जैसलमेर के युवक ने उपराष्ट्रपति पद के लिए भरा पर्चा, बोले- इस पद पर राजस्थानी क्यों नहीं

जैसलमेर के जलालुद्दीन ने उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल किया है। जलालुद्दीन का कहना है कि वे राजस्थान की दावेदारी को बनाए रखना चाहते हैं और मुस्लिम समुदाय को शिक्षा का संदेश देना चाहते हैं।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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JAIPUR. जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति पद पर उनकी जगह लेने के लिए राजस्थान में जैसलमेर के युवक जलालुद्दीन ने अपना नामाकंन दाखिल किया है। 9 सितंबर को चुनाव होंगे। उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन 21 अगस्त तक भरे जा सकेंगे। नामाकंन भरने के साथ ही राजस्थान का यह युवक चर्चाओं में आ गया।

करीब 38 साल के जलालुद्दीन सोमवार को राज्यसभा पहुंचे। उन्होंने बाकायदा 15 हजार रुपए की डिपॉजिट मनी जमा करके अपना पर्चा भरा। हालांकि, इस पर्चे पर कोई प्रस्तावक और अनुमोदक नहीं होने से छंटनी में यह नामाकंन खारिज हो जाएगा।

यह बात खुद जलालुद्दीन भी जानते हैं। लेकिन, वे कहते हैं कि भले ही उनका पर्चा निरस्त हो जाए,  लेकिन वे इसके जरिए उपराष्ट्रपति पद राजस्थान की दावेदारी को बरकरार रखने के इच्छुक हैं।

राजस्थान से दो उपराष्ट्रपति रहे

फिलहाल, उपराष्ट्रपति पद राजस्थान के रहने वाले जगदीप धनखड़ के पास था। वे इस पद पर पहुंचने वाले राजस्थान के दूसरे व्यक्ति थे। इससे पहले भैरोसिंह शेखावत उपराष्ट्रपति रहे। जलालुद्दीन का कहना है कि वे चाहते हैं कि राजस्थान का ही व्यक्ति अब भी इस पद पर बैठना चाहिए। अपने नामाकंन से वे यह बात बहुमत वाले दलों तक पहुंचाना चाहते हैं।

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पहले भी लड़ चुके चुनाव

इससे पहले जलालुद्दीन ने 2009 में वार्ड पंच का चुनाव लड़ा था। लेकिन, वे हाद गए। इसके बाद उन्होंने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी नामांकन दाखिल किया था। दोनों ही चुनाव में हालांकि उन्होंने नामाकंन वापस ले लिया था।

जयपुर में हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के छात्र जलालुद्दीन ने कहा कि लोकतंत्र में हर व्यक्ति को चुनाव लड़ने की आजादी है। लोकतंत्र में भागीदारी सबसे जरूरी है और वो इसी सिद्धांत के तहत चुनावी राजनीति में सक्रिय रहना चाहते हैं। 

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इसलिए नहीं लेने पर्चा वापस 

जैसलमेर के भागूका गांव के रहने वाले जलालुद्दीन का कहना है कि वे इस बार उपराष्ट्रपति के लिए अपना नामाकंन वापस नहीं लेंगे। वे जानते हैं कि उनके पास आवश्यक प्रस्तावक और अनुमोदक नहीं हैं। ऐसे में उनका नामाकंन रद्द हो जाएगा। इसका उन्हें कोई गम नहीं होगा।

उल्लेखनीय है कि उपराष्ट्रपति के पद के लिए उम्मीदवार के पास कम से कम 20 सांसदों का प्रस्तावक और कम से कम 20 सांसदों का अनुमोदक (समर्थक) होना आवश्यक है। आवश्यक संख्या नहीं होने पर तकनीकी स्तर पर नामाकंन निरस्त हो जाएगा।

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मुस्लिमों में पढ़ाई का संदेश भी

जलालुद्दीन के दो भाई डॉक्टर हैं। खुद वह जयपुर में पढ़ाई कर रहा है। जलालुद्दीन का कहना है कि मुस्लिम समुदाय में ज्यादातर अनपढ़ हैं। ऐसे में उन्होंने उपराष्ट्रपति के चुनाव का नामांकन दाखिल करके कोम के युवाओं को पढ़ाई का संदेश भी दिया है।

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