राजस्थान में नहीं चलेंगे फर्जी स्कूल और डमी एडमिशन, शिक्षा विभाग ने की यह तैयारी

राजस्थान में अब डमी विद्यार्थियों और अवैध स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम प्राइवेट स्कूलों में लागू करने का निर्णय लिया है।

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Nitin Kumar Bhal
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Education Department

Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान (Rajasthan) में अब डमी एडमिशन और अवैध स्कूलों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। राजस्थान शिक्षा विभाग (Education Department Rajasthan) ने प्राइवेट स्कूलों में भी ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम (Online Attendance System)  लागू करने का निर्णय लिया है। इस नई व्यवस्था से कोचिंग सेंटरों में रजिस्ट्रेशन कराकर पढ़ाई करने वाले फर्जी स्टूडेंट्स को आसानी से पकड़ा जा सकेगा। पहले शाला दर्पण पोर्टल (Shala Darpan) पर ऑनलाइन अटेंडेंस की व्यवस्था केवल सरकारी स्कूलों के लिए थी, लेकिन अब इसे प्राइवेट स्कूलों तक भी विस्तार दिया जा रहा है। इस नए मॉड्यूल को शाला दर्पण के प्राइवेट स्कूल पोर्टल में जोड़ा जा रहा है।

राजस्थान में फर्जी विद्यालय और डमी स्टूडेंट पर कैसे लगाम लगेगी?

इस पहल के तहत राजस्थान के 91 लाख प्राइवेट स्कूल स्टूडेंट्स और 4.37 लाख टीचर्स की हाजिरी दर्ज की जाएगी। इस ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम की मदद से फर्जी स्कूलों और डमी विद्यार्थियों की पहचान की जा सकेगी, जो नामांकन तो स्कूल में करवा लेते हैं लेकिन असल में कोचिंग सेंटरों में पढ़ाई करते हैं। यह कदम शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।

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राजस्थान में अवैध स्कूलों की डिजिटल निगरानी

राज्य में कुछ निजी स्कूल केवल 5वीं या 8वीं तक मान्यता प्राप्त हैं, लेकिन वे 10वीं-12वीं तक की पढ़ाई भी कराते हैं। ऐसे स्कूल अब डिजिटल निगरानी के दायरे में आएंगे, जिससे उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा सकेगी।

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राजस्थान के स्कूलों में डमी एडमिशन क्या है?

    • डमी एडमिशन का मतलब है कि छात्र ऐसे स्कूलों में दाखिला लेते हैं, जहां उन्हें नियमित रूप से स्कूल जाने की जरूरत नहीं होती।

    • छात्र सिर्फ बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने के लिए स्कूल में नामांकित होते हैं, जबकि उनकी मुख्य पढ़ाई कोचिंग संस्थानों में होती है।

    • सीबीएसई ने इस पर सख्त कदम उठाए हैं और ऐसे छात्रों को बोर्ड परीक्षाओं में बैठने से रोकने का फैसला किया है।

डमी एडमिशन क्या होता है?

    • इसे "नॉन-अटेंडिंग स्कूलिंग" भी कहा जाता है।

    • इसमें छात्र केवल बोर्ड परीक्षाओं में बैठने के लिए स्कूल में दाखिला लेते हैं, लेकिन वे स्कूल की कक्षाओं में नहीं जाते।

    • छात्र अपनी पढ़ाई के लिए पूरी तरह से कोचिंग संस्थानों पर निर्भर रहते हैं।

डमी एडमिशन का चलन क्यों बढ़ रहा है?

    • यह खासतौर पर उन छात्रों में लोकप्रिय है जो NEET (मेडिकल) और JEE (इंजीनियरिंग) जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।

    • इन परीक्षाओं की तैयारी के लिए ज्यादा समय और ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

    • इसलिए, छात्र नियमित स्कूल की बजाय कोचिंग संस्थानों में अधिक समय बिताना पसंद करते हैं।

    • डमी एडमिशन उन्हें स्कूल में नियमित उपस्थिति से छुटकारा दिलाता है और वे अपनी परीक्षा तैयारी पर बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित कर पाते हैं।

 

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शिक्षा विभाग का यह कदम राजस्थान में शिक्षा के गुणवत्ता और पारदर्शिता को बेहतर बनाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। स्कूल शिक्षा परिवार के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने इस व्यवस्था को जल्दी लागू करने की अपील की है, ताकि राजस्थान में डमी विद्यार्थियों और अवैध स्कूलों की समस्या का समाधान हो सके।

 

 

FAQ

1. राजस्थान में डमी विद्यार्थियों के खिलाफ क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
राजस्थान में डमी विद्यार्थियों की पहचान के लिए प्राइवेट स्कूलों में भी ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम लागू किया जा रहा है, जिससे फर्जी स्टूडेंट्स को आसानी से पकड़ा जा सकेगा।
2. राजस्थान में शाला दर्पण पोर्टल क्या है और यह कैसे काम करेगा?
शाला दर्पण पोर्टल पर अब प्राइवेट स्कूलों का अटेंडेंस भी दर्ज किया जाएगा। इस पोर्टल में 91 लाख प्राइवेट स्कूल स्टूडेंट्स और 4.37 लाख टीचर्स की हाजिरी दर्ज की जाएगी, जिससे डमी विद्यार्थियों की पहचान संभव होगी।
3. राजस्थान में शिक्षा प्रणाली में क्या सुधार होगा?
इस कदम से शिक्षा में पारदर्शिता बढ़ेगी, फर्जी विद्यार्थियों की पहचान की जाएगी और अवैध स्कूलों की निगरानी बेहतर होगी, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।

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