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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर भ्रष्टाचार का मुद्दा गर्मा गया है। भाजपा विधायक ललित मीणा ने राजस्थान विधानसभा में वन विभाग के डीएफओ अनिल यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप उठाए। यह मामला राज्य के राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि मीणा का कहना है कि उन्होंने कई महीनों तक विभाग के अधिकारियों को शिकायत दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। अंत में, जब मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप किया, तब जाकर जांच शुरू हुई, लेकिन अब जांच बदल दी गई।
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भ्रष्टाचार के आरोपों का सिलसिला
भाजपा विधायक ललित मीणा ने राजस्थान विधानसभा में यह आरोप लगाया था कि उन्होंने लंबे समय से डीएफओ अनिल यादव के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी, लेकिन राज्य वन विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। मीणा ने बताया कि वह पहले ही विभाग से शिकायत कर चुके थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। जब इस मसले पर कोई हल नहीं निकला, तो उन्होंने अंततः मुख्यमंत्री को इस मामले से अवगत कराया। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद ही डीएफओ अनिल यादव के खिलाफ जांच शुरू की गई, लेकिन जांच के दायरे में कुछ ऐसे बदलाव आए, जिन्होंने विधायक को और भी नाराज कर दिया।
इस बारे में भाजपा विधायक ललित मीणा ने कहा कि मैंने पहले भी डीएफओ अनिल यादव की शिकायत सीएम को की थी तब जाकर कार्रवाई हुई थी। अब जैसे दबाव में जांच बदली है, यह निराशाजनक है। हालात सरकार को बदनाम कराने जैसे हैं। खैर, मैं फिर से मुख्यमंत्री को मिलकर सारे हालात की शिकायत करूंगा।
मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप और डीएफओ का एपीओ
मीणा ने कहा कि मुख्यमंत्री के दखल के बाद ही संबंधित डीएफओ की फाइल मंगवाई गई और उसे एपीओ किया गया। हालांकि, डीएफओ ने इस आदेश के खिलाफ स्टे (रोक) ले लिया। इसके बाद जब मामला विधानसभा में उठाया गया, तो वनमंत्री ने डीएफओ को निलंबित किया और जांच की प्रक्रिया शुरू की। लेकिन इस जांच से पहले ही डीएफओ के प्रभाव में जांच अधिकारी बदल दिए गए, जिससे यह मामला और विवादित हो गया।
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विधायक की नाराजगी और अधिकारियों पर दबाव
भ्रष्टाचार के इस मामले को लेकर विधायक ललित मीणा और अन्य भाजपा नेताओं का आरोप है कि पूरे मामले में अधिकारी एक दूसरे के प्रभाव में काम कर रहे हैं। मीणा ने यह भी कहा कि उन्होंने एसीएस (एडिशनल चीफ सचिव) से बात की और राजस्थान के वन मंत्री संजय शर्मा को भी इस बारे में अवगत कराया, लेकिन किसी भी स्तर पर संतोषजनक जवाब नहीं मिला। उनका कहना था कि यह पूरी प्रक्रिया और सिस्टम को अपने तरीके से चलाने की कोशिश की जा रही है।
कैंपा और स्टेट प्लान योजनाओं में भ्रष्टाचार का आरोप
विधायक ललित मीणा के अलावा, छबड़ा विधायक प्रताप सिंघवी ने भी अप्रैल में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राज्य सरकार की योजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि कैंपा और स्टेट प्लान योजनाओं के तहत जो विकास कार्य हो रहे हैं, उनमें भ्रष्टाचार की जड़ें फैल रही हैं, जिससे सरकार की छवि भी खराब हो रही है।
यह आरोप तब और सशक्त हुआ, जब डीएफओ अनिल यादव के पूर्व पदस्थापन (राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य, धौलपुर) के दौरान भी भ्रष्टाचार के मामले सामने आए थे। इन मामलों की जांच एसआईटी (विशेष जांच दल) कर रही थी।
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अनिल यादव का पूर्व कार्यकाल और जांच की स्थिति
डीएफओ अनिल यादव के पूर्व पदस्थापन के दौरान भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए थे, जिनकी जांच एसआईटी द्वारा की जा रही थी। हालांकि, इन मामलों के जांच में भी कुछ प्रक्रियागत दिक्कतें सामने आई थीं। किशनगंज विधायक ललित मीणा ने कहा कि जब से अनिल यादव का नाम सामने आया है, तब से इस भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की गति धीमी हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के प्रभावशाली लोगों और अधिकारियों के दबाव में जांच प्रक्रिया में दखलंदाजी की जा रही है, जिससे न केवल भ्रष्टाचार के मामलों की सच्चाई सामने नहीं आ पा रही है, बल्कि इससे सरकार की छवि भी प्रभावित हो रही है।
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सिस्टम में सुधार की आवश्यकता
भ्रष्टाचार के इस मुद्दे ने न केवल राजस्थान की सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठाए हैं, बल्कि इससे यह भी संकेत मिलता है कि ऐसे मामलों में सरकारी सिस्टम की सख्ती और पारदर्शिता की कमी है। विधायक ललित मीणा और अन्य नेताओं का मानना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए केवल शिकायतें करने से कोई फर्क नहीं पड़ता। इसके लिए एक मजबूत और पारदर्शी सिस्टम की जरूरत है, जो भ्रष्टाचार के आरोपों पर जल्दी और सख्त कदम उठा सके।
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