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राजस्थान के सवाई मानसिंह अस्पताल (SMS Hospital) के न्यूरो सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. मनीष अग्रवाल को एक लाख की रिश्वत लेते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने पकड़ा था। अब इस मामले में एक नया खुलासा हुआ है। एसीबी ने डॉ. अग्रवाल के बैंक लॉकर की जांच की, जिसमें करीब 800 ग्राम सोना मिला, जिसकी कीमत लगभग ₹1 करोड़ बताई जा रही है। यह सोना उनके बैंक लॉकर में छिपा हुआ था, और अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस संपत्ति को रिश्वत की राशि से खरीदा गया है।
रिश्वत की रकम और संपत्ति का संबंध
आरोप है कि डॉ. मनीष अग्रवाल रने ब्रेन कॉइल सप्लाई के लिए ठेकेदार से बड़ी रकम की रिश्वत मांगी थी। वे फाइल पर साइन करने को तैयार नहीं थे। एसीबी ने डॉ. अग्रवाल को पकड़ कर रिश्वत राशि बरामद की। अब इस मामले की जांच हो रही है कि क्या जो संपत्ति है, वह इस रिश्वत के पैसों से खरीदी गई है।
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बैंक लॉकर खोलने में देरी
बैंक लॉकर की जानकारी एसीबी को ट्रैप कार्रवाई के दौरान मिल गई थी, लेकिन करवा चौथ के कारण डॉ. अग्रवाल की पत्नी ने लॉकर खोलने के लिए इनकार कर दिया था। 13 अक्टूबर को एसीबी ने डॉ. अग्रवाल के परिजनों के सामने लॉकर खोला और उसमें से 800 ग्राम सोना बरामद किया।
दस्तावेजों की जांच
अब एसीबी ने न्यूरो सर्जन डॉ. मनीष अग्रवाल के घर से कई दस्तावेज और निवेश के कागजात भी बरामद किए हैं। इन दस्तावेजों की जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि करोड़ों की संपत्ति और सोने-चांदी के जेवरात क्या रिश्वत के पैसों से खरीदी गई हैं या नहीं। इसके अलावा, एसीबी मोबाइल फोन की कॉल डिटेल और टेंडर रिपोर्ट की भी जांच कर रही है, साथ ही उन ठेकेदारों और अस्पताल के कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है, जो इस मामले में शामिल हो सकते हैं।
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नजदीकी चिकित्सकों में हलचल
डॉ. मनीष अग्रवाल के खिलाफ चल रही जांच के बाद, उनके नजदीकी चिकित्सकों में हलचल मच गई है। एसीबी द्वारा बरामद किए गए दस्तावेज और फोन के इनपुट्स से अन्य चिकित्सकों पर भी शिकंजा कसा जा सकता है। इस मामले ने चिकित्सा जगत में गहरी चिंता पैदा कर दी है और अन्य चिकित्सक भी इस कार्रवाई को लेकर सतर्क हो गए हैं।
क्या लगाया था आरोप
यह मामला एक ठेकेदार की शिकायत पर शुरू हुआ था, जिसने एसीबी को सूचित किया था कि डॉ. मनीष अग्रवाल ने ब्रेन कॉइल सप्लाई के एवज में रिश्वत की मांग की थी। ठेकेदार ने यह भी बताया कि डॉक्टर ने हिस्से के हिसाब से रिश्वत देने के लिए दबाव डाला था और जब तक यह रकम नहीं दी गई, तब तक वह कागजात पर हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं हुए थे।
कानूनी कार्रवाई और अगले कदम
अब एसीबी की जांच जारी है और डॉ. मनीष अग्रवाल के खिलाफ ठोस कानूनी कार्रवाई की जा रही है। इसके साथ ही इस मामले में राजस्व विभाग और अन्य संबंधित विभागों से भी जानकारी जुटाई जा रही है ताकि पूरी स्थिति को सही तरीके से समझा जा सके। यह मामला केवल एक रिश्वतखोरी का मामला नहीं है, बल्कि यह ​समूचे चिकित्सा क्षेत्र में हो रही गड़बड़ियों को उजागर करता है।
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