राजस्थान 12वीं कक्षा किताब विवाद : भुलाया पीएम मोदी का योगदान, अन्य का गुणगान

राजस्थान की 12वीं कक्षा की किताब 'आजादी के बाद का स्वर्णिम इतिहास' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योगदान को नजरअंदाज करने पर सियासी विवाद।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान (Rajasthan) में 12वीं कक्षा की किताब 'आजादी के बाद का स्वर्णिम इतिहास' (Azadi ke baad ka Swarnim Ithihas) को लेकर सियासी घमासान मच गया है (राजस्थान 12वीं कक्षा किताब विवाद)। इस किताब में गांधी-नेहरू परिवार और कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों के योगदान पर काफी ध्यान दिया गया है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के योगदान को बहुत कम जगह दी गई है। इसके बाद सरकार ने यह निर्णय लिया कि यह किताब विद्यार्थियों को नहीं पढ़ाई जाएगी।

बांट दीं 80 फीसदी किताबें

राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल ने 2025 के नए सत्र के लिए 4.90 लाख किताबें छपवाकर 19,700 स्कूलों में वितरित की हैं। लगभग 80% किताबें बांटी जा चुकी हैं। किताबों के वितरण का दावा है कि सरकार की मंजूरी के बाद ही इन्हें वितरित किया गया। किताब राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा तैयार की गई थी, और यह कक्षा 11-12 में पिछले कांग्रेस शासन के समय से पढ़ाई जा रही थी।

किस बात पर मचा विवाद?

विवाद मुख्य रूप से किताब के भाग-2 को लेकर है। इसके कवर पर इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की तस्वीरें हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई भी फोटो नहीं है।

 

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर (Madan Dilawar) ने कहा कि इस किताब में केवल कांग्रेस पार्टी को महिमामंडित किया जा रहा है। लग रहा है कि जैसे सबकुछ कांग्रेस ने ही किया है। कांग्रेसी पोथी को हम नहीं पढ़ाएंगे। इसमें लोकतंत्र की हत्या करने वालों की गाथाएं हैं। फोटो छोड़िए यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योगदान का विस्तृत उल्लेख तक नहीं। भैरोंसिंह शेखावत, वसुंधरा राजे का योगदान कहां गया?

क्या कहते हैं अफसर?

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव कैलाश चंद शर्मा ने इस मामले पर कहा कि किताबों को सरकार की मंजूरी मिलने के बाद ही छपवाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि किताबों में जो कुछ भी छपा है, वह सरकार के निर्देशों के अनुसार है। पुस्तक मंडल के सीईओ मनोज कुमार ने कहा कि उनका काम केवल किताबों की छपाई और वितरण करना है, उन्हें यह जानकारी नहीं है कि किताब में क्या छपा है और क्या नहीं।

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किताब पर विवाद के मुख्य बिंदु

  • किताब में जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह के बारे में 15 से ज्यादा तस्वीरें हैं, लेकिन पीएम मोदी का कोई फोटो नहीं है।

  • पुस्तक के संयोजक के प्राक्कथन में 80% हिस्सा राजीव गांधी के योगदान पर है।

  • किताब में अन्य कांग्रेसी नेताओं जैसे सोनिया गांधी और अशोक गहलोत की तस्वीरें हैं, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी और अन्य प्रधानमंत्रियों का योगदान नहीं दिखाया गया है।

पूर्व शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ ने कहा कि इस तरह की किताब को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।

बड़ा सवाल: क्या जिस पार्टी की सरकार है बच्चे सिर्फ उसके नेताओं के बारे में पढ़ेंगे?

यह सवाल बिल्कुल जायज़ है। अगर बच्चों को केवल एक पार्टी के नेताओं या विचारधाराओं के बारे में पढ़ने को मिलेगा, तो इससे शिक्षा का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बच्चों को विविध दृष्टिकोणों से परिचित कराना और उन्हें आलोचनात्मक सोच के लिए प्रेरित करना होता है, न कि किसी एक विचारधारा या पार्टी के नेताओं के प्रति पक्षपाती रवैया अपनाना। अगर कोई किताब एक विशेष पार्टी या विचारधारा के पक्ष में ज्यादा जानकारी देती है और दूसरी विचारधाराओं को नजरअंदाज करती है, तो यह छात्रों के लिए सही नहीं होगा। बच्चों को यह समझने का अवसर मिलना चाहिए कि देश के इतिहास में विभिन्न नेताओं का योगदान रहा है, चाहे वह किसी भी पार्टी से हों। इस तरह की किताबों में सभी प्रमुख नेताओं के योगदान का संतुलित रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए, ताकि बच्चों को किसी एक पक्ष को समझने में दिक्कत न हो और वे स्वतंत्र रूप से सोचने और विचार करने की क्षमता विकसित कर सकें। छात्रों को विविध दृष्टिकोण से जानकारी मिलनी चाहिए, ताकि वे किसी भी मुद्दे को समझने के लिए पूरी तरह से सशक्त और सचेत हो सकें।

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FAQ

1. राजस्थान में 12वीं कक्षा की किताब को लेकर क्या विवाद है?
इस किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योगदान पर कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। इसमें केवल कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों जैसे नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह का ही जिक्र है।
2. राजस्थान सरकार ने किताब को क्यों रोकने का निर्णय लिया?
किताब में कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं का महिमामंडन किया गया है, जबकि नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं के योगदान को नजरअंदाज किया गया। इस कारण सियासी विवाद बढ़ा और सरकार ने इसे विद्यार्थियों को नहीं पढ़ाने का फैसला लिया।
3. क्या इस किताब में बदलाव किए जाएंगे?
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कहा कि किताब में बदलाव सरकार के निर्देशों के बाद ही किए जाएंगे। फिलहाल, किताब को लेकर किसी तरह के बदलाव के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है।

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