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Photograph: (the sootr)
Jaipur. अरावली पर्वतमाला को लेकर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया है। फैसले से अब राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, दिल्ली आदि राज्यों की अरावली पहाड़ियों पर नए खनन पट्टे जारी नहीं हो सकेंगे।
उन क्षेत्रों में ही खनन की अनुमति है, जहां सरकार ने स्थायी तौर पर खनन पट्टे दे रखे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय को स्थायी खनन प्रबंधन योजना बनाने के आदेश दिए हैं। तब तक नए खनन पट्टे मंजूर नहीं किए जाएंगे।
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जांच में संकट आना तय
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का राजस्थान समेत सभी राज्यों में व्यापक असर पड़ेगा। अवैध खनन पर रोक लगेगी, वहीं पर्यावरण के लिए खतरे वाली खनन लीज लाइसेंस निरस्त होंगे। खासकर वे जो 100 मीटर ऊंची अरावली पहाड़ी क्षेत्र में हैं।
इस आदेश से 100 मीटर ऊंचाई वाली राजस्थान की करीब एक हजार खानें प्रभावित होंगी। जांच के दायरे में अरावली की सभी खानें हैं, लेकिन सौ मीटर और उससे कम ऊंचाई वाली खानों पर कोई संकट नहीं है। संकट उन खानों के लिए है जिनकी ऊंचाई तो अधिक है, लेकिन बता कम रखी है। जांच में ऐसी खानों पर संकट आना तय है।
रोजगार-राजस्व पर संकट
इन खानों के बंद होने से हजारों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा होने वाला है। वहीं सरकार को भी करोड़ों रुपए का रेवेन्यू मिलना बंद होगा। राजस्थान के अलवर, जयपुर, करौली, दौसा, डूंगरपुर, उदयपुर, राजसमंद, भरतपुर, कोटा, भीलवाड़ा, झालावाड़ समेत बीस जिलों में अरावली पहाड़ियां हैं। इनमें 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली ज्यादा खानें है, लेकिन बड़ी खानें भी कम नहीं हैं।
बड़ी राहत, 90 फीसदी खनन बचा
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में राहत की बड़ी बात यह है कि सौ मीटर से कम ऊंचाई वाली करीब साढ़े ग्यारह हजार खानों पर मंडरा रहा संकट टल गया। अगर सुप्रीम कोर्ट का आदेश सौ मीटर से नीचे की खानों पर आ जाता तो राजस्थान में भारी संकट आ सकता था। इसके दायरे में आने वाली 11500 खानें बंद हो सकती थीं।
साथ ही तीन से पांच लाख परिवारों पर रोजगार का संकट आ जाता। खनन से उन गांवों और क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, जहां दूसरी व्यावसायिक गतिविधियां चल रही हैं। खनन से प्राप्त रेवेन्यू से हर जिले में जिला कलेक्टर के अधीन फंड है, जिसके माध्यम से खनन क्षेत्रों के गांवों में विकास कार्य हो रहे हैं।
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यह है सुप्रीम आदेश
अरावली पहाड़ियों पर अवैध खनन और दूसरे नियमों को लेकर सुरक्षित रखे गए सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया। कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों में नए खनन लीज पर रोक लगा दी है। भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय को स्थायी खनन की प्रबंधन योजना बनाने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने 9 मई, 2024 को गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को माना है। इसमें अरावली की नई और एक समान परिभाषा तय करने के साथ-साथ भविष्य में खनन के दायरे को नियंत्रित करने की बात कही गई है। जब तक स्थायी खनन प्रबंधन योजना तैयार नहीं हो जाती, तब तक अरावली में नई खनन लीज नहीं देने के आदेश दिए है।
प्रदेश के 20 जिलों में तय सीमाएं
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अरावली पहाड़ियों की सीमाएं तय की जाएंगी। इसका असर राजस्थान की अरावली रेंज पर भी पड़ेगा। राजस्थान के 20 जिलों में खनन गतिविधियों की सीमाएं तय होंगी। इससे अवैध खनन गतिविधियों पर रोक लगेगी। वहीं अरावली पर्वत श्रृंखला की निरंतरता और पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।
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राजस्थान के मॉडल को सही बताया
सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों की ऊंचाई, ढलान और पर्यावरण को लेकर राजस्थान सरकार के मॉडल को सही माना है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सचिव की अगुवाई वाली समिति ने इस मॉडल की सराहना की। समिति में फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी के विशेषज्ञ शामिल थे।
चार राज्यों के 37 जिलों में फैली
रिपोर्ट में कहा गया कि सिर्फ ऊंचाई या ढलान के आधार पर परिभाषा बनाना सही नहीं। स्थानीय जमीन से 100 मीटर या इससे ज्यादा ऊंचे इलाके सहायक ढलानों समेत अरावली पहाड़ी कहलाएंगे। अगर दो या ज्यादा ऐसी पहाड़ियां 500 मीटर की दूरी पर हों, तो वे श्रृंखला मानी जाएंगी। अरावली रेंज चार राज्यों के 37 जिलों में फैली है।
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ऊंचाई में हेराफेरी
खान विभाग के इंजीनियरों ने कागजों में अरावली की ऊंचाई 100 मीटर से कम दिखाकर अलवर में करीब 80 खदानों के अलॉटमेंट में गड़बड़ी की थी। खान विभाग की एक रिपोर्ट में अलवर में ऐसी करीब 100 खदानों की संभावना जताई गई थी, जिसमें ऊंचाई कम दिखाई गई थी।
गलत मशीन से पैमाइश
विभाग के इंजीनियरों ने जीटी शीट (जनरल टॉपोग्राफी शीट) प्रकिया की जगह अल्टीमीटर मशीन से पहाड़ी की ऊंचाई नापी। अरावली की ऊंचाई को छोटी दिखाकर खदान अलॉटमेंट का रास्ता निकाला था, जो मीडिया की सुर्खियों में भी रहा। अब सुप्रीम आदेश के बाद ये सभी खानें फिर से जांच के दायरे में आ गई हैं।
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सुप्रीम कोर्ट में बताया, 31 पहाड़ी गायब
सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान के अरावली रेंज में अवैध खनन की रिपोर्ट दी गई। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर बताया कि अरावली के 115.34 हेक्टेयर क्षेत्र में अवैध खनन हुआ था।
अवैध खनन से 31 पहाड़ियां गायब हो गईं। कोर्ट ने देहरादून स्थित भारतीय वन सर्वे को अरावली रेज की पहाड़ियों का सैटेलाइट सर्वे करने को कहा। सर्वे में राजस्थान के 770 हेक्टेयर क्षेत्र में 3300 ऐसी जगह चिह्नित हुईं, जहां अवैध खनन हो रहा था।
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