खाटू श्यामजी भक्तों के लिए जरूरी खबर, दो दिन नहीं होंगे बाबा के दर्शन, जानें पूरा मामला

खाटू श्याम मंदिर 6 से 8 सितंबर 2025 तक चंद्र ग्रहण के कारण बंद रहेगा। इस दौरान भक्त बाबा के दर्शन नहीं कर पाएंगे। जानें क्यों होता है ऐसा और इसके धार्मिक महत्व के बारे में।

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Nitin Kumar Bhal
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राजस्थान (Rajasthan) के सीकर (Sikar) जिले के खाटूश्यामजी मंदिर (Khatu Shyamji Temple) को भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में माना जाता है। यह मंदिर वर्षों से भक्तों की आस्था का केंद्र रहा है। यहां हर दिन देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं और बाबा श्याम के चरणों में आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। हालाँकि, अब यह मंदिर आगामी 6 सितंबर 2025 से 8 सितंबर 2025 तक बंद रहने वाला है। TheSootr के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि क्यों यह मंदिर बंद रहेगा और इस दौरान क्या धार्मिक प्रक्रियाएँ होंगी।

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6 से 8 सितंबर 2025 तक खाटू श्याम मंदिर बंद रहेगा

खाटू श्याम मंदिर 6 सितंबर 2025 की रात 10 बजे से लेकर 8 सितंबर 2025 की शाम 5 बजे तक बंद रहेगा। इस समय के दौरान भक्त बाबा के दर्शन नहीं कर पाएंगे। इस दौरान मंदिर के कपाट बंद रहेंगे, और भक्तों को दर्शन का अवसर नहीं मिलेगा। 8 सितंबर को शाम को बाबा श्याम का स्नान कराया जाएगा और तिलक-शृंगार किया जाएगा, उसके बाद ही भक्तों को दर्शन की अनुमति मिलेगी।

सांवलिया सेठ के भी नहीं होंगे दर्शन

वहीं, चित्तौड़गढ़ के मंडफिया स्थित प्रख्यात कृष्णधाम सांवलिया सेठ मंदिर में भी दर्शन की सामान्य व्यवस्था में बदलाव किया गया है। चंद्रग्रहण के कारण रविवार को दोपहर 12 बजे तक ही दर्शन कराए जाएंगे। इसके बाद चित्तौड़गढ़ का सांवलिया सेठ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे और किसी भी श्रद्धालु को मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा। अतिरिक्त जिला कलंक्टर और मंदिर मंडल की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) प्रभा गौतम ने बताया कि शास्त्रों और परंपराओं के अनुसार ग्रहण के समय मंदिरों को बंद रखना जरूरी होता है। इस कारण 7 सितम्बर को दोपहर 12 बजे तक दर्शन होंगे, और 8 सितम्बर को सुबह मंगला आरती से दर्शन फिर से शुरू होंगे। तब तक ठाकुरजी के दर्शन बंद रखे जाएंगे।

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चित्तौड़गढ़ के मं​डफिया में ​स्थित श्रीसांवलियाजी। Photograph: (TheSootr)

चंद्र ग्रहण का धार्मिक प्रभाव

इस मंदिर के बंद होने का मुख्य कारण चंद्र ग्रहण है, जो 7 सितंबर 2025 को रात 9:58 बजे से शुरू होकर 8 सितंबर को 01:26 बजे तक रहेगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ग्रहण के दौरान वातावरण में नकारात्मक और अशुभ ऊर्जाएं बढ़ जाती हैं, जिससे पूजा-पाठ में विघ्न आता है। इसीलिए, भारतीय परंपरा में ग्रहण के समय मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं ताकि इन अशुभ प्रभावों से मंदिर की पवित्रता पर कोई असर न हो।

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खाटूश्यामजी मंदिर। Photograph: (TheSootr)

ग्रहण के दौरान मंदिर क्यों बंद रहते हैं?

धार्मिक शास्त्रों में ग्रहण का महत्व

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, जब सूर्य (Sun) और चंद्रमा (Moon) पर ग्रहण लगता है, तो इनकी किरणें शुद्ध नहीं मानी जाती हैं। इस समय देवताओं की मूर्तियों को कपड़ों से ढक दिया जाता है या मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि ग्रहण के दौरान माना जाता है कि पूजा करने से लाभ की बजाय हानि हो सकती है। इसके बाद ग्रहण के समाप्त होने के बाद, मंदिर को शुद्ध किया जाता है और देवताओं की मूर्तियों को स्नान कराया जाता है। फिर ही पूजा और अन्य धार्मिक कार्यों की शुरुआत होती है।

ग्रहण के बाद शुद्धिकरण प्रक्रिया

ग्रहण के समय मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने के लिए पूरी तरह से शुद्धिकरण की प्रक्रिया की जाती है। इसके तहत देवता की मूर्तियों को स्नान कराया जाता है और फिर ताजे वस्त्रों से उन्हें शृंगारित किया जाता है। उसके बाद ही पुनः मंदिर के कपाट खोले जाते हैं और भक्तों के लिए दर्शन (Darshan) शुरू होते हैं।

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खाटू श्याम बाबा का मंदिर क्यों प्रसिद्ध है? 

खाटू श्याम मंदिर अपनी धार्मिक महिमा और आस्था के कारण लाखों श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित करता है। यह मंदिर सीकर जिले के खाटू नामक स्थान पर स्थित है और भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है। यहाँ भक्तों की तादाद हमेशा बढ़ती रहती है, और विशेष अवसरों पर यहां श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग जाती हैं। खाटूश्यामजी में पट बंद रहने से भक्तों को बाबा के दर्शन के लिए इंतजार करना पड़ेगा।

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खाटू श्याम जी कौन हैं?

  • खाटू श्याम जी की कहानी महाभारत काल से जुड़ी है।
  • वे भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक थे।
  • बर्बरीक ने भगवान कृष्ण को अपना सिर दान कर दिया था, जिसके बाद उन्हें 'श्याम' नाम मिला और उन्हें कलियुग में भगवान कृष्ण का अवतार माना गया।
  • बर्बरीक बचपन से ही वीर और महान योद्धा थे।
  • उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करके उनसे तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे। जिसके कारण उन्हें "तीन बाण धारी" भी कहा जाता है।
  • जब महाभारत का युद्ध होने वाला था, तब बर्बरीक ने भी युद्ध में भाग लेने का निर्णय लिया।
  • उन्होंने अपनी माता से आशीर्वाद लिया और उन्हें वचन दिया कि वे हारे हुए पक्ष का साथ देंगे।
  • युद्ध में जाते समय बर्बरीक को रास्ते में भगवान कृष्ण मिले, जो ब्राह्मण के रूप में उनका परीक्षण कर रहे थे।
  • भगवान कृष्ण ने बर्बरीक से दान में उनका सिर मांगा।
  • बर्बरीक ने अपना वचन निभाते हुए अपना सिर काटकर भगवान कृष्ण को दान कर दिया।
  • बर्बरीक के इस महान बलिदान से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में उनकी पूजा श्याम नाम से की जाएगी और वे "हारे का सहारा" बनेंगे।
  • मान्यता है कि बर्बरीक का सिर खाटू नगर (सीकर, राजस्थान) में प्रकट हुआ, जहां बाद में खाटू श्याम मंदिर का निर्माण हुआ।

बाबा श्याम के दर्शन का महत्व

खाटू बाबा को "हारे का सहारा" कहा जाता है, क्योंकि भक्त अपनी सभी समस्याओं और दुखों को लेकर उनके दरबार में आते हैं। यहां आने के बाद भक्तों का विश्वास और आस्था और भी मजबूत हो जाती है। यह मंदिर उन सभी के लिए एक आशा की किरण बनकर उभरता है, जिनका जीवन किसी कठिनाई में डूबा होता है। खाटू श्याम बाबा का दर्शन भक्तों को शांति, समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करता है।

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खाटूश्यामजी मंदिर। Photograph: (TheSootr)

खाटू श्याम मंदिर की क्या विशेषताएँ हैं?

आस्था का केंद्र

प्रसिद्ध खाटू श्यामजी मंदिर का इतिहास और इसकी धार्मिक मान्यताएँ आज भी लाखों भक्तों के दिलों में जीवित हैं। यह मंदिर न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे देश और विदेश से आने वाले भक्तों के लिए एक आस्था का केंद्र बन चुका है। हर साल लाखों भक्त यहाँ आते हैं, और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए बाबा श्याम से प्रार्थना करते हैं।

मंदिर का आंतरिक सौंदर्य

खाटूश्याम मंदिर का आंतरिक भाग अत्यंत सुंदर और आकर्षक है। यहां की वास्तुकला और देवताओं की मूर्तियों की शुद्धता   भक्तों को मानसिक शांति  और आध्यात्मिक संतुष्टि  देती है। खाटूश्यामजी मंदिर दर्शन का विशेष रूप से धार्मिक महत्व है और यह भक्तों के दिलों में गहरी आस्था उत्पन्न करती है।

FAQ

1. खाटू श्याम मंदिर क्यों बंद होगा?
खाटू श्याम मंदिर 6 से 8 सितंबर 2025 तक बंद रहेगा क्योंकि इस दौरान चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) होगा, और ग्रहण के समय मंदिरों के कपाट बंद किए जाते हैं।
2. ग्रहण के दौरान मंदिरों के कपाट क्यों बंद होते हैं?
ग्रहण के समय माना जाता है कि सूर्य और चंद्रमा की किरणें शुद्ध नहीं होती हैं, जिससे नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) का असर मंदिर की पवित्रता (Sanctity) पर पड़ सकता है।
3. खाटू श्याम मंदिर का दर्शन क्यों महत्वपूर्ण है?
मान्यता है कि खाटू श्याम मंदिर का दर्शन भक्तों को शांति, समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करता है। यहां आने से जीवन की समस्याओं का समाधान होता है और भक्तों का विश्वास मजबूत होता है।
4. खाटू श्याम मंदिर का तिलक और स्नान कब होगा?
खाटू श्याम मंदिर का तिलक और स्नान 8 सितंबर 2025 को किया जाएगा, और इसके बाद ही भक्तों को दर्शन का अवसर मिलेगा।
5. खाटू श्याम बाबा को क्यों हारे का सहारा कहा जाता है?
खाटू श्याम बाबा को "हारे का सहारा" कहा जाता है क्योंकि वे उन लोगों का सहारा बनते हैं जो जीवन की कठिनाइयों और समस्याओं से जूझ रहे होते हैं।

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