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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान ऊर्जा विकास निगम (Rajasthan Energy Development Corporation) ने सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के साथ 630 मेगावाट बिजली खरीदने का एक अहम अनुबंध किया था। इस अनुबंध के तहत, 25 वर्षों के लिए सौर ऊर्जा के रूप में प्रति यूनिट 4.98 रुपये की दर पर बिजली खरीदी जानी थी। यह अनुबंध राज्य के लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि इससे राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का एक बड़ा कदम था। लेकिन अब इस अनुबंध को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं और उच्चाधिकारियों ने इसे पुनः समीक्षा करने के संकेत दिए हैं।
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निगम के कुछ अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में
राज्य में विशेषज्ञों और ऊर्जा विभाग के भीतर इस अनुबंध को लेकर सवाल उठने लगे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस अनुबंध की शर्तें राज्य की वास्तविक ऊर्जा जरूरतों के अनुरूप नहीं हैं। इसके अलावा, ऊर्जा विकास निगम के कुछ बड़े अधिकारियों की भूमिका भी अब संदेह के घेरे में आ गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) तक पहुंच चुका यह मामला अब एक उच्च स्तरीय जांच की ओर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। इसके अलावा, आगामी बोर्ड की बैठक में इस फैसले पर पुनः विचार करने का एजेंडा रखने की संभावना है, जहां इसे निरस्त करने का निर्णय लिया जा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान को सौर ऊर्जा के मामले में अपनी रणनीति को फिर से तय करने की आवश्यकता है। सौर ऊर्जा की क्षमता का उपयोग दिन के समय किया जा सकता है, और रात के समय बिजली की डिमांड पूरी करने के लिए अल्पकालिक अनुबंध अधिक लाभकारी हो सकते हैं। इससे राज्य को लंबी अवधि के अनुबंधों से होने वाली आर्थिक बोझ से बचने का अवसर मिलेगा।
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राजस्थान में बिजली खरीद अनुबंध का आधार
सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने इस अनुबंध को दिल्ली की बिजली जरूरतों के आधार पर तैयार किया था, जो पूरी तरह से अलग परिस्थितियों में आधारित था। राजस्थान की बिजली खपत और पीक आवर्स की मांग दिल्ली से अलग है। दिल्ली में ऊर्जा की मांग का प्रोफाइल और पीक आवर्स की जरूरत पूरी तरह से अलग है, जबकि राजस्थान में दिन के समय में पर्याप्त सौर ऊर्जा उपलब्ध रहती है, जिससे अतिरिक्त ऊर्जा को अन्य क्षेत्रों में बेचा जा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान में सौर ऊर्जा की उपलब्धता दिन के समय अधिक होती है, और सरकार भी कृषि क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति दिन में करने की योजना बना रही है। राज्य में पीक डिमांड केवल रात के 4 से 6 घंटे के बीच होती है। ऐसे में चौबीसों घंटे बिजली खरीदने का अनुबंध अनुचित हो सकता है, क्योंकि यह केवल रात के समय की मांग को पूरा करने के लिए ही होता है।
सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया क्या है?सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) का परिचय और भूमिका
SECI का महत्व
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दिल्ली व अन्य राज्य भी डील से पीछे हटे
दिल्ली और अन्य राज्य भी इसी तरह की डील से पीछे हट चुके हैं। उन्होंने इस तरह के दीर्घकालिक बिजली खरीद अनुबंधों को खारिज कर दिया है, क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि यह उनके ऊर्जा प्रोफाइल से मेल नहीं खाता है। अगर बिजली की कमी होती है, तो छोटे और अल्पकालिक अनुबंध किए जा सकते हैं, जो अधिक लाभकारी हो सकते हैं। राजस्थान में भी अब इस बात की संभावना जताई जा रही है कि राज्य को इस अनुबंध को पलटने के लिए अन्य विकल्पों पर विचार करना चाहिए।
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बिजली डील में राजस्थान सरकार की भूमिका
राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त की है और उच्चाधिकारियों से इस पर पुनः विचार करने का अनुरोध किया है। यदि यह अनुबंध निरस्त होता है, तो राज्य सरकार को अपनी बिजली की खरीद रणनीति को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता होगी। खासकर, सौर ऊर्जा और अन्य ऊर्जा स्रोतों के संयोजन से राज्य को अधिक लाभ हो सकता है।
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बोर्ड की बैठक में चर्चा होने की संभावना
आगामी बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे पर गहरी चर्चा होने की संभावना है। यदि बोर्ड यह निर्णय लेता है कि इस अनुबंध को निरस्त किया जाए, तो राज्य सरकार को नए अनुबंधों पर विचार करना होगा, जो राज्य की विशेष परिस्थितियों और ऊर्जा प्रोफाइल के अनुसार हों। इससे राजस्थान सौर ऊर्जा नीति के मामले में बेहतर रणनीति बनाने का अवसर मिलेगा और बिजली की खरीद में होने वाले खर्चे को भी नियंत्रित किया जा सकेगा।
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