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Photograph: (the sootr)
जयपुर की सांप्रदायिक दंगा मामलों की विशेष अदालत ने 25 साल पहले टोंक के मालपुरा में हुए सांप्रदायिक दंगे में दोहरे हत्याकांड के 13 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है।
अदालत ने आरोपी रतनलाल, किशनलाल, रामस्वरूप, देवकरण, श्योजीराम, रामकिशोर, सुखलाल, छोटू, बच्छराज, किस्तुर, हीरालाल, सत्यनारायण और किशनलाल को बरी करते हुए कहा कि मामले में तीन अनुसंधान अधिकारियों के अनुसंधान करने के बावजूद मामले में सही अनुसंधान नहीं हुआ। इन्हीं दंगों से जुड़े एक अन्य मामले में अदालत ने पिछले साल आठ आरोपियों को उम्र कैद की सजा से दंडित कर चुकी है।
अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि 10 जुलाई, 2000 को मोहम्मद अली और सलीम की हत्या हुई थी। प्रकरण में शहजाद ने मालपुरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि समुदाय विशेष के लोगों ने उसके भाई मोहम्मद सलीम और चाचा मोहम्मद अली की हत्या की है। रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए अदालत ने 22 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
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पर्याप्त इन्वेस्टिगेशन ही नहीं किया पुलिस ने
बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता वीके बाली और अधिवक्ता सोनल दाधीच ने अदालत को बताया कि मामले में पुलिस ने पर्याप्त इन्वेस्टिगेशन ही नहीं किया है। एफआईआर दर्ज कराने वाले ने भी किसी अन्य की सूचना पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। घटना के समय मौके पर धारा 144 लगी हुई थी।
ऐसे में पुलिस ने जिन लोगों को चश्मदीद गवाह बताया है, उनकी मौके पर उपस्थिति संदेहजनक थी। इसके अलावा पुलिस ने घटना में प्रयुक्त हथियार भी बरामद नहीं किया। एक के अतिरिक्त अन्य आरोपियों की शिनाख्त परेड भी नहीं कराई गई। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। कोर्ट ने माना की पुलिस जांच ठीक ढंग से नहीं हुई।
यह है पूरा मामला
मामले में 22 आरोपियों में से 8 आरोपियों को हाईकोर्ट डिस्चार्ज कर चुका है। एक को नाबालिग मानते हुए उसके प्रकरण को किशोर न्यायालय में भेज दिया था। बाकी 13 आरोपियों को मंगलवार को अदालत ने बरी कर दिया। दो अन्य लोगों की हत्या के एक अन्य मामले में इन्हीं 13 लोगों को आरोपी बनाया गया है। विशेष अदालत इस मामले में 24 अगस्त को फैसला सुनाएगी।
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साल 2000 में हुआ था दंगा
साल 2000 में राजस्थान के टोंक के मालपुरा में दो संप्रदायों के बीच दंगा हुआ था। इसमें एक पक्ष से हरिराम और कैलाश माली की मौत हो गई थी। दूसरे पक्ष के भी चार लोगों की मौत हुई थी। दोनों पक्षों की ओर से मामले दर्ज कराए गए थे।
हरिराम की मौत के मामले में अदालत इस्लाम, मोहम्मद इशाक, अब्दुल रज्जाक, इरशाद, मोहम्मद जफर, साजिद अली, बिलाल अहमद और मोहम्मद हबीब को आजीवन कारावास की सजा सुना चुकी है, जबकि कैलाश माली की हत्या के मामले में पांच आरोपियों को अदालत ने बरी किया था।
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