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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के सीकर जिले के रींगस स्थित प्रसिद्ध बाबा खाटूश्यामजी मंदिर में दर्शनार्थ हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। खाटू बाबा के प्रति प्यार के वशीभूत उन्हें इत्र और कांटेदार लंबी डंडी वाले गुलाब अर्पित करते हैं, लेकिन अब सीकर जिला प्रशासन ने मंदिर में कांच की शीशी में इत्र और कांटेदार गुलाब पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है।
तर्क यह है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने यह फैसला किया है। अब मंदिर परिसर में बाबा को कांच की इत्र की शीशियां और कांटेदार गुलाब चढ़ाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
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इसलिए लिया यह निर्णय
असल में सीकर जिले के खाटूश्याम कस्बे में पूरे साल श्रद्धालु आस्था के वशीभूत दर्शन करने जाते हैं। दर्शनों के लिए यहां एक दर्जन से अधिक लाइनें हैं। अक्सर देखा गया है कि भक्त लंबी कतारों से ही मूर्ति की ओर इत्र की छोटी शीशियां और कांटेदार गुलाब फेंक देते थे। इससे कई बार मंदिर परिसर में मौजूद कर्मचारी और श्रद्धालु घायल हो जाते थे। हाल ही में एक युवती के पैर में कांच का टुकड़ा चुभ गया था, जिससे उसका पैर लहूलुहान हो गया। इस घटना के बाद प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए इस पर पूर्ण रोक लगाने का निर्णय किया है।
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दुकानदार नहीं मान रहे थे निर्णय
पहले से ही कांच की शीशियों में इत्र बेचने पर रोक थी, लेकिन कई दुकानदार नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। सीकर जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा और पुलिस अधीक्षक प्रवीण नायक ने हाल ही में मंदिर का दौरा करने के बाद इस स्थिति पर पूरी तरह रोक लगाने का फैसला किया। उन्होंने आदेश दिए कि जो भी दुकानदार कांच की इत्र की शीशियां या कांटेदार गुलाब बेचते पाए जाएंगे, उनके खिलाफ अब कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
नियमों का पालन करना ही होगा
कलेक्टर मुकुल शर्मा ने उपखंड अधिकारी, तहसीलदार और नगर पालिका प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि ऐसे दुकानदारों पर तुरंत कार्रवाई की जाए। प्रशासन का कहना है कि लाखों श्रद्धालु हर साल बाबा के दर्शन के लिए खाटू आते हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। उनका कहना हैं कि भक्त बाबा के चरणों में अर्पण अवश्य करें, लेकिन तय नियमों का पालन करते हुए। इत्र और कांटेदार गुलाब की बजाय अन्य सुरक्षित और स्वच्छ वस्तुएं अर्पित करने की अपील की गई है।
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कुछ पक्ष में, कुछ विरोध में
कई दुकानदारों ने प्रशासन के फैसले का स्वागत किया है, तो कुछ ने विरोध जताया है। स्थानीय दुकानदार रामस्वरूप गुप्ता का कहना है कि अगर इस फैसले से किसी की जान बच सकती है और श्रद्धालु सुरक्षित रहेंगे, तो हमें इस नियम का पालन करना चाहिए। वहीं कुछ दुकानदारों ने चिंता भी जताई। फूल-इत्र बेचने वाले एक अन्य दुकानदार मोहनलाल शर्मा बोले कि हमारी दुकान की आमदनी का बड़ा हिस्सा इन वस्तुओं से ही आता है। प्रशासन को हमें वैकल्पिक वस्तुओं की बिक्री के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए।
सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता
कुछ श्रद्धालु भी इस फैसले पर अपनी-अपनी राय रखते हैं। जयपुर से आए मनीष अग्रवाल ने कहा कि बाबा को भेंट तो करनी ही है, लेकिन सुरक्षा भी जरूरी है। अगर इत्र और गुलाब से हादसे हो रहे हैं, तो रोक सही है। वहीं सीकर की रहने वाली सीमा देवी ने कहा कि भक्तों को विश्वास होता है कि बाबा को इत्र और गुलाब चढ़ाने से मनोकामना पूरी होगी। प्रशासन को भक्तों की आस्था को ध्यान में रखते हुए विकल्प बताने चाहिए। कलेक्टर ने स्पष्ट कहा कि लाखों श्रद्धालु हर साल यहां आते हैं, ऐसे में उनकी सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
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