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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान (Rajasthan) में जिले भले ही 41 हों लेकिन, प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चे अभी भी पुराने 33 जिलों की जानकारी ही पढ़ रहे हैं। कक्षा 6 की सामाजिक विज्ञान की पाठ्य पुस्तक 'हमारा राजस्थान' में राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल की लापरवाही के कारण बच्चे राजस्थान के 33 जिलों के बारे में ही पढ़ रहे हैं। आवश्यक संशोधनों और सुधारों की कमी के कारण, राज्य के शिक्षकों के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है। यह स्थिति बच्चों की शिक्षा पर गंभीर असर डाल रही है।
राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल की लापरवाही
राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल ने कक्षा 6 की 'हमारा राजस्थान' पुस्तक के नए संस्करण में कोई महत्वपूर्ण संशोधन नहीं किया। इस पुस्तक में जिलों की संख्या सही तरीके से अपडेट नहीं की गई है, और इसका असर शिक्षकों पर पड़ रहा है। पहले अध्याय में ही 'राजस्थान का परिचय' के तहत गलत जिलों की संख्या दी गई है। प्रदेश का नक्शा भी गलत प्रकाशित किया गया है, जिससे शैक्षिक सामग्री की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।
राजस्थान के संभागों को लेकर भी गफलत
हमारा राजस्थान पुस्तक में सात संभागों का उल्लेख किया गया है, जो पुरानी जानकारी पर आधारित है। हालांकि, प्रदेश में तीन नए संभागों के गठन का आदेश वापस ले लिया गया था, लेकिन पाठ्य पुस्तक में इस बदलाव का कोई जिक्र नहीं किया गया। इस चूक के कारण न केवल छात्रों के लिए, बल्कि शिक्षकों के लिए भी पढ़ाई में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है।
पिछले साल भी बच्चों ने गलत पढ़ा
पिछले साल राजस्थान में 10 संभाग और 51 जिले थे, लेकिन पुस्तक में केवल सात संभाग और 33 जिले ही दिखाए गए थे। अब इस साल जिलों की संख्या घटाकर 41 और संभागों की संख्या घटाकर 7 हो गई है। इस बार भी वही गलती सामने आई है, जो इस बात को साबित करती है कि पाठ्य पुस्तक मंडल ने नई पुस्तक में सिर्फ संस्करण वर्ष में बदलाव किया है, जबकि शैक्षिक सामग्री पर ध्यान नहीं दिया गया।
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शिक्षकों में असमंजस
पुस्तक में गलत जानकारी के कारण शिक्षक असमंजस में हैं कि उन्हें किस जानकारी के आधार पर पढ़ाना चाहिए। इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, बल्कि शिक्षक भी इस दुविधा में हैं कि क्या सही पढ़ाया जा रहा है या नहीं। इसके अलावा, किताब में जिलों की संख्या पर आधारित सवालों ने छात्रों के लिए भी भ्रम पैदा कर दिया है।
राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ (रेस्टा) के प्रवक्ता, बसंत ज्याणी ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताई है। उन्होंने कहा, "गलत पढ़ाना, न पढ़ाने से भी ज्यादा हानिकारक है। इसलिए शिक्षा विभाग को सुनिश्चित करना चाहिए कि पाठ्य पुस्तकों का प्रकाशन पूरी तरह से जांच-पड़ताल के बाद हो।" उन्होंने यह भी कहा कि यह स्थिति शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है और भविष्य में ऐसी चूकों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी
यह स्थिति शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ी करती है। जब तक पाठ्य पुस्तकों में सही और अद्यतन जानकारी नहीं दी जाएगी, तब तक शिक्षकों के लिए सही तरीके से पढ़ाई करना मुश्किल रहेगा। शिक्षा विभाग को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और भविष्य में ऐसी गलतियों को सुधारने के लिए कदम उठाने चाहिए।
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राजस्थान में जिलों और संभागों की स्थितिराजस्थान में अब कुल 41 जिले और 7 संभाग (मंडल) हैं। हाल ही में, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा किए गए कुछ महत्वपूर्ण फैसलों ने राज्य के प्रशासनिक ढांचे को प्रभावित किया है। नीचे कुछ प्रमुख बिंदुओं में इस बदलाव को समझाते हैं: 1. तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा की गई घोषणाएं
2. तीन जिलों की निरस्तीकरण
3. नए जिलों और संभागों का निरस्तीकरण
4. नए जिलों और संभागों का वर्तमान स्वरूप
नए जिलों और उनके संभागयहां राजस्थान के सभी 41 जिलों और उनके संबंधित संभागों की सूची दी गई है
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किताबों का सही संशोधन क्यों जरूरी है?
पाठ्य पुस्तकों का सही और समय पर संशोधन शिक्षा प्रणाली का अहम हिस्सा है। अगर पाठ्य पुस्तकें गलत जानकारी देती हैं, तो यह छात्रों के लिए भ्रमित करने वाला हो सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि पुस्तकें अद्यतित रहें और शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता बनी रहे। बच्चों को सही जानकारी देने के लिए पाठ्य पुस्तकों का समय-समय पर संशोधन करना आवश्यक है। केवल किताबों में बदलाव करना ही पर्याप्त नहीं है; शिक्षक को यह भी समझना जरूरी है कि किताब में दी गई जानकारी वर्तमान स्थिति के अनुसार हो।
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