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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान में आगामी निकाय और पंचायत चुनाव नवंबर-दिसंबर 2025 में एक साथ करवाने की योजना है, लेकिन भाजपा के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं। भाजपा में प्रदेश और जयपुर शहर की टीमों की घोषणाओं में देरी और सूची को लेकर असहमति ने पार्टी की स्थिति को कमजोर किया है। भाजपा की प्रदेश टीम की घोषणा करने की तैयारी स्वतंत्रता दिवस के अगले दिन की गई थी, लेकिन एक सूची सोशल मीडिया पर लीक होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ (Madan Rathore) टीम का ऐलान नहीं कर पाए। यह लीक सूची भाजपा की कार्यशैली पर भी सवाल उठाती है।
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सोशल मीडिया पर लीक हुई थी भाजपा की सूची
राजस्थान भाजपा के नेताओं के बीच संघर्ष और असहमति की स्थिति तब पैदा हुई जब राजस्थान भाजपा कार्यकारिणी की सूची सोशल मीडिया पर लीक हो गई। इस सूची के लीक होने के बाद पार्टी के अंदर के पदाधिकारी, जो उस सूची में थे, उनका ध्यान अब दिल्ली की राजनीति पर केंद्रित हो गया है। इन पदाधिकारियों ने अपना काम छोड़कर दिल्ली में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए दौड़ लगाना शुरू कर दिया है। जिन नेताओं के नाम लीक सूची में शामिल नहीं थे, वे भी दिल्ली में सक्रिय हो गए हैं, ताकि वे पार्टी में अपनी जगह बना सकें।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने हाल ही मीडिया से बात करते हुए कहा कि कुछ मंत्री संगठन में काम करने के लिए आ सकते हैं। राठौड़ का कहना है कि पार्टी कुछ मौजूदा मंत्रियों को सरकार से हटाकर संगठन में लाने की योजना बना रही है। वहीं संगठन के कुछ चेहरों को सरकार में भेजने को लेकर भी मंथन चल रहा है। उनके बयान से अब यह साफ हो गया है कि प्रदेश में जल्द ही बड़े बदलाव हो सकते हैं।
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भाजपा जयपुर शहर की टीम भी सोशल मीडिया पर लीक
इतना ही नहीं, भाजपा जयपुर शहर जिलाध्यक्ष अमित गोयल (Amit Goyal) की टीम भी लीक हो गई थी, जिसके बाद उनके द्वारा टीम की घोषणा अभी तक नहीं की जा सकी है। जब एक सूची लीक होती है, तो पार्टी के भीतर आंतरिक संघर्ष और नाराजगी का वातावरण बनता है। जयपुर शहर की टीम की सूची लीक होने से पदाधिकारियों में नाराजगी है। यह स्थिति भाजपा के लिए गंभीर रूप से चिंताजनक है, क्योंकि ऐसे समय में जब चुनाव करीब हैं, पार्टी को एकजुटता की आवश्यकता है।
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जयपुर नगर निगम हेरिटेज में भाजपा की हार
भाजपा की संगठनात्मक कमजोरी और टीम की असहमति को एक और मुद्दे के रूप में देखा जा रहा है, जो जयपुर नगर निगम हेरिटेज के वार्ड नंबर 63 के उपचुनाव में पार्टी की हार से जुड़ा है। यह हार भाजपा की आंतरिक समस्याओं और संगठन की असंगति को उजागर करती है। यह हार भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच निराशा का कारण बनी और संगठन की मजबूती पर सवाल उठाए गए। यह हार भाजपा के अंदरखाने की कमजोरी को दिखाती है और यह संकेत देती है कि आगामी चुनावों में पार्टी को और अधिक संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।
मदन राठौड़ कौन हैं?जन्म और प्रारंभिक जीवन: मदन राठौड़ का जन्म 02 जुलाई 1954 को पाली जिले के रायपुर में हुआ। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। वे राजस्थान के घांची समुदाय से आते हैं। पार्टी से जुड़ाव: राठौड़ जनसंघ के समय से ही भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के नेता रहे हैं और उन्हें पार्टी के वरिष्ठ और अनुभवी चेहरों के साथ काम करने का व्यापक अनुभव है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS): राठौड़ ने 1972 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़कर प्रचारक के रूप में अपना करियर शुरू किया। राजनीतिक सफर: वे पाली के भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में चार बार सेवा दे चुके हैं। मदन राठौड़ सुमेरपुर विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं, जहां उन्होंने कांग्रेस नेता बीना काक को हराया। वे पहली बार 2003 में सुमेरपुर से विधायक बने और फिर 2013 में दूसरी बार विधायक बने। विधानसभा और मंत्री पद: राठौड़ 2015 से 2018 तक वसुंधरा राजे के शासनकाल में राज्य मंत्री और उप मुख्य सचेतक (राजस्थान विधानसभा) रहे। उन्होंने 2016 में 62वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में राजस्थान सरकार का प्रतिनिधित्व किया। राज्यसभा सदस्य: फरवरी 2024 में पार्टी ने उन्हें सम्मानित करते हुए राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किया और वे निर्विरोध राज्यसभा सांसद बने। 04 अप्रैल 2024 को उन्होंने राजस्थान से राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ ली। | |
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जयपुर की एक महिला नेता के नाम पर नाराजगी
प्रदेश टीम की प्रस्तावित लीक सूची में जयपुर की एक महिला नेता का नाम शामिल होने से भाजपा के मूल संगठन के नेताओं में नाराजगी और असंतोष फैल गया है। भाजपा के पुराने और विश्वसनीय नेता, जो पार्टी की जड़ों से जुड़े हुए हैं, इस बदलाव को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। इन नेताओं का मानना है कि पार्टी में इस तरह के बदलाव से संगठन की कार्यप्रणाली और पार्टी के मूलभूत सिद्धांतों को नुकसान हो सकता है। इस नाराजगी ने भाजपा के कामकाज को भी प्रभावित किया है और कई नेताओं ने कार्यों में सक्रिय भागीदारी से पीछे हटने का निर्णय लिया है।
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राजस्थान भाजपा के सामने क्या चुनौतियां हैं?
राजस्थान भाजपा का सामना इस समय कई चुनौतियों से हो रहा है। एक ओर जहां पार्टी को चुनावी रणनीतियों और संगठनात्मक स्थिरता की आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर पार्टी की टीमों में असहमति और लीक सूचियों ने उसे कमजोर बना दिया है। यह समय भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि राज्य में आगामी निकाय और पंचायत चुनाव 2025 में हैं। इस समय पार्टी को अपनी आंतरिक समस्याओं को सुलझाने की जरूरत है, ताकि वह चुनाव में प्रभावी रूप से हिस्सा ले सके।
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संगठन में एकजुटता की कमी
राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के सामने सबसे बड़ी चुनौती संगठन में एकजुटता की कमी है। यदि पार्टी अपने आंतरिक मतभेदों और असहमति को जल्दी हल नहीं कर पाती, तो यह आगामी चुनावों में उसकी सफलता को प्रभावित कर सकता है। भाजपा को अपनी राज्य और शहर की टीमों को पुनः गठित करने और एकजुटता बनाए रखने की आवश्यकता है, ताकि वह आगामी चुनावों में जीत हासिल कर सके। पार्टी को कार्यकर्ताओं की नाराजगी और असंतोष को ध्यान में रखते हुए कदम उठाने होंगे।
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भाजपा को उठाने होंगे असहमति को दूर करने के कदम
इस समय भाजपा को नेतृत्व की आवश्यकता है, जो पार्टी के भीतर की असहमति को दूर करने के लिए कदम उठा सके। भाजपा के नेतृत्व को यह सुनिश्चित करना होगा कि पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी एकजुट होकर चुनाव की दिशा में काम करें। इसके लिए पार्टी को उन समस्याओं और असहमति को सुलझाना होगा जो पार्टी के भीतर उत्पन्न हो रही हैं। पार्टी के लिए यह एक कठिन समय है, लेकिन यदि नेतृत्व प्रभावी तरीके से काम करता है, तो वह इन समस्याओं से उबर सकता है और आगामी चुनावों में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है।
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