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Photograph: (The Sootr)
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की 8वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में मराठा साम्राज्य (Maratha Empire) के एक नक्शे को लेकर राजस्थान (Rajasthan) में जैसलमेर के पूर्व राजपरिवार ने गंभीर आपत्ति जताई है। इस नक्शे में जैसलमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा बताया गया है, जबकि यह जानकारी उनके इतिहास से मेल नहीं खाती।
पूर्व राजपरिवार के सदस्य चैतन्यराज सिंह ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से इस गलती को जल्द से जल्द ठीक करने की अपील की है। इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर भी बहस तेज हो गई है, जिसमें लोगों ने विभिन्न राय व्यक्त की हैं।
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मराठा साम्राज्य नक्शे को लेकर विवाद क्या है?
NCERT की कक्षा 8वीं की सामाजिक विज्ञान टैक्स्टबुक (यूनिट 3, पृष्ठ संख्या 71) में दिखाए नक्शे में तत्कालीन मराठा साम्राज्य का विस्तार दिखाया गया है। इस नक्शे में दिखाया गया है कि तत्कालीन जैसलमेर रियासत भी मराठा साम्राज्य का हिस्सा था। चैतन्यराज सिंह ने कहा कि यह तथ्य ऐतिहासिक रूप से गलत और भ्रामक है। उनका कहना है कि तत्कालीन जैसलमेर रियासत ने कभी भी मराठा साम्राज्य की अधीनता स्वीकार नहीं की।
चैतन्यराज सिंह ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इस आपत्ति को उठाया और केंद्रीय शिक्षा मंत्री से इस नक्शे में सुधार करने की अपील की। उनके अनुसार, यह नक्शा न केवल इतिहास के तथ्यों के खिलाफ है, बल्कि यह जैसलमेर के गौरवमयी इतिहास को भी गलत तरीके से प्रस्तुत करता है।
कक्षा 8 की NCERT की सामाजिक विज्ञान विषय पाठ्यपुस्तक (Unit 3, पृष्ठ संख्या 71) में दर्शाए गए मानचित्र में जैसलमेर को तत्कालीन मराठा साम्राज्य का भाग दर्शाया गया है, जो कि ऐतिहासिक रूप से भ्रामक, तथ्यहीन और गम्भीर रूप से आपत्तिजनक है।
— Chaitanya Raj Singh (@crsinghbhati) August 4, 2025
इस प्रकार की अपुष्ट और ऐतिहासिक साक्ष्यविहीन… pic.twitter.com/QOeG7c67I6
जैसलमेर का ऐतिहासिक महत्व
जैसलमेर की रियासत का इतिहास भारतीय उपमहाद्वीप के मध्यकाल से जुड़ा हुआ है। 1178 ईस्वी में रावल जैसल ने जैसलमेर की स्थापना की थी। इसके बाद से जैसलमेर ने भारतीय इतिहास के कई बड़े दौरों को देखा। इस राज्य ने मुगलों और अन्य आक्रमणकारियों का सामना किया, लेकिन किसी भी साम्राज्य के अधीन नहीं आया।
जैसलमेर रियासत ने लगभग 770 वर्षों तक स्वतंत्र रूप से शासन किया। इसमें कई आक्रमण हुए, लेकिन जैसलमेर हमेशा अपने अस्तित्व को बनाए रखने में सफल रहा। खासकर, मुगलों के समय में जैसलमेर ने अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखा और कभी भी मराठा साम्राज्य के तहत नहीं आया।
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मराठों और जैसलमेर के बीच संबंध कैसे थे ?
इतिहास के मुताबिक, जैसलमेर और मराठों के बीच कोई भी सैन्य या राजनैतिक संबंध नहीं थे। जैसलमेर की रियासत ने कभी भी मराठों की अधीनता स्वीकार नहीं की। जबकि अन्य राज्यों में मराठों का प्रभाव बढ़ रहा था, जैसलमेर ने अपने शाही अधिकारों और स्वतंत्रता को बनाए रखा।
ऐतिहासिक दस्तावेजों में भी यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि जैसलमेर रियासत में मराठों का कोई प्रभाव नहीं था। यहां तक कि इस राज्य के राजकीय लेखों में भी इस बात का कोई उल्लेख नहीं मिलता कि जैसलमेर को कभी भी मराठा साम्राज्य का हिस्सा बनाया गया हो।
मराठा साम्राज्य के नक्शे को लेकर सोशल मीडिया पर छिड़ गया विवाद
चैतन्यराज सिंह की इस आपत्ति के बाद सोशल मीडिया पर एक बड़ा विवाद छिड़ गया है। कुछ लोग उनके इस विचार का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ लोग इस पर भिन्न राय रखते हुए मराठा साम्राज्य के पक्ष में भी अपनी बातें रख रहे हैं।
कुछ यूजर्स ने यह भी दावा किया कि यह नक्शा ग्वालियर में सिंधिया परिवार के म्यूजियम में पाया गया है, जिससे यह मुद्दा और भी गर्म हो गया है।
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मराठा साम्राज्य नक्शा विवाद को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री को क्या करना चाहिए ?
चैतन्यराज सिंह ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से जल्द से जल्द इस नक्शे में सुधार की मांग की है। उनका कहना है कि यह केवल एक पाठ्यपुस्तक की गलती नहीं, बल्कि पूरे राज्य के इतिहास और गौरव से जुड़ा हुआ मामला है।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से उम्मीद की जा रही है कि वे इस मुद्दे पर जल्द कार्रवाई करेंगे और इस ऐतिहासिक गलती को सही करेंगे।
जैसलमेर रियासत का इतिहास
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जैसलमेर रियासत की गौरवमयी धरोहर
जैसलमेर रियासत का इतिहास न केवल संघर्षों से भरा हुआ है, बल्कि यह स्वतंत्रता, गौरव और शौर्य का प्रतीक भी है। इस राज्य ने न केवल विदेशी आक्रमणकारियों का सामना किया, बल्कि अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को भी बनाए रखा। इस राज्य ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी अपना योगदान दिया और भारतीय गणराज्य में विलीन होने के बाद भी अपने गौरव को बनाए रखा।
मराठा साम्राज्य के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
मराठा साम्राज्य का संक्षिप्त विवरण
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इतिहास को सही रूप में जानना और समझना चाहिए
इस विवाद का केंद्र केवल एक नक्शे की गलती नहीं है, बल्कि यह हमारे इतिहास और संस्कृति से जुड़ा हुआ एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इस मुद्दे से हमें यह जानने की जरूरत है कि हमें इतिहास को सही रूप में समझना और जानना चाहिए, ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को सटीक और प्रामाणिक जानकारी दे सकें।
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