राजस्थान के इस जिले में कर्मचारियों की तीन दिन मौज, कलेक्टर ने घोषित किया अवकाश

राजस्थान के अलवर जिले में 7 जुलाई को स्थानीय अवकाश घोषित किया गया है, जिसमें स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे। यह दिन भगवान जगन्नाथ के मेले के लिए समर्पित है, जो एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है।

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Sanjay Dhiman
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alwar rathyatra me bhagwan jagannath ji

Photograph: (the sootr)

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राजस्थान राज्य के अलवर जिले में आगामी सात जुलाई को स्थानीय अवकाश घोषित किया गया है। जिला कलेक्टर द्वारा जारी किए गए आदेश के मुताबिक, 7 जुलाई को अलवर जिले में जगन्नाथ मेला (Jagannath Mela) का आयोजन किया जाएगा, जिसके कारण इस दिन सरकारी दफ्तर, स्कूल, और कॉलेज बंद रहेंगे। यह स्थानीय अवकाश सरकारी कर्मचारियों के लिए एक लंबा वीकेंड (long weekend) प्रदान करेगा, क्योंकि इससे पहले 5 जुलाई को शनिवार और 6 जुलाई को रविवार है।

लंबे वीकेंड का मिलेगा लाभ

5 जुलाई को शनिवार और 6 जुलाई को रविवार के दिन के साथ 7 जुलाई का अवकाश जुड़ने से राज्य के कर्मचारियों को इस बार जुलाई माह के पहले सप्ताह में लंबा वीकेंड (long weekend) मिलेगा। यह छुट्टी कर्मचारियों के लिए आराम का समय प्रदान करेगी और उनके परिवारों के साथ समय बिताने का अवसर भी मिलेगा। 

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रथयात्रा के लिए प्रसिद्ध है अलवर का जगन्नाथ मेला

अलवर का जगन्नाथ मेला (Jagannath Mela) भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा (Rath Yatra) के लिए प्रसिद्ध है। यह मेला एक वार्षिक उत्सव है, जो हर साल अलवर शहर में मनाया जाता है। इस मेले में भगवान जगन्नाथ के रथ को शहर के प्रमुख मार्गों से घुमाया जाता है। मेले का आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है और अलवर की धार्मिक परंपराओं का अभिन्न हिस्सा है।

जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व

पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा के समान ही अलवर में भी भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन हर साल विशेष धूमधाम से किया जाता है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ को एक विशेष रथ में विराजमान किया जाता है, और उनका रथ शहर के प्रमुख मार्गों से होकर निकलता है। यात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं और भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। 

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मेले में होते है विशेष आयोजन

इस मेले में न केवल रथ यात्रा होती है, बल्कि विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और धार्मिक अनुष्ठान भी आयोजित होते हैं। श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने के लिए पूरे जोश और उत्साह से इस मेले में शामिल होते हैं। यह मेला क्षेत्रीय और स्थानीय लोगों के बीच एकता और सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देता है।

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