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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान की राजनीति में बड़े फेरबदल की आहट सुनाई देने लगी है। हाल ही में ब्यूरोक्रेसी में किए गए बदलावों के बाद अब मंत्रिमंडल और संगठन में भी बड़े परिवर्तन की संभावना जताई जा रही है। अंता उपचुनाव के परिणाम और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की विधायकों से लगातार मुलाकातों ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है।
ब्यूरोक्रेसी में बड़ा फेरबदल
पिछले शुक्रवार को ब्यूरोक्रेसी में बड़े बदलाव हुए। मुख्य सचिव सुधांश पंत को दिल्ली ट्रांसफर किया गया और मुख्यमंत्री के करीबी अधिकारी को भी बदला गया।
यह संभवतः पहला मौका था, जब किसी सरकार के कार्यकाल के बीच में मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) दोनों को एक साथ बदला गया हो। इस बदलाव ने सियासी गलियारों में चर्चाओं को जन्म दिया है और अब मंत्रिमंडल और संगठन में भी बदलाव की संभावना प्रबल हो गई है।
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मंत्रिमंडल पुनर्गठन की तैयारी
जयपुर में इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा मंत्रिमंडल पुनर्गठन या विस्तार की हो रही है। विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा नेतृत्व अगले साल होने वाले पंचायत और निकाय चुनावों से पहले सरकार की टीम को और मजबूत और संतुलित बनाना चाहता है।
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लागू होगा गुजरात मॉडल!
एक सवाल यह भी है कि क्या राजस्थान में गुजरात मॉडल लागू होगा, जहां सभी मौजूदा मंत्रियों से इस्तीफा लेकर नई, सीमित और चुनी हुई टीम बनाई गई है। अगर यह मॉडल अपनाया जाता है तो कई मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है और कुछ नए चेहरों को मौका मिल सकता है।
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अंता उपचुनाव बना लिटमस टेस्ट
अंता विधानसभा उपचुनाव भाजपा सरकार के लिए एक लिटमस टेस्ट साबित हुआ। इस चुनावी परिणाम ने सरकार के अब तक के कामकाज का आईना पेश किया है। आगामी पंचायत और निकाय चुनावों को देखते हुए इस नतीजे ने सरकार को कई अहम सबक दिए हैं।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अब मंत्रिमंडल में केवल सीमित और सक्षम चेहरों को ही जगह देने की योजना बना रहे हैं। यह फेरबदल न सिर्फ राजनीतिक, बल्कि संगठनात्मक संतुलन को भी साधने का प्रयास होगा।
संगठन की नई टीम तैयार
भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की नई सूची अब लगभग तैयार हो चुकी है, जो पहले दो बार लीक हो चुकी थी। मंत्रिमंडल विस्तार के साथ संगठन की नई टीम का भी ऐलान हो सकता है। इसके साथ ही विभिन्न बोर्ड, आयोग और निगमों में लंबित राजनीतिक नियुक्तियां भी जल्द पूरी की जाएंगी। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं को इन पदों पर जगह दी जाएगी, ताकि संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत किया जा सके।
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आने वाला महा-फेरबदल
सरकार का स्पष्ट संदेश है कि सरकार, संगठन और प्रशासन तीनों स्तरों पर बड़े बदलाव किए जाएंगे। इनका मकसद पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता के बीच यह संदेश देना है कि भाजपा सरकार नई ऊर्जा, नई सोच और नए चेहरों के साथ आगे बढ़ने को पूरी तरह तैयार है।
इस फेरबदल से केवल राजस्थान की राजनीति ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक कार्यप्रणाली और संगठनात्मक ढांचे को भी नई दिशा मिलेगी। आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के संदर्भ में यह महा-फेरबदल अहम साबित हो सकता है।
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