आजीविका मिशन में करोड़ों का भ्रष्टाचार, फर्जी अटेंडेंस दिखाकर उठाया भुगतान, राजकॉम्प और निगम का खेल

राजस्थान के आजीविका मिशन में फर्जी अटेंडेंस दिखाकर करोड़ों रुपए का गबन किया गया है। इस घोटाले में कई विभागों और सॉफ्टवेयर कंपनियों की मिलीभगत सामने आई है। सीएम ऑफिस भी दोषियों से ही जानकारी मांग रहा है।

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Mukesh Sharma
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान में आजीविका मिशन के तहत चल रहे ट्रेनिंग सेंटरों पर स्टूडेंट की सौ फीसदी उपस्थिति दिखाकर राजस्थान सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाने का मामला सामने आया है। इस घोटाले में राजकॉम्प, राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम के साथ ही अटेंडेंस के लिए सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी की मिलीभगत बताई जा रही है। 

इस संबंध में मुख्यमंत्री को भेजी गई शिकायत पर मुख्यमंत्री ऑफिस ने उन्हीं विभाग के एसीएस और प्रमुख सचिव से जानकारी मांगी है, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। सीएम ऑफिस ने कौशल एवं उद्यमिता तथा रोजगार विभाग के एसीएस और सूचना व प्रौद्योगिकी व संचार विभाग के प्रमुख सचिव से मामले में जानकारी मांगी है। 

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यह है पूरा मामला

शिकायत में बताया है कि राजकॉम्प ने राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम के लिए इंटीग्रेटेड स्कीम मैनेजमेंट सिस्टम नाम से सॉफ्टवेयर बनाया है। इस सॉफ्टवेयर के जरिए राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम में रजिस्टर्ड स्टूडेंट के आधार नंबर से अटेंडेंस दर्ज होती है। अटेंडेंस दर्ज करने के इस खेल में ही घोटाला करने के आरोप हैं। 

ऐसे होता है पूरा खेल

राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम ट्रेनिंग पार्टनर का चयन करता है। यह ट्रेनिंग पार्टनर ही विभिन्न जिलों में सेंटर खोलकर स्टूडेंट को विभिन्न स्किल्स की ट्रेनिंग देते हैं। ट्रेनिंग के लिए रजिस्टर्ड सभी छात्रों का विवरण इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट सिस्टम पोर्टल पर दर्ज होता है। आधार नंबर के जरिए सभी छात्रों की अटेंडेंस इसी सिस्टम पर दर्ज होती है। 

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सभी कर रहे एक-दूसरे को उपकृत

आधार कार्ड प्रत्येक ट्रांजेक्शन के लिए हर बार एक नई आईडी बनाता है। ट्रेनिंग में शामिल प्रत्येक छात्र की एक दिन में दो आईडी बनती हैं एक आने की यानी इन और एक जाने की यानी आउट। हर बार नई आईडी का ई-मेल आता है। शिकायतकर्ता एडवोकेट डॉ. टीएन शर्मा का आरोप है कि ट्रेनिंग सेंटर वाले राजकॉम्प और आजीविका विकास निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से रजिस्टर्ड स्टू​डेंट की 100 फीसदी अटेंडेंस दिखाकर पूरा पेमेंट ले रहे हैं। इसके लिए सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी से मिलीभगत है। बदले में ट्रेनिंग सेंटर वाले अधिकारियों को जमकर उपकृत कर रहे हैं।

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ट्रेनिंग सेंटर से ही अटेंडेंस सर्टिफाइड 

शिकायत में बताया है कि राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम सभी ट्रेनिंग सेंटर को उनके स्टूडेंट की उपस्थिति ई-मेल करती है। ट्रेनिंग सेंटर वाले उपस्थिति को सही और सर्टिफाइड करके वापस भेजते हैं। इसलिए ही कई ट्रेनिंग सेंटरों पर 100 फीसदी अटेंडेंस दिखाई जा रही है। 

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2019 में 30 ट्रेनिंग सेंटर पर गड़बड़ी

वर्ष 2019 में टोंक के एक ट्रेनिंग सेंटर के दो बैच की जांच करने पर 30 ट्रेनिंग सेंटरों में अटेंडेंस घोटाला होने की जानकारी मिली थी। जांच में घोटाला करने वाले कुछ आईपी एड्रेस और लैपटॉप की जानकारी भी मिली थी। इसके लिए राजकॉम्प ने आजीविका विकास निगम को 22 जून, 2021 को एक पत्र लिखा था, लेकिन मामले में कोई जांच नहीं हुई। हालांकि सॉफ्टवेयर डवलपर की टीम को कुछ दिन के लिए हटा दिया और 2022 में नाम बदलकर वापस उसी टीम को लगा दिया। इसके बाद 2025 की शुरुआत से यह खेल चल रहा है। 

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सीकर का दिया उदाहरण

शिकायत में बताया है कि सीकर जिले के नोबल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ जिस्ट यील्डिंग सोसायटी के स्टूडेंट अनिल कुमार के एक और दो मई, 2018 की इन और आउट की ट्रांजेक्शन आईडी के आखिरी चार अंक समान हैं। शिकायत में भ्रष्टाचार निरोधक कानून, आधार एक्ट-2016 के साथ ही इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट तथा आईपीसी और बीएनएस के तहत जांच करने की मांग की है।

FAQ

1. आजीविका मिशन में घोटाला किस प्रकार हुआ?
आजीविका मिशन के तहत ट्रेनिंग सेंटरों में छात्रों की फर्जी अटेंडेंस दिखाकर करोड़ों का गबन किया गया है।
2. घोटाले में कौन-कौन से अधिकारी शामिल थे?
राजकॉम्प, राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम के अधिकारियों और सॉफ्टवेयर कंपनियों की मिलीभगत का आरोप है।
3. इस मामले में जांच कौन कर रहा है?
मुख्यमंत्री ऑफिस ने जांच के आदेश दिए हैं और संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है।

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