्तान बोर्डर जैसलमेर के साधेवाला क्षेत्र में तारबंदी से करीब 12 किलोमीटर अंदर एक रेतीले स्थान पर पाए गए।
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पाकिस्तानी पहचान पत्र मिले
शवों की स्थिति देखकर लगता था कि दोनों की मौत लगभग एक सप्ताह पहले हुई थी। पास में मिले पाकिस्तानी पहचान पत्रों से दोनों की शिनाख्त हुई। इसके अनुसार रवि 17 और शांति 15 साल की थी।
इन पहचान पत्रों के पीछे उर्दू में कुछ पंक्तियां भी लिखी थीं। दोनों के बीच पति-पत्नी का रिश्ता था।
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तापमान 47 डिग्री पार
बताया जाता है कि दोनों ने 21 जून को घर छोड़ा था। उनके परिजनों ने पाकिस्तान में लापता होने की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। माना जा रहा है कि दोनों किसी दुपहिया वाहन से सड़क का रास्ता पार कर रेगिस्तानी हिस्से तक पहुंचे और फिर पैदल ही आगे बढ़ गए। तापमान 47 डिग्री से ऊपर होने से वे भीषण गर्मी सह नहीं सके और उनकी मौत हो गई।
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भारत में हुआ अंतिम संस्कार
रवि का घर पाकिस्तान के सिंध प्रांत में भारत की सीमा से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर था। भारत—पाकिस्तान बॉर्डर के आसपास करीब 25 से 30 किलोमीटर का इलाका रेतीला है। इसी रेत के रास्ते से दोनों भारत आए थे। दोनों का भारतीय सीमा के पास रामगढ़ क्षेत्र में अंतिम संस्कार किया गया।
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