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Photograph: (the sootr)
जयपुर शहर में हाल ही में हुई भारी बारिश ने सड़कों की हालत को और भी खराब कर दिया है। कई सड़कों में गहरे गड्ढे हो गए हैं और कुछ स्थानों पर सड़कें पूरी तरह से धंस चुकी हैं। यह स्थिति आम नागरिकों के लिए काफी मुश्किलें खड़ी कर रही है, जिनका दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है।
इन टूटी सड़कों के कारण वाहन चालकों और पैदल चलने वालों को कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस पर राजस्थान हाई कोर्ट ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया है और शहर के खराब सड़क नेटवर्क पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
गुलाबी नगरी का गौरव खतरे में!
हाई कोर्ट के जस्टिस प्रमिल माथुर की बेंच ने इस मुद्दे को लेकर कहा कि जयपुर शहर को दुनियाभर में अपनी सुंदरता और ऐतिहासिकता के लिए जाना जाता है, लेकिन अब सवाल उठने लगा है कि क्या यह गौरवपूर्ण शहर अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखेगा या पानी में डूबते शहर में बदल जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि शहर की सड़कों की हालत और जलभराव से नागरिकों का जीवन बहुत मुश्किल हो गया है। इस मामले में नगर निगम, जेडीए और नगरीय विकास विभाग से जवाब मांगा गया है।
छवि पर नकारात्मक असर और सार्वजनिक असंतोष
जयपुर की छवि पर यह टूटी हुई सड़कों और जलभराव की स्थिति नकारात्मक असर डाल रही है। जयपुर को हाल ही में दुनिया के सबसे खूबसूरत और स्वच्छ शहरों में शामिल किया गया था, लेकिन अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे सड़क और जलभराव के वीडियो और तस्वीरों से शहर की प्रतिष्ठा पर प्रश्नचिह्न लग रहा है। नागरिकों की शिकायतें और मीडिया में आए दिन सड़कों की खराब स्थिति के बारे में खबरें आने से सरकार और प्रशासन की ओर से उचित कदम उठाने की आवश्यकता और अधिक बढ़ गई है।
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टैक्स चुकाने के बावजूद परेशानी
कोर्ट ने कहा कि जनता के टैक्स से ही सड़कों की मरम्मत की जाती है, लेकिन टैक्स चुकाने के बाद भी लोग टूटी सड़कों से गुजरने को मजबूर हैं। जगह-जगह जलभराव, बाढ़ की समस्या और जल निकासी की व्यवस्था में कमी के कारण जयपुरवासी परेशान हैं।
कोर्ट ने नगर निगम, जेडीए और यूडीएच सचिव से जवाब मांगा है और पूछा कि सड़कों की मरम्मत के लिए क्या योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि चार सप्ताह के अंदर इसका जवाब पेश किया जाए। साथ ही यह भी पूछा गया कि मरम्मत कार्य में देरी क्यों हो रही है और कितना बजट स्वीकृत किया गया है। क्या जयपुर को टूटी सड़कों से निजात मिल पाएगी?
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