राजस्थान में बिजली खरीद सवालों के घेरे में, अधिकारियों ने किया मनमाना अनुबंध

राजस्थान में 630 मेगावाट बिजली खरीदने का फैसला अब पलटने की तैयारी है। विशेषज्ञों और अधिकारियों की राय के बाद इस अनुबंध को निरस्त करने की संभावना है।

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Nitin Kumar Bhal
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राजस्थान ऊर्जा विकास निगम (Rajasthan Energy Development Corporation) ने सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के साथ 630 मेगावाट बिजली खरीदने का एक अहम अनुबंध किया था। इस अनुबंध के तहत, 25 वर्षों के लिए सौर ऊर्जा के रूप में प्रति यूनिट 4.98 रुपये की दर पर बिजली खरीदी जानी थी। यह अनुबंध राज्य के लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि इससे राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का एक बड़ा कदम था। लेकिन अब इस अनुबंध को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं और उच्चाधिकारियों ने इसे पुनः समीक्षा करने के संकेत दिए हैं।

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निगम के कुछ अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में

राज्य में विशेषज्ञों और ऊर्जा विभाग के भीतर इस अनुबंध को लेकर सवाल उठने लगे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस अनुबंध की शर्तें राज्य की वास्तविक ऊर्जा जरूरतों के अनुरूप नहीं हैं। इसके अलावा, ऊर्जा विकास निगम के कुछ बड़े अधिकारियों की भूमिका भी अब संदेह के घेरे में आ गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) तक पहुंच चुका यह मामला अब एक उच्च स्तरीय जांच की ओर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। इसके अलावा, आगामी बोर्ड की बैठक में इस फैसले पर पुनः विचार करने का एजेंडा रखने की संभावना है, जहां इसे निरस्त करने का निर्णय लिया जा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान को सौर ऊर्जा के मामले में अपनी रणनीति को फिर से तय करने की आवश्यकता है। सौर ऊर्जा की क्षमता का उपयोग दिन के समय किया जा सकता है, और रात के समय बिजली की डिमांड पूरी करने के लिए अल्पकालिक अनुबंध अधिक लाभकारी हो सकते हैं। इससे राज्य को लंबी अवधि के अनुबंधों से होने वाली आर्थिक बोझ से बचने का अवसर मिलेगा।

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राजस्थान में बिजली खरीद अनुबंध का आधार

सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने इस अनुबंध को दिल्ली की बिजली जरूरतों के आधार पर तैयार किया था, जो पूरी तरह से अलग परिस्थितियों में आधारित था। राजस्थान की बिजली खपत और पीक आवर्स की मांग दिल्ली से अलग है। दिल्ली में ऊर्जा की मांग का प्रोफाइल और पीक आवर्स की जरूरत पूरी तरह से अलग है, जबकि राजस्थान में दिन के समय में पर्याप्त सौर ऊर्जा उपलब्ध रहती है, जिससे अतिरिक्त ऊर्जा को अन्य क्षेत्रों में बेचा जा सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान में सौर ऊर्जा की उपलब्धता दिन के समय अधिक होती है, और सरकार भी कृषि क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति दिन में करने की योजना बना रही है। राज्य में पीक डिमांड केवल रात के 4 से 6 घंटे के बीच होती है। ऐसे में चौबीसों घंटे बिजली खरीदने का अनुबंध अनुचित हो सकता है, क्योंकि यह केवल रात के समय की मांग को पूरा करने के लिए ही होता है।

सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया क्या है?

सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) का परिचय और भूमिका

  • स्थापना और उद्देश्य: SECI भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (CPSU) है। इसे 2011 में राष्ट्रीय सौर मिशन (NSM) के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए स्थापित किया गया था।

  • मुख्य कार्य: SECI सौर, पवन और हाइब्रिड ऊर्जा परियोजनाओं के विकास, अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने, और देश के जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

  • नवीकरणीय ऊर्जा विकास: SECI विशेष रूप से सौर ऊर्जा परियोजनाओं पर काम करता है, लेकिन अब पवन और हाइब्रिड ऊर्जा परियोजनाओं को भी बढ़ावा दे रहा है।

  • ऊर्जा व्यापार: SECI के पास पावर-ट्रेडिंग लाइसेंस है, जिससे यह अपनी परियोजनाओं से उत्पन्न सौर ऊर्जा का व्यापार कर सकता है।

  • सरकारी योजनाएं: SECI कई सरकारी योजनाओं को लागू करने में सहायक है, जैसे सौर पार्कों का विकास और ग्रिड-कनेक्टेड रूफटॉप सौर योजनाएं।

  • नवरत्न का दर्जा: 2024 में SECI को नवरत्न का दर्जा मिला, जो इसे 1,000 करोड़ रुपये तक निवेश करने की अनुमति देता है, बिना केंद्र की मंजूरी के।

SECI का महत्व

  • भारत के जलवायु लक्ष्यों में योगदान: SECI भारत के सतत विकास और जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक प्रमुख संस्था है।

  • स्वच्छ ऊर्जा का प्रसार: यह सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए डेवलपर्स को आमंत्रित कर स्वच्छ ऊर्जा के विकास को बढ़ावा देता है।

  • स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति: SECI देश भर में बिजली वितरण कंपनियों को स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित करता है, जिससे एक स्थायी और ग्रीन ऊर्जा भविष्य की ओर कदम बढ़ते हैं।

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दिल्ली व अन्य राज्य भी डील से पीछे हटे

दिल्ली और अन्य राज्य भी इसी तरह की डील से पीछे हट चुके हैं। उन्होंने इस तरह के दीर्घकालिक बिजली खरीद अनुबंधों को खारिज कर दिया है, क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि यह उनके ऊर्जा प्रोफाइल से मेल नहीं खाता है। अगर बिजली की कमी होती है, तो छोटे और अल्पकालिक अनुबंध किए जा सकते हैं, जो अधिक लाभकारी हो सकते हैं। राजस्थान में भी अब इस बात की संभावना जताई जा रही है कि राज्य को इस अनुबंध को पलटने के लिए अन्य विकल्पों पर विचार करना चाहिए।

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बिजली डील में राजस्थान सरकार की भूमिका

राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त की है और उच्चाधिकारियों से इस पर पुनः विचार करने का अनुरोध किया है। यदि यह अनुबंध निरस्त होता है, तो राज्य सरकार को अपनी बिजली की खरीद रणनीति को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता होगी। खासकर, सौर ऊर्जा और अन्य ऊर्जा स्रोतों के संयोजन से राज्य को अधिक लाभ हो सकता है।

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बोर्ड की बैठक में चर्चा होने की संभावना

आगामी बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे पर गहरी चर्चा होने की संभावना है। यदि बोर्ड यह निर्णय लेता है कि इस अनुबंध को निरस्त किया जाए, तो राज्य सरकार को नए अनुबंधों पर विचार करना होगा, जो राज्य की विशेष परिस्थितियों और ऊर्जा प्रोफाइल के अनुसार हों। इससे राजस्थान सौर ऊर्जा नीति के मामले में बेहतर रणनीति बनाने का अवसर मिलेगा और बिजली की खरीद में होने वाले खर्चे को भी नियंत्रित किया जा सकेगा।

FAQ

1. राजस्थान में 630 मेगावाट बिजली खरीद के फैसले पर क्यों सवाल उठ रहे हैं?
राज्य में विशेषज्ञों और अधिकारियों का मानना है कि 630 मेगावाट बिजली खरीदने के अनुबंध की शर्तें राज्य की ऊर्जा जरूरतों से मेल नहीं खाती हैं। खासकर, राज्य में सौर ऊर्जा की उपलब्धता दिन के समय ज्यादा होती है, जिससे राउंड-द-क्लॉक बिजली की आवश्यकता पर सवाल उठते हैं।
2. क्या बिजली खरीद के अनुबंध के निरस्त होने से राजस्थान को कोई आर्थिक नुकसान होगा?
अगर इस अनुबंध को निरस्त किया जाता है, तो राजस्थान को एक बेहतर, अधिक अनुकूल ऊर्जा खरीद रणनीति तैयार करने का अवसर मिलेगा। इससे लंबी अवधि के अनुबंधों से होने वाले आर्थिक बोझ को कम किया जा सकता है और ऊर्जा जरूरतों के लिए अल्पकालिक अनुबंध किए जा सकते हैं।
3. दिल्ली और अन्य राज्य बिजली खरीद के अनुबंधों से क्यों पीछे हटे थे?
दिल्ली और अन्य राज्यों ने यह महसूस किया कि राउंड-द-क्लॉक बिजली खरीदने के दीर्घकालिक अनुबंध उनके ऊर्जा प्रोफाइल के अनुरूप नहीं थे। इन राज्यों ने अपने ऊर्जा खपत के प्रोफाइल के अनुसार छोटे और अधिक लचीले अनुबंधों का चुनाव किया।
4. राजस्थान में बिजली की पीक डिमांड कब होती है?
राजस्थान में बिजली की पीक डिमांड मुख्यतः रात के समय, 4 से 6 घंटे के बीच होती है। दिन के समय सौर ऊर्जा की भरमार रहती है, जिससे राज्य को अतिरिक्त बिजली एक्सचेंज में बेचनी पड़ती है।
5. राजस्थान सरकार ने बिजली खरीद अनुबंध पर क्या कदम उठाए हैं?
राज्य सरकार ने इस अनुबंध पर गंभीर चिंता जताई है और उच्चाधिकारियों से इसे पुनः समीक्षा करने की बात कही है। सरकार अब इस अनुबंध को निरस्त करने के विकल्प पर विचार कर रही है।

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