कारगिल​ विजय दिवस : आज भी शहीद बेटे का आखिरी पत्र पढ़ भीग जाती हैं मां की पलकें

राजस्थान के कालूराम जाखड़ की साहसिक कहानी, जिन्होंने 1999 के करगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दी, आज भी देशवासियों के दिलों में जीवित है।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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देश आज कारगिल विजय दिवस मना रहा है, और इस दिन को हम शहीदों की याद में समर्पित करते हैं। शहीदों की बहादुरी और कुर्बानी को सम्मानित करते हुए, हम उन वीरों की कहानियों को याद करते हैं जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी। इन्हीं शहीदों में से एक नाम राजस्थान (Rajasthan) के जोधपुर के कालूराम जाखड़ (Kaluram Jakhar) का है, जिनकी वीरता आज भी हर भारतीय के दिल में बसी हुई है।

4 जुलाई 1999: कालूराम का आखिरी पत्र

4 जुलाई 1999 का दिन था जब करगिल की ऊंची चोटियों पर युद्ध की गूंज सुनाई दे रही थी। भारतीय सेना पाकिस्तानी घुसपैठियों से लोहा ले रही थी। इस समय जोधपुर के खेड़ी चारणान गांव के कालूराम जाखड़ भारतीय सेना के एक बहादुर सैनिक के रूप में शहीद हो गए। उस दिन उन्होंने अपने परिवार को एक पत्र लिखा, जो आज भी उनके परिवार के पास सुरक्षित है। यह पत्र सिर्फ शब्दों का एक समूह नहीं, बल्कि उस जज्बे का प्रतीक था जिसने भारतीय सेना को करगिल युद्ध में विजय दिलाई।

 

Kargil Vijay Diwas
शहीद कालूराम जाखड़ का आखिरी पत्र दिखाती उनकी मां। Photograph: (The Sootr)

 

कारगिल​ विजय दिवस क्यों मनाया जाता है?

26 जुलाई 1999 को आधिकारिक तौर पर कारगिल युद्ध की समाप्ति हुई थी। इस जंग में भारतीय सैनिकों की गौरवपूर्ण जीत और देश के लिए जवानों की शहादत इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर अमर गाथा बन गई।

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जान की परवाह किए बिना किया दुश्मन का बंकर नष्ट

कालूराम जाखड़ भारतीय सेना की 17 जाट बटालियन का हिस्सा थे। उनकी जिम्मेदारी मोर्टार चलाने की थी। पिम्पल टॉप पर पाक सैनिकों और घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया था। भारतीय सेना ने इस स्थान को पुनः प्राप्त करने के लिए युद्ध की रणनीति बनाई और कालूराम जाखड़ ने अपने साहस और वीरता से इस मिशन को सफल बनाया। पिम्पल पहाड़ी पर दो बंकरों को नष्ट कर दिया गया था, लेकिन एक बंकर शेष था। दुश्मन लगातार गोले दाग रहा था, लेकिन कालूराम ने अपनी जान की परवाह किए बिना बंकर को नष्ट करने की योजना को सफल बनाया। इसी दौरान एक गोला उनके शरीर में लग गया, लेकिन उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति को बनाए रखा। अंतिम बंकर नष्ट होने के बाद भारतीय सेना ने पिम्पल पॉइंट को जीत लिया, लेकिन इसी बीच कालूराम ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया।

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समझें पूरा कारगिल युद्ध

  1. कारगिल युद्ध कब लड़ा गया था?

    • मई 1999 से जुलाई 1999 तक।

  2. कारगिल युद्ध किस ऑपरेशन के अंतर्गत लड़ा गया था?

    • ऑपरेशन विजय के तहत।

  3. कारगिल युद्ध के दौरान भारत के प्रधानमंत्री कौन थे?

    • अटल बिहारी वाजपेयी।

  4. कारगिल युद्ध के दौरान भारत के सेना प्रमुख कौन थे?

    • जनरल वी. पी. मलिक।

  5. कारगिल युद्ध में परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन का नाम बताइए, जिन्होंने टाइगर हिल पर वीरता दिखाई थी।

    • कैप्टन विक्रम बत्रा।

  6. वो कौन-से दो मुख्य क्षेत्र थे, जहां सबसे अधिक लड़ाई हुई?

    • तोलोलिंग और टाइगर हिल।

  7. कारगिल युद्ध में कितने सैनिक शहीद हुए थे?

    • लगभग 527 भारतीय सैनिक।

  8. कारगिल में पाकिस्तान की घुसपैठ को पहले किस चरवाहे ने देखा था?

    • ताशी नामग्याल, एक स्थानीय चरवाहा।

  9. कारगिल युद्ध की सबसे प्रमुख विशेषता क्या थी?

    • यह युद्ध ऊंचाई वाले इलाकों में लड़ा गया था, जहां तापमान -10°C से -20°C तक गिरता था।

  10. कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को ही क्यों मनाया जाता है?

  • 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध की आधिकारिक समाप्ति हुई थी।

कारगिल युद्ध की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ

    • 3 मई: भारतीय सैनिकों को घुसपैठियों के बारे में जानकारी मिली।

    • 5 मई: भारतीय सेना ने गश्त की, और 5 सैनिकों को बंधक बना कर मारा गया।

    • 8 मई: पाक सैनिक और आतंकी कारगिल हिल पर नजर आए, जंग शुरू हुई।

    • 9 जून: भारतीय सेना ने बाल्टिक क्षेत्र की 2 चौकियों पर कब्जा किया।

    • 13 जून: द्रास सेक्टर में तोलोलिंग पर जीत हासिल की।

    • 29 जून: भारतीय सेना ने 2 चौकी पाइंट्स 5060 और 5100 को कब्जे में लिया।

    • 2 जुलाई: भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर जीत हासिल की।

    • 5 जुलाई: द्रास पर जीत।

    • 7 जुलाई: जुबार चोटी पर कब्जा।

    • 11 जुलाई: बाल्टिक की प्रमुख चोटियों पर विजय।

    • 14 जुलाई: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ऑपरेशन विजय की सफलता का ऐलान किया।

    • 26 जुलाई: कारगिल युद्ध की आधिकारिक समाप्ति।

 

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वीरता और देशप्रेम का प्रतीक कालूराम का अंतिम पत्र

कालूराम जाखड़ का अंतिम पत्र आज भी उनके परिवार के पास सुरक्षित है। यह पत्र उनकी वीरता और देशप्रेम का प्रतीक बन गया है। उनकी मां आज भी इस पत्र को अपने दिल से लगा कर देखती हैं और अपने बेटे की यादों में खो जाती हैं।

  • कालूराम की वीरता: उनका साहस और बलिदान करगिल युद्ध के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।
  • स्मरणीय पत्र: कालूराम का अंतिम पत्र उनके परिवार के लिए एक अमूल्य धरोहर है।

  • शहीदों का सम्मान: कारगिल दिवस हमें अपने शहीदों को सम्मानित करने का अवसर देता है।


 

FAQ

1. कालूराम जाखड़ कौन थे और उनका योगदान क्या था?
कालूराम जाखड़ (Kaluram Jakhad) भारतीय सेना के एक वीर जवान थे जिन्होंने 1999 के करगिल युद्ध में अपनी जान की आहुति दी। उन्होंने पिम्पल पॉइंट पर पाकिस्तानी सैनिकों से लोहा लिया और भारतीय सेना की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
2. कालूराम जाखड़ के परिवार के लिए उनका अंतिम पत्र कितना महत्वपूर्ण है?
कालूराम का अंतिम पत्र (final letter) उनके परिवार के लिए एक अमूल्य धरोहर है। इस पत्र में उनका देशप्रेम और युद्ध में अपने योगदान का जज्बा झलकता है। यह पत्र उनकी वीरता का प्रतीक बन गया है।
3. करगिल युद्ध में कालूराम जाखड़ ने किस प्रकार की भूमिका निभाई थी?
कालूराम जाखड़ ने मोर्टार (mortar) के इस्तेमाल में विशेषज्ञता दिखाते हुए पिम्पल टॉप पर दो पाकिस्तानी बंकरों को नष्ट किया। उनकी रणनीति और साहस ने भारतीय सेना को निर्णायक सफलता दिलाई।

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