रेगिस्तान उगल रहा खनिजों का अकूत खजाना, रणनीतिक तौर पर अहम मिनरल्स भी शामिल

राजस्थान के थार रेगिस्तान में 47 स्थानों पर खनिजों और मिनरल्स का अकूत भंडार मिला है। माना जा रहा है कि यह खजाना देश की अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूत बना सकता है।

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Amit Baijnath Garg
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मुकेश शर्मा @ जयपुर

राजस्थान का थार रेगिस्तान लगातार बेशकीमती और रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण खनिज उगल रहा है। नए सर्वेक्षण में रेगिस्तान में ऐसे खनिजों का अकूत भंडार मिला है, जो निकट भविष्य में देश की अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाने में अहम बन सकते हैं। ये भंडार जैसलमेर, बाड़मेर और नवगठित जिले बालोतरा में खोजे गए हैं।

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इन तीनों जिलों में 2021-22 और 2025-26 में  खनिजों की संभावनाओं वाले 47 स्थानों पर उत्खनन करके यह पता लगाया है। उसने यहां मिले खनिजों के भंडार के बारे में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है। इनमें कुछ खनिज ऐसे हैं, जिनके भंडार देश में कुछ राज्यों में ही हैं। 

इन खनिजों के मिले भंडार

लोकसभा में बताया गया कि जैसलमेर में लाइम स्टोन के 5021 मिलियन टन के भंडार मिले हैं। वहीं बाड़मेर जिले में 81 मिलियन टन रेयर अर्थ एलीमेंट, 67 मिलियन टन नायोबियम, करीब 7 मिलियन टन टंटालुम, 19 मिलियन टन रुबिडियम, 53 मिलियन टन जिरकोनिय और 3 मिलियन टन हैफनियम के भंडार का पता चला है।  

भाटीखेरा क्रिटिकल ब्लॉक घोषित

एटॉमिक एनर्जी और एटॉमिक मिनरल्स निदेशालय की खोज में पाया गया कि बालोतरा का भाटीखेरा रेयर अर्थ एलीमेंट्स के लिए क्रिटिकल ब्लॉक है। इसके भंडार अभी देश के ओडिशा, केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में पाए गए हैं। ये मिनरल इलेक्ट्रॉनिक्स, स्थायी चुंबक, लेजर, ऑप्टिकल फाइबर, उत्प्रेरक तथा पवन टरबाइन जैसी ग्रीन एनर्जी टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रिक वाहनों में काम आता है।

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नायोबियम आता है सुपरकंडक्टिंग में काम

बाड़मेर में नायोबियम (67.6 मिलियन टन) और टैंटलम (6.8 मिलियन टन) के भंडार मिले हैं। भारत में नायोबियम के अन्य स्रोत ओडिशा और आंध्र प्रदेश में भी पाए जाते हैं। उच्च शक्ति वाले मिश्र धातुओं (विशेषकर स्टील में), सुपरकंडक्टिंग सामग्री, जेट इंजन और चिकित्सा उपकरणों में उपयोग होता है। 

बाड़मेर में रुबिडियम के भंडार 

बाड़मेर में 19 मिलियन टन रुबिडियम के भंडार हैं। इसका उत्पादन अक्सर लिथियम और सीजियम के साथ होता है, जो अन्य राज्यों में भी पाए जाते हैं। परमाणु घड़ियों, फोटो इलेक्ट्रिक कोशिकाओं और विशेष ग्लास निर्माण में उपयोग होता है

जिरकोनियम के अभी केरल और ओडिशा में भंडार

बाड़मेर में 52.5 मिलियन टन जिरकोनियम पाया गया है। केरल, तमिलनाडु और ओडिशा के तटीय रेत में भी जिरकोनियम के भंडार हैं। परमाणु रिएक्टरों में ईंधन रॉड के आवरण, सिरेमिक, अपघर्षक और कुछ मिश्र धातुओं में उपयोग होता है। 

रेगिस्तान में हाफनियम के भी भंडार

बाड़मेर में 0.3 मिलियन टन हाफनियम के भंडार की पुष्टि हुई है, जो अक्सर जिरकोनियम के साथ पाया जाता है। परमाणु ऊर्जा उद्योग में नियंत्रण रॉड के रूप में और उच्च तापमान मिश्र धातुओं में उपयोग होता है।

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