केंद्र सरकार ने सन 1999 में राजस्थान की महिला स्वास्थ्य कर्मियों को यूनाइटेड नेशंस पापुलेशन फंड योजना के तहत 15 हजार रुपए का लोन दिया गया था। यह लोग मोपेड खरीदने के लिए दिया गया था। लेकिन महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने न तो इस लोन से मोपेड खरीदी और न ही लोन लौटाया। अब 26 साल बाद स्वास्थ्य विभाग इन एएनएम से ब्याज सहित लोन वसूली की तैयारी कर रहा है।
क्यों दिया गया था लोन
यह लोन महिला स्वास्थ्यकर्मियों को सशक्त बनाने के लिए दिया गया था ताकि वे अपनी सेवाएं बेहतर तरीके से दे सकें। इस योजना के तहत ANM को ब्याजमुक्त लोन प्रदान किया गया था।
इस राशि से महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मोपेड खरीदना था, ताकि वे ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से व समय पर पहुंच कर अपनी बेहतर सेवाएं दे सके। लेकिन अधिकांश कार्यकर्ताओं ने लोन तो लिया लेकिन मोपेड नहीं खरीदी।
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1692 एएनएम से की जाएगी वसूली
चिकित्सा विभाग द्वारा 26 साल बाद वसूली का निर्णय लिया है। इस वसूली में 18 जिलों की 1692 एएनएम से ब्याज सहित वसूली की जाएगी। प्रत्येक स्वास्थ्य कार्यकर्ता से 65693 रुपए की वसूली करने के आदेश दिए गए है। विभागीय ऑडिट 2024-25 में इस मामले का खुलासा हुआ था। इसके बाद चिकित्सा विभाग ने वसूली की प्रक्रिया को तेज कर दिया।
2024-25 की आडिट रिपोर्ट से हुआ खुलासा
इस लोन कांड का खुलासा विभाग की 2024-25 में की गई आडिट की रिपोर्ट से हुआ। विभागीय ऑडिट 2024-25 में इस मामले का खुलासा हुआ था। इसके बाद चिकित्सा विभाग ने वसूली की प्रक्रिया को तेज कर दिया। इन महिला स्वास्थ्यकर्मियों से 26 साल बाद ब्याज सहित वसूली की जाएगी, जिससे यह राशि 65,693 रुपये तक पहुंच रही है वसूली की कुल राशि दो करोड़, 53 लाख 80 हजार रुपए बताई जा रही है।
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वसूली के लिए सीएमएचओ ने लिखा पत्र, नहीं आए जबाव
इस लोन की वसूली के लिए जिला स्तर भी अब तैयारियां होने लगी है। इस कडी में लोन राशि की वसूली के लिए झुंझुनू जिले के सीएमएचओ डाॅ छोटेलाल गुर्जर ने जिले के सभी बीएमओ को पत्र लिखा है। इस पत्र में सीएमएचओ ने इस लोन से जुड़ी जानकारियां व रिकार्ड मंगवाया है। लेकिन अभी तक ब्लाॅक लेबल से जानकारी व पुराने रिकार्ड़ नहीं आए है।
इधर कर्मचारियों को याद नहीं लिया था लोन
एक ओर जहां विभाग एएनएम से लोन वसूली की तैयारी कर रहा है, तो दूसरी ओर लोन लेने वाली महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को याद भी नहीं की उन्होंने ऐसा कोई लोन भी लिया था। विभाग के इस निर्णय से स्वास्थ्य कर्मियों को चिंता में डाल दिया है। इन 26 सालों में कई महिला कर्मचारी तो ऐसी है जो अब सेवानिवृत्त हो चुकी है। जिससे इनसे वसूली में समस्याएं आएगी।
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