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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान (Rajasthan) में इस साल नया शिक्षा सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी खासकर पहली से छठी कक्षा के छात्र, पिछले 25 दिनों से बिना किताबों के पढ़ाई कर रहे हैं। यह स्थिति सरकारी स्कूलों में पुस्तकों के वितरण में देरी के कारण उत्पन्न हुई है। शिक्षकों को ऑनलाइन कंटेंट के माध्यम से बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है, लेकिन यह तरीका बच्चों की पढ़ाई में पूरी तरह से प्रभावी नहीं हो पा रहा है। दरअसल, इस साल राज्य सरकार ने शिक्षा नीति के तहत पहली से पांचवीं कक्षा के सिलेबस में बदलाव किया है। साथ ही छठी कक्षा की कुछ किताबें भी बदली गई हैं। इन बदलावों के कारण बच्चों को पुरानी किताबों से भी नहीं पढ़ाया जा रहा है। ऐसे में, विद्यार्थियों की पढ़ाई पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है क्योंकि उन्हें ना तो नई किताबें मिल रही हैं और ना ही पुरानी किताबें उपलब्ध हैं।
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क्या राजस्थान के स्कूलों में बच्चों को किताबें मिली हैं?
पाठ्य पुस्तक मंडल ने निशुल्क किताबों का वितरण शुरू किया है, लेकिन फिलहाल अधिकांश स्कूलों में सिर्फ सातवीं से बारहवीं कक्षा की किताबें ही पहुंच पाई हैं। पहली से छठी कक्षा के विद्यार्थियों को अभी भी किताबों का इंतजार है। शिक्षा निदेशक ने प्रवेशोत्सव के दौरान किताबों के वितरण के निर्देश दिए थे, लेकिन अभी तक बच्चों को किताबें नहीं मिली हैं, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
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राजस्थान में स्कूली बच्चों के फर्स्ट टेस्ट कब से हैं?
अगले महीने 18 अगस्त से 20 अगस्त तक फर्स्ट टेस्ट होने वाले हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों ने नई किताबें देखी तक नहीं हैं। इससे उनकी तैयारी में भी कमी हो सकती है। संयुक्त अभिभावक संघ के प्रवक्ता अभिषेक जैन ने चिंता व्यक्त की है कि इस देरी के कारण शिक्षक और विद्यार्थी दोनों परेशान हो रहे हैं। उन्होंने सरकार से तत्काल किताबों की आपूर्ति करने की मांग की है।
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बीकानेर के डीईओ, प्रारंभिक किशनदान चारण ने बताया कि पाठ्य पुस्तक मंडल जयपुर से किताबें पहुंच चुकी हैं और वितरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जल्द ही पहली से छठी कक्षा की किताबें भी सभी स्कूलों में पहुंच जाएंगी और विद्यार्थियों को मिलेंगी। हालांकि, इस देरी के कारण बच्चों को होने वाली परेशानियों को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
नई शिक्षा नीति क्या है?भारत की नई शिक्षा नीति, जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) कहा जाता है, 2020 में घोषित की गई थी और यह 1986 की शिक्षा नीति की जगह लेती है। इसका उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन लाना है, जिसमें शिक्षा के सभी स्तरों पर सुधार शामिल हैं, जैसे कि स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक। नई शिक्षा नीति 2020 की मुख्य बातेंस्कूल शिक्षा : 10+2 प्रणाली को 5+3+3+4 प्रणाली से बदल दिया गया है, जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14 और 14-18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए है। मातृभाषा/क्षेत्रीय भाषा : कक्षा 5 तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा/क्षेत्रीय भाषा होगा। कौशल-आधारित शिक्षा : व्यावसायिक और कौशल-आधारित शिक्षा पर जोर दिया जाएगा। उच्च शिक्षा : उच्च शिक्षा में प्रवेश और पाठ्यक्रम में लचीलापन लाया जाएगा। मूल्यांकन : बोर्ड परीक्षाओं में अधिक लचीलापन और साल में दो बार परीक्षा देने का विकल्प होगा। तकनीकी शिक्षा : तकनीकी शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाएगा। शिक्षक प्रशिक्षण : शिक्षकों को बेहतर प्रशिक्षण और समर्थन प्रदान किया जाएगा। सर्वांगीण विकास : छात्रों के सर्वांगीण विकास पर जोर दिया जाएगा, जिसमें कला, संगीत, खेल, और नैतिक शिक्षा शामिल हैं। त्रिभाषा फार्मूला : त्रिभाषा फार्मूला लागू किया जाएगा, जिसमें कम से कम दो भारतीय भाषाएं शामिल होंगी। शिक्षा का अधिकार : 3 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए शिक्षा को अनिवार्य किया गया है। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य
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