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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ अपराधों (violence against women In Rajasthan) की स्थिति 2025 के पहले छह महीनों में बेहद चिंताजनक रही है। राज्य सरकार ने राजस्थान विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में जानकारी दी कि 1 जनवरी से 30 जून 2025 तक बलात्कार के 2,966 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके साथ ही बलात्कार के बाद हत्या, दहेज-हत्या, आत्महत्या दुष्प्रेरण और महिला उत्पीड़न (दहेज) के कई अन्य प्रकरण भी सामने आए हैं। इस रिपोर्ट ने एक बार फिर राज्य में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर गंभीर चिंता जताई है। यह प्रश्न कांग्रेस के शांति धारीवाल ने पूछा था।
राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक बलात्कार (Rape) के मामले दर्ज हुए हैं। 1 जनवरी से 30 जून 2025 के बीच कुल 2,966 बलात्कार के मामले सामने आए। इनमें से 1,387 मामलों में चालान पेश किया गया, जबकि 1,187 मामलों में एफआर पेश की गई है। इसके अलावा 392 मामले लंबित हैं। यह आंकड़े राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते हिंसा और अपराध के मामलों को उजागर करते हैं।
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राजस्थान में बलात्कार के बाद हत्या
बलात्कार के बाद हत्या (Rape and Murder) के 12 मामले भी दर्ज किए गए हैं। इनमें से 8 मामलों में चालान पेश किया गया, जबकि 3 मामलों में एफआर पेश की गई। ये आंकड़े यह बताते हैं कि बलात्कार के बाद हत्या जैसी जघन्य घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जो महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करती हैं।
राज्य सरकार ने विधानसभा में एक लिखित जवाब में इन मामलों की जानकारी दी और यह सुनिश्चित किया कि सभी मामलों की जांच (Investigation) जारी है। हालांकि, सरकार की यह जवाबदेही महिला सुरक्षा (Women's Safety) और कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर कुछ सवालों को जन्म देती है। सरकार ने यह भी कहा कि पुलिस जांच में और सुधार की आवश्यकता है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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राजस्थान में दहेज-हत्या और आत्महत्या दुष्प्रेरण के मामले
राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ दहेज (Dowry) से संबंधित अपराधों में भी वृद्धि देखने को मिली है। दहेज-हत्या (Dowry Deaths) के 187 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 92 मामलों में चालान पेश किया गया और 31 मामलों में एफआर पेश की गई। इसके अलावा 64 मामले अभी भी लंबित हैं। ये आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि दहेज के लिए महिलाओं की हत्या का सिलसिला जारी है और इससे जुड़ी न्यायिक प्रक्रिया में भी देरी हो रही है।
राजस्थान में आत्महत्या दुष्प्रेरण (Suicide Provocation) के 36 मामले भी दर्ज किए गए, जिनमें से 7 मामलों में चालान पेश किया गया और 5 मामलों में एफआर पेश की गई। बाकी 24 मामले अभी लंबित हैं। आत्महत्या दुष्प्रेरण के मामलों में भी बढ़ोतरी हो रही है, जो मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न (Mental and Physical Harassment) को दर्शाता है।
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राजस्थान में महिला उत्पीड़न (दहेज) के मामले
राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ दहेज उत्पीड़न (Dowry Harassment) के 6,192 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से 3,004 मामलों में चालान पेश किया गया और 1,863 मामलों में एफआर पेश की गई। 1,325 मामले अभी भी लंबित हैं। दहेज के लिए उत्पीड़न (Harassment for Dowry) के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, जो समाज में महिलाओं की स्थिति को और भी गंभीर बना रहा है।
राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ अपराध क्या हैं?
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राजस्थान में पुलिस हिरासत में मौतें
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राज्य सरकार ने कांग्रेस विधायक रफीक खान के प्रश्न के जवाब में बताया कि पुलिस हिरासत में मौत (Death in Police Custody) के 20 मामले दर्ज किए गए। इन मौतों में कुछ मौतें प्राकृतिक कारणों (Natural Causes) से हुईं हैं, लेकिन कई मामलों में पुलिस द्वारा की गई जांच को लेकर सवाल उठाए गए हैं। इनमें से कुछ मौतें देवली, जयपुर सदर, झुंझुनूं के कोतवाली, मण्ड्रेला, खेतड़ी, सूरतगढ़ शहर, राजियासर, छीपाबड़ौद, किशनगंज, माण्डल, जैतारण, औद्योगिक क्षेत्र पाली, राशमी, देंचू, कांकरोली, लालसोट, बसवा, तनोट, ऋषभदेव, और सांगानेर सदर पुलिस थाना क्षेत्रों में हुईं। इन मौतों की जांचें भी करवाई गईं हैं, लेकिन कई मामलों में दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की प्रतीक्षा है।
पुलिस हिरासत में मौतों का कारण
राज्य में पुलिस हिरासत में मौतें (Police Custody Deaths) मुख्य रूप से पूछताछ के दौरान उत्पीड़न और शारीरिक दंड के कारण होती हैं। कई बार पुलिस द्वारा गलत तरीके से की गई पूछताछ के कारण आरोपियों की मौत हो जाती है, जो कि पुलिस व्यवस्था और मानवाधिकारों (Human Rights) की गंभीर अवहेलना है।
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महिलाओं और कमजोर वर्गों के खिलाफ अपराधों में वृद्धि
कांग्रेस विधायक रफीक खान ने एक और सवाल उठाया कि क्या राज्य में अपराधों की संख्या में कोई कमी आई है। राज्य सरकार ने उत्तर में कहा कि जयपुर शहर में एक वर्ष में अपराधों में करीब 10.79 प्रतिशत की कमी आई है। हालांकि, इस कमी के बावजूद महिलाओं और खासकर कमजोर वर्गों के खिलाफ अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है, जो इस बात का संकेत है कि राज्य में अपराध नियंत्रण और कानून-व्यवस्था (Law and Order) को लेकर और भी सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
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